एस जयशंकर का पहला दौरा बहुत है खास, चीन को लग सकती म‍िर्ची, जानें कौन से देश पहुंच रहे विदेश मंत्री

S Jaishankar
ANI
अंकित सिंह । Jun 19 2024 5:22PM

विदेश मंत्री जयशंका की श्रीलंका की पहली यात्रा भारत की 'पड़ोसी पहले' की लंबे समय से चली आ रही नीति के बारे में बहुत कुछ बताती है। उनका यह दौरा बेहद खास भी है। ऐसा इसलिए क्‍योंक‍ि चीन दशकों से श्रीलंका में अपना जाल बिछा रहा है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर गुरुवार को श्रीलंका की यात्रा पर जाएंगे। अपने दूसरे कार्यकाल में यह किसी विदेशी देश की उनकी पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। इसके अलावा, लोकसभा चुनाव के दौरान कच्चाथीवू द्वीप के भारतीय राजनीति में गर्म विषय बनने के बाद यह पहली यात्रा है। विदेश मंत्री जयशंका की श्रीलंका की पहली यात्रा भारत की 'पड़ोसी पहले' की लंबे समय से चली आ रही नीति के बारे में बहुत कुछ बताती है। उनका यह दौरा बेहद खास भी है। ऐसा इसलिए क्‍योंक‍ि चीन दशकों से श्रीलंका में अपना जाल बिछा रहा है। ऐसे में भारत की कोश‍िशों उसकी राह में रोड़ा बन सकती है। इसलिए विदेश मंत्री के दौरे से चीन को मिर्ची लग सकती है। 

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विदेश मंत्रालय ने अपनी नवीनतम प्रेस विज्ञप्ति में कहा है, “भारत की पड़ोसी प्रथम नीति की पुष्टि करते हुए, यह यात्रा श्रीलंका को अपने निकटतम समुद्री पड़ोसी और समय-परीक्षणित मित्र के रूप में भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। इस यात्रा से कनेक्टिविटी परियोजनाओं और सभी क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग को गति मिलेगी।'' विशेष रूप से, डॉ. एस जयशंकर पिछले सप्ताह इटली में जी7 आउटरीच शिखर सम्मेलन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। 11 जून को दूसरे कार्यकाल के लिए विदेश मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद दक्षिण एशियाई राष्ट्र की आगामी यात्रा उनकी स्टैंडअलोन द्विपक्षीय यात्रा होगी।

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विदेश मंत्रालय के अनुसार, मंत्री व्यापक मुद्दों पर श्रीलंकाई नेतृत्व से मुलाकात करेंगे। इसमें कहा गया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार के गठन के बाद यह विदेश मंत्री की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी।" यह यात्रा देश में लोकसभा चुनावों के समापन के बाद हो रही है, जहां कच्चातिवू द्वीप एक विवादास्पद विषय बन गया था, क्योंकि पीएम मोदी ने भाजपा तमिलनाडु अध्यक्ष अन्नामलाई द्वारा दायर एक आरटीआई का हवाला देते हुए, इस द्वीप को श्रीलंका को सौंपने पर कांग्रेस पर हमला किया था। मामला सुर्खियों में आने के बाद श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने घरेलू मीडिया से कहा कि इस मुद्दे को 50 साल पहले ही सुलझा लिया गया था। 

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