तोल-मोल कर बोलो, जुबान पर मां सरस्वती बैठती हैं! महाराष्ट्र की जनता ने कैसे शरद पवार की मन की मुराद पूरी कर दी

 Sharad Pawar
ANI
अभिनय आकाश । Nov 25 2024 1:59PM

बारामती में युगेंद्र पवार की प्रचार सभा में अपने भाषण में शरद पवार ने यह जिक्र करते हुए अपने संन्यास का संकेत दिया कि वह पिछले 55 सालों से महाराष्ट्र के राजनीतिक दायरे में सक्रिय हैं। अभी राज्यसभा में हूं। उसके बाद मुझे दोबारा सोचना पड़ेगा कि राज्यसभा जाऊं या नहीं।

महाराष्ट्र विधानसभा में 101 सीटों पर लड़ी कांग्रेस ने केवल 16 सीटें जीतीं और 12.42 वोट प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर रही। पार्टी को 8,020,921 वोट मिले। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 81 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 57 सीटों पर जीत दर्ज की और 12.38 प्रतिशत वोट हासिल किये। दिलचस्प बात यह है कि कम सीटें हासिल करने वाली शरद पवार नीत राकांपा (शरदचंद्र पवार) को अजित पवार नीत राकांपा से अधिक वोट मिले। राकांपा (एसपी) ने 86 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन 11.28 प्रतिशत वोट के साथ केवल 10 सीटें ही जीत पाई। इसके विपरीत, अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने 59 सीटों पर चुनाव लड़कर 41 सीटें जीतीं, और 9.01 प्रतिशत वोट हासिल किये। उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (उबाठा) ने 20 सीटें जीतीं और पार्टी को 9.96 प्रतिशत वोट मिले। निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के अनुसार, 20 नवंबर को हुए राज्य विधानसभा चुनावों में 66.05 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जो 2019 में 61.1 प्रतिशत था।

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बारामती में युगेंद्र पवार की प्रचार सभा में अपने भाषण में शरद पवार ने यह जिक्र करते हुए अपने संन्यास का संकेत दिया कि वह पिछले 55 सालों से महाराष्ट्र के राजनीतिक दायरे में सक्रिय हैं। अभी राज्यसभा में हूं। उसके बाद मुझे दोबारा सोचना पड़ेगा कि राज्यसभा जाऊं या नहीं। पवार ने पहले घोषणा की थी कि यह आरएस के सदस्य के रूप में उनका आखिरी कार्यकाल होगा। ऐसे में शरद पवार की मन की मुराद को लगता है लोगों ने गंभीरता से ले लिया। एनसीपी शरद गुट को उतनी भी सीटें हासिल नहीं हो पाई कि वो राज्यसभा में किसी को भेज सके। बड़े पवार का अभी डेढ़ साल का कार्यकाल बाकी है। पवार का कार्यकाल 3 अप्रैल, 2026 को समाप्त हो रहा है। ऐसे में एनसीपी (सपा) की पर्याप्त ताकत के अभाव में उनके संबंधित दलों के लिए उन्हें फिर से उच्च सदन में भेजना संभव नहीं होगा। 

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हालांकि, शरद पवार ने कहा है कि वह राजनीति से संन्यास लेने के बाद भी सामाजिक कार्य करते रहेंगे। एनसीपी में विभाजन से ठीक एक महीने पहले शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन एनसीपी के तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं के आग्रह के चलते उन्होंने इसे वापस ले लिया।

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