तलाक-ए-बाइन और तलाक-ए-किनाया को असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका पर SC ने जारी किया नोटिस

SC
ANI
अभिनय आकाश । Oct 10 2022 3:17PM

'तलाक-ए-किनाया' और 'तलाक-ए-बाइन' की वैधता और एकतरफा अतिरिक्त न्यायिक तलाक के सभी रूपों को चुनौती देते हुए एक महिला डॉक्टर सैयदा अमरीन ने दायर की है। याचिका में अमरीन ने अदालत से तलाक-ए-किनाया और तलाक-ए-बाइन सहित एकतरफा तलाक के सभी रूप" को शून्य और असंवैधानिक घोषित करने के लिए निर्देश देने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने 'तलाक-ए-किनाया' और 'तलाक-ए-बाइन' को असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। 'तलाक-ए-किनाया' और 'तलाक-ए-बाइन' की वैधता और एकतरफा अतिरिक्त न्यायिक तलाक के सभी रूपों को चुनौती देते हुए एक महिला डॉक्टर सैयदा अमरीन ने दायर की है। याचिका में अमरीन ने अदालत से तलाक-ए-किनाया और तलाक-ए-बाइन सहित एकतरफा तलाक के सभी रूप" को शून्य और असंवैधानिक घोषित करने के लिए निर्देश देने की मांग की है। जस्टिस एस अब्दुल एस नज़ीर की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी किया और इसी तरह की याचिका के साथ इसे टैग किया।

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सुनवाई के दौरान जस्टिस नज़ीर ने कहा, ''यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। इसके बारे में पढ़कर मैं हैरान रह गया। जबकि न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने पूछा कि उन्हें ऐसी शब्दावली कहां से मिल रही है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने पीठ से कहा कि इस तरह के तलाक का अन्य देशों में भी अभ्यास नहीं किया जाता है। जनहित याचिका (पीआईएल) ने केंद्र को सभी नागरिकों के लिए लिंग तटस्थ, धर्म तटस्थ, तलाक के समान आधार और तलाक की एक समान प्रक्रिया के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए निर्देश देने की मांग की है।

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याचिका में कहा गया है कि धार्मिक अधिकारी और इमाम मौलवी काजियों आदि, जो तलाक-ए-किनाया और तलाक-ए-बाइन और एकतरफा अतिरिक्त-न्यायिक तलीक के अन्य रूपों का प्रचार, समर्थन और अधिकृत करते हैं, अपनी स्थिति, प्रभाव का घोर दुरुपयोग कर रहे हैं और मुस्लिम महिलाओं को इस तरह के घोर व्यवहार के अधीन करने की शक्ति जो उन्हें संपत्ति के रूप में मानती है, जिससे अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 में निहित उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।''

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