जो बाला साहेब का नहीं हुआ, वो मोदी का क्या होगा, महाराष्ट्र में विज्ञापन को लेकर सामना ने साधा निशाना
विज्ञापन पर टिप्पणी करते हुए संपादकीय में कहा गया है कि राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तस्वीर कहीं नहीं दिखी और शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर भी विज्ञापन में गायब थी। ऐसा कहा जा रहा है कि विज्ञापन सरकारी विज्ञापन नहीं था।
शिवसेना (यूबीटी) पार्टी के मुखपत्र सामना ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना द्वारा अखबारों के पहले पन्ने पर छपे एक विज्ञापन की भर्त्सना की है। इन विज्ञापनों की हेडलाइन थी 'भारत के लिए मोदी और महाराष्ट्र के लिए शिंदे। संपादकीय में कहा गया है कि अब तक शिंदे-फडणवीस सरकार ने जनता का 786 करोड़ रुपये विज्ञापनों पर खर्च किया है। अच्छी बात यह है कि अब एक स्पष्टता है क्योंकि बालासाहेब के वफादार होने का दावा करने वाले लोगों का असली चेहरा सामने आ गया है (क्योंकि विज्ञापन में बालासाहेब की तस्वीर नहीं थी)। संपादकीय में कहा गया कि सवाल यह है कि जो बालासाहेब के प्रति वफादार नहीं रह सके, क्या वे मोदी के प्रति वफादार रहेंगे?
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विज्ञापन पर टिप्पणी करते हुए संपादकीय में कहा गया है कि राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तस्वीर कहीं नहीं दिखी और शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर भी विज्ञापन में गायब थी। ऐसा कहा जा रहा है कि विज्ञापन सरकारी विज्ञापन नहीं था। इसलिए इसमें फडणवीस की फोटो नहीं है। वैसे यह सत्य नहीं है। ये लोग कहते रहते हैं कि हम बालासाहेब के विचारों को आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन विज्ञापन से उनकी तस्वीर भी गायब थी।
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संपादकीय में कहा गया है कि विज्ञापन से यह आभास होता है कि बालासाहेब कुछ नहीं हैं और मोदी ही सब कुछ हैं। यह विज्ञापन दिखाता है कि शिंदे गुट भाजपा के 105 विधायकों के प्रभुत्व को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। संपादकीय में उस सर्वेक्षण पर भी सवाल उठाया गया है जिसमें कहा गया है कि 26.1% लोग एकनाथ शिंदे को फिर से मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं।
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