महंगाई की वजह से तीसरी तिमाही में FMCG कंपनियों की बिक्री, परिचालन लाभ पर असर पड़ेगा

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रोजमर्रा के उपभोग का सामान बनाने वाली (एफएमसीजी) कंपनियों के सकल मार्जिन में अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान गिरावट आने की आशंका है। इसके अलावा इन कंपनियों का परिचालन लाभ भी काफी कम या स्थिर रह सकता है। कई एफएमसीजी कंपनियों के राजस्व में निचले स्तर पर एकल अंक की वृद्धि की उम्मीद है।

नयी दिल्ली । ऊंची मुद्रास्फीति, उच्च उत्पादन लागत और मूल्य निर्धारण संबंधी उपायों से प्रभावित रोजमर्रा के उपभोग का सामान बनाने वाली (एफएमसीजी) कंपनियों के सकल मार्जिन में अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान गिरावट आने की आशंका है। इसके अलावा इन कंपनियों का परिचालन लाभ भी काफी कम या स्थिर रह सकता है। कई एफएमसीजी कंपनियों के राजस्व में निचले स्तर पर एकल अंक की वृद्धि की उम्मीद है। इसका एक कारण यह हो सकता है कि कई कंपनियों ने दिसंबर तिमाही में कोपरा, वनस्पति तेल और पाम ऑयल जैसे उत्पादों की बढ़ती लागत के कारण कीमतों में बढ़ोतरी का विकल्प चुना है।

कीमतों में बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है जब ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति के कारण कम खपत ने शहरी बाजार को प्रभावित किया है। हालांकि, ग्रामीण बाजार जिसका कुल एफएमसीजी बाजार में एक-तिहाई से थोड़ा अधिक हिस्सा है, इससे आगे रहा है। डाबर और मैरिको जैसी कुछ सूचीबद्ध एफएमसीजी कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए अपने ‘अपडेट’ साझा किया है। इसके आधार पर विश्लेषकों ने इन कंपनियों की मात्रा में वृद्धि निचले स्तर पर एकल अंक में या स्थिर रहने की उम्मीद जताई है। घरेलू फार्मा डाबर को दिसंबर तिमाही में निचले एकल अंक की वृद्धि की उम्मीद है। इस दौरान कंपनी का परिचालन मुनाफा स्थिर रह सकता है।

डाबर ने कहा, ‘‘कुछ खंडों में मुद्रास्फीतिक दबाव देखने को मिला, जिसे आंशिक रूप से तकनीकी मूल्य वृद्धि और लागत दक्षता उपायों से कम किया जा सका।’’ कंपनी ने कहा कि तीसरी तिमाही में एफएमसीजी क्षेत्र के लिए ग्रामीण खपत बेहतर रही और यह शहरी क्षेत्र की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी। कंपनी के पास डाबर च्यवनप्राश, डाबर हनी, डाबर पुदीनहरा, डाबर लाल तेल, डाबर आंवला, डाबर रेड पेस्ट, रियल और वाटिका जैसे ब्रांड हैं।

कंपनी ने कहा कि वैकल्पिक माध्यम मसलन आधुनिक व्यापार, ई-कॉमर्स और त्वरित वाणिज्य (क्विक कॉमर्स) ने मजबूत वृद्धि जारी रखी। वहीं सामान्य व्यापार, जिसमें मुख्य रूप से गली-मोहल्ले की किराना दुकानें शामिल हैं, को तिमाही के दौरान दबाव झेलना पड़ा। मैरिको ने भी कुछ इसी तरह की राय जताते हुए कहा कि तिमाही के दौरान क्षेत्र ने सतत मांग वृद्धि दर्ज की है। इस दौरान ग्रामीण खपत में सुधार हुआ है, जबकि पिछली तिमाही की तुलना में शहरी धारणा स्थिर रही है।

घरेलू बाजार में बिक्री पर मैरिको ने कहा कि उसे तिमाही-दर-तिमाही आधार पर दिसंबर तिमाही में कुछ बढ़ोतरी की उम्मीद है। हालांकि, ऊंची उत्पादन लागत की वजह से उसका परिचालन लाभ काफी कम रहेगा। मैरिको के पास सफोला, पैराशूट, हेयर एंड केयर, निहार और लिवॉन जैसे ब्रांड का स्वामित्व है। नुवामा के अनुसार, मुद्रास्फीति के दबाव, कम वेतन वृद्धि और उच्च आवास किराया लागत के कारण शहरी मांग परिदृश्य चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। कंपनी ने कहा कि शहरी बाजार में सुस्ती दो-तीन तिमाहियों तक और जारी रहेगी। हालांकि, ग्रामीण बाजार में कुछ सुधार होगा और यह शहरी मांग से बेहतर रहेगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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