उत्तर प्रदेश की खबरें: नगर पालिका में होने वाले निर्माण कार्यों के लिये SOP जारी, विकास कार्यों में आयेगी तेजी
पहली बार नगर विकास विभाग की ओर से पालिकाओं में होने वाले निर्माण कार्यों के लिए मार्गदर्शिका/स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार की गयी है। इसका प्रस्तुतीकरण नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन जी के समक्ष करते हुए शासनादेश जारी कर दिया गया है। नगर विकास मंत्री ने कहा कि एसओपी से नगरीय निकायों में होने वाले निर्माण कार्यों को गति मिलेगी।
प्राविधिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा आयोजित विषम सेमेस्टर/बैक पेपर/विशेष बैक पेपर परीक्षा मार्च-2021 का परीक्षाफल आज को विद्या सागर गुप्ता, अध्यक्ष, प्राविधिक शिक्षा परिषद, उ0प्र0 लखनऊ की अध्यक्षता में आहूत परीक्षाफल समिति की बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार घोषित किया गया। यह जानकारी प्राविधिक शिक्षा परिषद के सचिव, सुनील कुमार सोनकर ने दी है। सोनकर ने बताया कि आलोक कुमार तृतीय, सचिव, मुख्यमंत्री/प्राविधिक शिक्षा विभाग, उ0प्र0 शासन के कुशल निर्देशन में दिनांक 12 मार्च 2021 से 27 मार्च, 2021 के मध्य विभिन्न परीक्षा केन्द्रों पर संपन्न हुई। सुनील कुमार चैधरी, विशेष सचिव, प्राविधिक शिक्षा, उ0प्र0 शासन द्वारा विषम सेमेस्टर परीक्षा, मार्च 2021 की उत्तरपुस्तिकाओें का शीघ्र मूल्यांकन कराकर परीक्षाफल घोषित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया, जिससे परिषद द्वारा त्वरित मूल्यांकन कार्य संपन्न कराते हुए परीक्षाफल 39 दिनांेे की समयावधि में पूर्ण किया गया। मूल्यांकन कार्य में कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का अनुपालन किया गया। उन्होंने बताया कि विषम सेमेस्टर परीक्षा, मार्च 2021 में कुल 1,92,454 परीक्षार्थी पंजीकुत थे, जिसमें 185945 छात्र/छात्राएं परीक्षा में सम्मिलित हुए। छात्र/छात्राओं का कुल उत्तीर्ण प्रतिशत 92.00 रहा। बैठक में मनोज कुमार, निदेशक, प्राविधिक शिक्षा, उ0प्र0 कानपुर एवं श्री सुनील कुमार सोनकर, सचिव, प्राविधिक शिक्षा परिषद सदस्य के रूप में सम्मिलित हुए। संस्थाआंे एवं छात्र/छात्राओं की सुुविधा के दृष्टिगत उक्त परीक्षाफल नतपेमण्नचण्हवअण्पद एवं परिषद की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
उच्च शिक्षा विभाग में प्राचार्यों एवं प्रवक्ताओं का पारदर्शी आन-लाईन स्थानान्तरण नीति के अन्तर्गत किया जाएगा स्थानांतरण
प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों एवं प्रवक्ताओं के कार्य संतुष्टि को अधिकतम करने तथा छात्र/शैक्षिक हित संरक्षित करने के लिए स्थानान्तरण में पारदर्शिता, समानता एवं मांग आधारित उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राजकीय महाविद्यालयों हेतु स्थानान्तरण नीति लागू की गयी है। उच्च शिक्षा विभाग में अपनाई गयी इस पारदर्शी आन-लाईन स्थानान्तरण नीति के अन्तर्गत स्थानांतरण किया जा रहा है। विभाग द्वारा वर्तमान सत्र हेतु स्थानांतरण किए जाने की समय सारिणी निर्गत कर दी गई है। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा सुभाष चंद् शर्मा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान स्थानांतरण सत्र हेतु प्राचार्यो/प्रवक्ताओं से वास्तविक उपलब्ध रिक्तियों के सापेक्ष आन-लाईन साफ्टवेयर पर विकल्प फीड करने की तिथि 01 व 02 जुलाई, 2021 निर्धारित की गयी है। सरकार के महत्वाकांक्षी जिला योजना के जिलों में से किसी प्रवक्ता को अन्यत्र स्थानांतरण नहीं किया जाएगा, परन्तु अन्य जिलों से इन जिलों में स्थानांतरण सम्भव हो सकेगा। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने बताया कि स्थानांतरण नीति में निर्धारित व्यवस्था के अनुसार उपयुक्त प्राचार्यों एवं प्रवक्ताओं को उनके द्वारा आन-लाइन दिये गये विकल्प के राजकीय महाविद्यालयों में स्थानांतरण करने पर नियमानुसार विचार किया जाएगा। आनलाईन स्थानांतरण का परिणाम 06 जुलाई, 2021 को जारी किया जाना है। स्थानांतरित प्रवक्ता को रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर पर सन्देश भेजा जाएगा और वह अपने लागिंन एकाउंट से स्थानांतरण आदेश प्राप्त कर सकेगा।
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नवनीत सहगल ने ओडीओपी इकाइयों को तकनीकी से जोड़ने में उत्कृष्ट योगदान देने वाले एकेटीयू के चार छात्रों को किया सम्मनित
अपर मुख्य सचिव सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम डा0 नवनीत सहगल ने आज एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) इकाइयों को तकनीकी से जोड़ने में उत्कृष्ट योगदान देने वाले ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) के चार छात्रों को सम्मनित किया। इसमें केआईईटी गु्रप आॅफ इन्स्टीट्यूशन, गाजियाबाद के सचिन राठौर और डा0 अम्बेडकर इन्स्टीट्यूट आॅफ टेक्नालाॅजी फार हैण्डीकैप्ड कानपुर के अनन्त वैश्व एवं सलोनी तिवारी को प्रथम रैंक, एमजीएम कालेज आॅफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालाॅजी, नोएडा के छात्र सचिन रामचन्द्र जाम्भले को दूसरी रैंक तथा राजा बलवंत सिंह टेक्निकल कैम्पस, आगरा के विद्यार्थी स्माइल शान मिर्जा को तीसरी रैंक प्राप्त हुई। वर्चुअल आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डा0 सहगल ने कहा कि ओडीओपी कार्यक्रम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की परिकल्पना है। इसके तहत पारंपरिक उत्पाद से जुड़े कारीगरों की आमदनी को बढ़ाकर प्रदेश की जीडीपी में वृद्धि करने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ओडीओपी उत्पादों की क्वालिटी तथा विजिबिलिटी को इम्पू्रव करने में एकेेटीयू का अहम योगदान होगा। ओडीओपी प्रकोष्ट एवं एकेटीयू के मध्य 8 अगस्त, 2020 को हुए समझौते के तहत एकेटीयू द्वारा पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर लखनऊ जनपद के ओडीओपी उत्पाद चिकनकारी एवं जरी-जरदोजी इकाइयों के लिए टास्क दिया गया था। ओडीओपी के पायलेट प्रोजेक्ट करने के लिए यूनिवर्सिटी को आर्थिक सहयोग भी दिया जायेगा। पायलेट हैकाथन के तहत सचिन राठौर ने चिनकारी इकाइयों में उत्पादकता को बढ़ाने के लिए इकाइयों में कार्य करने वाले आर्टिजेंस के लिए बेहतर माहौल, स्वास्थ्यप्रद वातावरण तथा अच्छी सुविधाएं को बढ़ाने के संबंध में अपने विचार प्रस्तुत किये। इसी प्रकार अनन्त वैश्य और सलोनी तिवारी ने आर्टिजेंस के साथ बड़ी संख्या में सीधे उपभोक्ताओं को जोड़ने के लिए बहुभाषीय मोबाइल साफ्टवेय विकसित किया। इनके अलावा सचिन रामचन्द्र जाम्भले ने इकाइयांे में बेहतर कार्यशैली के लिए पर्याप्त रोशनी उपलब्ध कराने पर बल दिया है। स्माइल शान मिर्जा ने लक्जरी कार इन्टीरियर के लिए चिकनकारी एवं जरी-जरदोजी का प्रयोग करने का नया कांसेप्ट दिया। इस मौके पर एकेटीय के वाइस चांसलर, हैकाथन टीम के सदस्य एवं प्रतिभागी विद्यार्थी आॅनलाइन जुड़े थे।
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नगर पालिका में होने वाले निर्माण कार्यों के लिये एसओपी जारी, विकास कार्यों में आयेगी तेजी, क्वालिटी पर भी रहेगी नजर
पहली बार नगर विकास विभाग की ओर से पालिकाओं में होने वाले निर्माण कार्यों के लिए मार्गदर्शिका/स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार की गयी है। इसका प्रस्तुतीकरण नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन जी के समक्ष बुधवार को करते हुए शासनादेश जारी कर दिया गया है। मा. नगर विकास मंत्री ने कहा कि इस मार्गदर्शिका (एसओपी) से नगरीय निकायों में होने वाले निर्माण कार्यों को गति मिलेगी, कार्य की गुणवत्ता पर भी नजर रखी जा सकेगी और कार्य करने में पारदर्शिता के साथ-साथ उत्तरदायित्व का निर्धारण भी हो सकेगा। कार्यों की गुणवत्ता के लिये थर्ड पार्टी निरीक्षण भी किया जायेगा।
विभाग द्वारा तैयार एसओपी के तहत नगर पालिका द्वारा स्वंय मार्ग-प्रकाश, खड़जे, इंटरलॉकिंग टाइल्स एवं अधिकतम एक मीटर चैड़ाई तक की नाली की श्रेणी में कराये जाने वाले कार्यों के लिए कोई सीमा नहीं तय की गई है। हालांकि ये कार्य सक्षम स्तर की स्वीकृति मिलने के बाद ही नियमानुसार प्रक्रिया अपनाते हुए करवानें होंगे।
नगरीय निकायों में संपर्क मार्ग के ब्लैक टाप (बिटुमनस)/आर.सी.सीध्सी.सी किये जाने वाले कार्य यदि 40 लाख की लागत के अंदर है तो उसे एसओपी के नियमानुसार पालिका स्वयं करवा सकेगी, लेकिन कार्यों की लागत 40 लाख से अधिक होगी तो ये कार्य लोक निमार्ण विभाग से करवाया जायेगा। इसी तरह में भवन निर्माण में परियोजना कार्यों की लागत 40 लाख से अधिक होने पर कार्य सी.एण्डडी.एस. उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा किया जायेगा। यही नियम पेयजल व सीवरेज से संबंधित कार्यों पर भी लागू होगा जहां पेयजल व सीवरेज के कार्य की लागत 40 लाख से अधिक होगी वे कार्य जल निगम से करवाये जायेंगे।
जारी एसओपी के अनुसार निकायों में पालिका में उपलब्ध अवर अभियंताओं/सहायक अभियंतओं को आवश्यकता पड़ने पर एक से अधिक निकायों का प्रभार दिया जा सकेगा। वहीं अगर किसी कारणवश किसी भी पालिका में अवर अभियंता/सहायक अभियंता नियुक्त नहीं है, तो ऐसी दशा में संबंधित जिलाधिकारी द्वारा उस निकाय के लिए आस-पास की पालिका में कार्यरत अवर अभियंता/सहायक अभियंता अथवा लो.नि.वि., आर.ई.एस, सिंचाई विभाग में कार्यरत अवर अभियंता/सहायक अभियंता को कार्य के लिए नामित किया जायेगा। 40 लाख तक के कार्यों की तकनीकी स्वीकृति सहायक अभियंता और 40 लाख के ऊपर के कार्यों की तकनीकी स्वीकृति अधिशासी अभियंता देंगे। एसओपी के अनुसार अवर अभियंता द्वारा पालिका के अंतर्गत स्वयं के प्रभार से सिर्फ 2 करोड़ रुपये की लागत के ही निर्माण कार्यों करवा सकेंगे। हालांकि उपरोक्त निर्माण कार्य की लागत गणना में मार्ग प्रकाश, इंटरलॉकिंग, फुटपाथ एवं नाली के कार्यों को सम्मिलित नहीं किया जायेगा। इसके अलावा निकायों में होने वाले वे निर्माण कार्य जो संबंधित सहायक अभियंता द्वारा पर्यवेक्षित किया जायेगा उन कार्यों की अधिकतम लागत 20 करोड़ रूपये तक होगी। आशुतोष टंडन जी ने बताया कि यदि कोई अधिकारी परियोजना/कार्य को अनावश्यक रूप से कार्य को टुकड़े में करवाता है तो संबंधित अभियंता/अधिशासी अधिकारी को जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई होगी। लोक निर्माण विभाग में जारी वसूली की प्रक्रिया की तरह ही नगर विकास विभाग की एसओपी में भी यह व्यवस्था बनायी गयी है कि यदि निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कहीं भी कोई कमी पाई गई तो उस हानि की वसूली 50 प्रतिशत ठेकेदार से तथा 50 प्रतिशत उत्तरदायी अधिकारी एवं कर्मचारियों से की जायेगी। वसूली के नियमों की जानकारी देते हुए मा. मंत्री जी ने बताया कि अधिकारी व कर्मचारी में से 50 प्रतिशत की वसूली अवर अभियंता से होगी, 35 प्रति सहायक अभियंता से तथा 10 प्रतिशत, अधिशासी अभियंता से की जायेगी। बाकी 5 प्रतिशत वसूली अधिशासी अधिकारियों से की जायेगी। बैठक में अपर मुख्य सचिव रजनीश दुबे, सचिव श्री अनुराग यादव, विशेष सचिव श्री संजय यादव, नगरीय निदेशालय की उप निदेशक रश्मि सिंह समेत नगरीय निदेशालय के तमाम अधिकारी मौजूद रहे।
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