उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार और हत्या के दोषी को नाबालिग करार दिया, जेल से रिहा होगा

Supreme Court
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बृहस्पतिवार को पीठ ने रिपोर्ट का अवलोकन किया, जिसमें कहा गया था कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि दोषी का जन्म पांच जुलाई, 1995 को हुआ था और एक जनवरी, 2013 को अपराध की तारीख को उसकी आयु 18 वर्ष से कम थी।

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया, जिसमें कहा गया था कि 2013 में उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में 10 वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या की वारदात के समय दोषी नाबालिग था और उसे रिहा करने का आदेश दिया।

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दोषी को दी गई आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया। इस मामले में 17 मई, 2018 को निचली अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई थी।

इसके बाद मामले को दंड प्रक्रिया संहिता के तहत सजा की पुष्टि के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय को भेजा गया था। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

अपीलों पर गौर करते हुए शीर्ष अदालत ने फैजाबाद स्थित किशोर न्याय बोर्ड को आरोपी की उम्र का उचित सत्यापन करने और किशोर होने के दावे पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।

बृहस्पतिवार को पीठ ने रिपोर्ट का अवलोकन किया, जिसमें कहा गया था कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि दोषी का जन्म पांच जुलाई, 1995 को हुआ था और एक जनवरी, 2013 को अपराध की तारीख को उसकी आयु 18 वर्ष से कम थी।

पीठ ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश राज्य के वकील ने किशोर न्याय बोर्ड द्वारा दी गई रिपोर्ट का विरोध नहीं किया है। हमने उक्त रिपोर्ट और उसमें दिए गए कारणों की भी जांच की है और हमें अलग दृष्टिकोण अपनाने का कोई आधार और कारण नहीं मिला है। तदनुसार, अपीलकर्ता को अपराध की घटना/घटना की तारीख को किशोर के रूप में माने जाने का निर्देश दिया जाता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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