SC Demonetisation Judgment: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले चिदंबरम, केंद्र की कलाई पर स्वागत योग्य तमाचा
चिदंबरम ने एक ट्वीट में कहा कि हालांकि, यह इंगित करना आवश्यक है कि बहुमत ने निर्णय के ज्ञान को बरकरार नहीं रखा है और न ही बहुमत ने यह निष्कर्ष निकाला है कि घोषित उद्देश्यों को प्राप्त किया गया था।
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले की बुद्धिमत्ता को बरकरार नहीं रखा है और न ही बहुमत ने यह निष्कर्ष निकाला है कि घोषित उद्देश्यों को प्राप्त किया गया था। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 4:1 के फैसले में केंद्र के 2016 के विमुद्रीकरण के कदम को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया और कहा कि 500 रुपये और 1000 रुपये के मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों के विमुद्रीकरण की कवायद को आनुपातिकता के आधार पर नहीं माना जा सकता है।
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चिदंबरम ने एक ट्वीट में कहा कि हालांकि, यह इंगित करना आवश्यक है कि बहुमत ने निर्णय के ज्ञान को बरकरार नहीं रखा है और न ही बहुमत ने यह निष्कर्ष निकाला है कि घोषित उद्देश्यों को प्राप्त किया गया था। वास्तव में, बहुमत ने स्पष्ट कदम उठाए हैं। सवाल है कि क्या उद्देश्यों को हासिल किया गया था। एक बार माननीय उच्चतम न्यायालय ने कानून घोषित कर दिया तो हम इसे स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं।" इस मामले में दो अलग-अलग निर्णय थे, जो जस्टिस बीआर गवई और वी नागरत्ना द्वारा सुनाए गए थे।
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जस्टिस बीवी नागरत्ना की राय बाकी जजों से अलग रही। उन्होंने नोटबंदी के फैसले को गलत और गैरकानूनी बताते हुए कहा कि इसके लिए कानून बनना चाहिए था। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने नोटबंदी को "गैरकानूनी" कहा और कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय बोर्ड को स्वतंत्र रूप से नोटबंदी की सिफारिश करनी चाहिए थी। न्यायाधीश ने कहा कि यह सरकार की सलाह से नहीं किया जाना चाहिए था।
We are happy that the minority judgement has pointed out the illegality and the irregularities in the Demonetisation. It may be only a slap on the wrist of the government, but a welcome slap on the wrist.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 2, 2023
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