Congress and China Part 7 | तिब्बत-चीन विवाद में कैसे हुई भारत की एंट्री | Teh Tak
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से पहले सोनिया गांधी और राहुल गांधी की शी जिनपिंग के साथ आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक लंबी बैठक भी हुई थी।
चीन एक ऐसा देश है जिसका दुनिया में कोई देश ऐतबार नहीं कर सकता है। भारत को तो उसने कई बार दोस्ती की पीठ में दगाबाजी का खंजर घोंपा ही है। लेकिन दुनियाभर में भी कोई ऐसा सगा नहीं है जिसे चीन ने ठगा नहीं है। चीन ताइवान पर जबरन कब्जे की फिराक में दशकों से बैठा है। नेपाल से दोस्ती की आड़ में उसके इलाके पर टेढ़ी नजर है। हांगकांग की आजादी का अतिक्रमण हो या साउथ चाइना सी में वियतनाम, ब्रनेई, फिलीपींस, मलेशिया से टकराव। सेनकाकू द्वीप को लेकर जापान से लड़ रहा। मंगोलिया में कोयला भंडार पर चीन की नजर। ये सबूत है कि चीन कितना शातिर पड़ोसी और धोखेबाज देश है।
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गलवान घाटी से लेकर पैंगोंग झील तक मुंह की खाने के बाद भी वो अपनी कारगुजारियों से बाज नहीं आता। लेकिन आज आपको चीन के धोखेबाजी की नहीं बल्कि भारत की ग्रैंड ओल्ड पार्टी की एक कहानी बताएंगे। कैसे ओलंपिक उद्घाटन के लिए पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी अपने परिवार के साथ बीजिंग पहुंचीं, जिसके तुरंत बाद भारत की सत्तारूढ़ कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने एक तंत्र स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। समझौता ज्ञापन (एमओयू) दोनों पक्षों को महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर एक-दूसरे से परामर्श करने का अवसर प्रदान करने वाला बताया गया।
कांग्रेस और चीनी पार्टी के बीच 2008 की साइन एमओयू
देशों के बीच तो आपने एमओयू यानी मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग तो कई बार सुने और पढ़े होंगे। लेकिन आपने दो राजनीतिक पार्टियों के बीच एमओयू जैसी चीजों के बारे में नहीं सुना होगा। दरअसल, ये समझौता ज्ञापन कांग्रेस और चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हुआ है। कांग्रेस ने 7 अगस्त 2008 को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के साथ एक एमओयू साइन किया। शी जिनपिंग उस वक्त सीपीसी के जनरल सेक्रेटरी हुआ करते थे। 2008 में सोनिया गांधी के सुपरविजन में एमओयू पर कांग्रेस के तत्तकालीन जनरल सेक्रेट्री राहुल गांधी इस ज्ञापन पर साइन करते हैं। राहुल के दस्तख़त किए जाने से पहले उन्होंने और सोनिया गांधी ने शी चिनपिंग के साथ एक अलग मीटिंग भी की थी। यह समझौता उस वक़्त हुआ जब भारत की कम्यूनिस्ट पार्टियां कांग्रेस सरकार से नाराज़ चल रही थीं। अमेरिका से परमाणु क़रार को लेकर दोनों में अनबन थी।
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यूपीए से परे गांधी परिवार के साथ नजदीकी बढ़ाने की कोशिश
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से पहले सोनिया गांधी और राहुल गांधी की शी जिनपिंग के साथ आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक लंबी बैठक भी हुई थी। साल 2008 में सोनिया गांधी अपने बेटे राहुल, बेटी प्रियंका, दामाद रॉबर्ट वाड्रा और दोनों बच्चों को साथ लेकर ओलंपिक खेल देखने पहुंची थी। इसके अलावा उन्होंने और राहुल गांधी ने चीन में कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया था। कांग्रेस पार्टी ने उसी साल की शुरुआत में अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ एक समान समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन सीपीसी के साथ समझौता ज्ञापन भारत में वामपंथी दलों द्वारा कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में विश्वास की कमी व्यक्त करने के तुरंत बाद देखने को मिला था। उस वक्त राजनीतिक हलकों में इस बात की भी चर्चा हुई कि बीजिंग की तरफ से भारत में तत्कालीन घटनाक्रमों से अवगत होने के बावजूद, आगे बढ़ने और इस दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने का फैसला करने वाले कदम को यूपीए से परे कांग्रेस और विशेष रूप से नेहरू-गांधी परिवार के साथ उसके संबंध बनाने की कोशिश के रूप में देखा गया।
चीनी सरकार की मेहमान सोनिया गांधी
चूंकि उस वक्त उनके पास कोई सरकारी पद नहीं था, इसलिए बर्ड्स नेस्ट स्टेडियम में उद्घाटन समारोह में सोनिया गांधी चीनी सरकार के मेहमानों के लिए आरक्षित घेरे में बैठीं नजर आई। वो वीवीआईपी बाड़े में नहीं गई जहां राष्ट्रपति हू, बुश और अन्य राष्ट्राध्यक्षों और सरकारों के प्रमुख बैठे थे। जबकि खेल मंत्री एम.एस. सरकारी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे गिल को यह विशेषाधिकार मिला।
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