Maharashtra Karnataka Dispute Part IV | सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद?
महाराष्ट्र ने 2004 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। इसने कर्नाटक के पांच जिलों के 865 गांवों और कस्बों को राज्य में विलय करने की मांग की। पांच जिले बेलगावी, कारवार, विजयपुरा, कालाबुरागी और बीदर हैं।
दशकों से चला आ रहा महाराष्ट्र कर्नाटक सीमा विवाद एक बार फिर से सुलग उठा है। कर्नाटक में तनाव चरम पर है, खासकर बेलगावी जिले में जिसकी सीमा महाराष्ट्र से लगती है, और पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। महाराराष्ट्र विधानसभा की तरफ से कर्नाटक की सीमा से सटे गांवों में रहने वाले मराठी भाषी लोगों के साथ पूरी एकजुटता व्यक्त करते हुए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसके बाद सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर एक याचिका की विचारणीयता के बारे में दलीलें सुनने वाली थी। मामला न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध था, लेकिन चूंकि न्यायाधीश जल्लीकट्टू से संबंधित एक मामले में संविधान पीठ की सुनवाई में व्यस्त थे। इसलिए सीमा विवाद को लेकर कोई सुनवाई नहीं हो सकी। 2023 में महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद मामले में अहम आदेश दे सकता है।
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कब शुरू हुआ विवाद?
1956 में संसद द्वारा राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित किए जाने के बाद से ही महाराष्ट्र और कर्नाटक में राज्य की सीमा से लगे कुछ कस्बों और गांवों को शामिल करने पर विवाद हो गया है। यह अधिनियम 1953 में नियुक्त जस्टिस फ़ज़ल अली आयोग के निष्कर्षों पर आधारित था। दो साल बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी।
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अदालत में कानूनी मुद्दे
महाराष्ट्र ने 2004 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। इसने कर्नाटक के पांच जिलों के 865 गांवों और कस्बों को राज्य में विलय करने की मांग की। पांच जिले बेलगावी, कारवार, विजयपुरा, कालाबुरागी और बीदर हैं। हालाँकि, याचिका के लगभग दो दशक बाद भी, इसकी स्थिरता को चुनौती दी गई है। कर्नाटक ने यह तर्क देने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 का सहारा लिया है कि सर्वोच्च न्यायालय के पास राज्यों की सीमाओं को तय करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है और केवल संसद के पास ही ऐसा करने की शक्ति है। महाराष्ट्र ने संविधान के अनुच्छेद 131 का उल्लेख किया है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार और राज्यों के बीच विवादों से संबंधित मामलों में सर्वोच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र है। अब महाराष्ट्र कर्नाटक विवाद के पांचवे भाग में हम जानेंगे आखिर ठंड का मौसम शुरू होते ही क्यों आपस में भिड़ जाते हैं कर्नाटक और महाराष्ट्र? इसके पीछे की कहानी क्या है।
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