Rohingyas के खिलाफ Jammu Police का Action, Jammu-Kashmir में सरकारी कामकाज में Whatsapp और Gmail का उपयोग बंद

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ANI

दक्षिण जम्मू शहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय शर्मा ने कहा, "नागरिक प्रशासन ने उन लोगों की पहचान करने के लिए एक अभियान भी शुरू किया है, जिन्होंने रोहिंग्याओं के आवास वाले भूखंडों में बिजली और पानी के कनेक्शन की सुविधा प्रदान की थी।"

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की दृष्टि से कई कदम उठाये जा रहे हैं। एक ओर घुसपैठियों के खिलाफ अभियान छेड़ा जा रहा है और दूसरी ओर व्हाट्सएप और जीमेल से सरकारी दस्तावेजों के आदान-प्रदान पर रोक लगा दी गयी है। जहां तक घुसपैठियों की बात है तो एक ओर सुरक्षा बल उन्हें देखते ही ठोंक रहे हैं तो दूसरी ओर जम्मू में रोहिंग्या शरणार्थियों के खिलाफ पुलिस ने सघन अभियान छेड़ दिया है क्योंकि यह लोग कानून व्यवस्था के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। इस क्रम में विदेशी अधिनियम के उल्लंघन के लिए कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों को हिरासत में भी लिया गया है तथा पुलिस को सूचित किए बिना उन्हें संपत्ति किराए पर देने के लिए मकान मालिकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। दक्षिण जम्मू शहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय शर्मा ने कहा, "नागरिक प्रशासन ने उन लोगों की पहचान करने के लिए एक अभियान भी शुरू किया है, जिन्होंने रोहिंग्याओं के आवास वाले भूखंडों में बिजली और पानी के कनेक्शन की सुविधा प्रदान की थी।" पुलिस ने कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थियों के आगमन को रोकने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मकान मालिकों के खिलाफ कार्रवाई आवश्यक थी।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जिलाधिकारी के आदेश के अनुसार पुलिस को सूचित किए बिना अपनी संपत्ति किराए पर देने के लिए मकान मालिकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। एसएसपी शर्मा ने लोगों से अनुरोध किया कि वे अवैध प्रवासियों को आश्रय या रोजगार न दें और यदि वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें सत्यापन के लिए पुलिस को सूचित करना चाहिए। वहीं पुलिस के इस अभियान का स्थानीय लोगों ने भी स्वागत किया है।

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हम आपको यह भी बता दें कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने संवेदनशील सरकारी दस्तावेजों के आदान-प्रदान के लिए व्हाट्सएप और जीमेल जैसे सोशल मीडिया मंच के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है, क्योंकि इससे जानकारी चोरी या लीक होने की आशंका है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि ये मंच गोपनीय या संवेदनशील जानकारी को संभालने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इन मंच की सुरक्षा प्रणालियां आधिकारिक संचार के लिए आवश्यक सख्त मानकों को पूरा नहीं करती हैं। आदेश में कहा गया है," प्रशासन के संज्ञान में आया है कि अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच व्हाट्सएप, जीमेल और अन्य इस प्रकार के मंच का उपयोग करके संवेदनशील, गुप्त और गोपनीय जानकारी साझा करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। आदेश में कहा गया है कि यह अभ्यास जानकारी की सुरक्षा और उसकी अखंडता के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करती हैं। आदेश में कहा गया है, "परिणामस्वरूप, ऐसे उपकरणों के उपयोग से गंभीर सुरक्षा उल्लंघन हो सकते हैं जो सरकारी कार्यों की अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं।"

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