SC ने याचिकाकर्ता को पेगासस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर 'समानांतर बहस' से बचने की दी नसीहत, कहा- सिस्टम पर रखें भरोसा
पेगासस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा: “किसी को भी सीमा पार नहीं करनी चाहिए और सभी को मामले में अवसर दिया जाएगा। हम बहस के खिलाफ नहीं हैं लेकिन जब मामला कोर्ट में हो तो इस पर यहां विचार करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट से जासूसी की जांच की मांग की गई है। आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या शिकायत की कॉपी सरकार को दे दी गई है। जिसके बाद केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि हां, शिकायत की कॉपी मिल गई है। सुनवाई 16 अगस्त तक के लिए टाल दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पेगासस जासूसी मामले की जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं से कहा कि उन्हें "सिस्टम में विश्वास होना चाहिए" और "सोशल मीडिया पर समानांतर बहस" में भाग लेने से बचना चाहिए। भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा: “किसी को भी सीमा पार नहीं करनी चाहिए और सभी को मामले में अवसर दिया जाएगा। हम बहस के खिलाफ नहीं हैं लेकिन जब मामला कोर्ट में हो तो इस पर यहां विचार करना चाहिए।
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मामले में एक याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि कैलिफोर्निया में पेगासस से संबंधित अदालती कार्यवाही के मुद्दे पर पिछली सुनवाई के बाद राम को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया था। जिसके जवाब में बेंच ने कहा, 'हम यही कह रहे हैं। मामले पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए और सोशल मीडिया और वेबसाइटों पर इस पर बहस नहीं होनी चाहिए। पार्टियों को सिस्टम में विश्वास रखना चाहिए।
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5 अगस्त को पिछली सुनवाई में, शीर्ष अदालत ने आरोपों को "गंभीर" बताया था और पक्षों से कहा था कि वे पहले अपनी याचिकाओं की प्रतियां सरकारी वकील को दें, जिसके बाद वह मामले की फिर से सुनवाई करेगी। बता दें कि मामले में अदालत के समक्ष तीन याचिकाएं हैं, एक वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार द्वारा दायर की गई हैं, दूसरी अधिवक्ता एमएल शर्मा द्वारा और तीसरी सीपीआई (एम) के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास द्वारा दायर की गई है। राम और कुमार ने आरोपों की उच्चतम न्यायालय के मौजूदा या पूर्व न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की है।
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