पहले दिन ही एक्शन में आये मोदी के सारे मंत्री, कार्यभार संभालते ही Jaishankar ने Pakistan और Rijiju ने विपक्ष के लिए कह दी बड़ी बात

Jaishankar Rijiju
ANI

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार वह अपनी शर्तों और शैली के हिसाब से ही चलाएंगे। देखा जाये तो यह सही भी है। अगर शुरू में ही प्रधानमंत्री दबाव में आ जाते तो उन्हें आगे भी निरंतर दबाव ही झेलना पड़ता।

मोदी सरकार के नये मंत्रियों ने अपने-अपने मंत्रालयों में जाकर कामकाज संभाल लिया और प्रधानमंत्री ने 100 दिनों का जो कार्य एजेंडा दिया है उस पर पहले दिन से ही काम शुरू कर दिया। जिन मंत्रियों की अपने पुराने विभाग में ही वापसी हुई है उन्होंने अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए पहले दिन से मोर्चा संभाल लिया और जिन मंत्रियों को नये विभाग मिले हैं या जो लोग नये मंत्री बने हैं उन्होंने अपने अपने विभाग संभालने के साथ ही अधिकारियों के साथ बैठक कर कामकाज को समझा और आगे के लिए दिशानिर्देश दिये। विदेश मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री ने तो पहले ही दिन कई अहम संदेश भी दे दिये हैं। जहां तक नई सरकार के कार्यभार संभालने की बात है तो हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री ने सोमवार को ही प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर अपना कामकाज संभाल लिया था। प्रधानमंत्री ने सोमवार को ही मंत्रिमंडल की पहली बैठक भी की थी जिसमें कई अहम निर्णयों को मंजूरी दी गयी। सोमवार देर शाम प्रधानमंत्री ने मंत्रियों को विभागों का बंटवारा कर दिया था जिसके बाद आज एक-एक करके मंत्रियों ने अपना कामकाज संभाल लिया।

जयशंकर का बयान

कुछ बड़े नामों का जिक्र करें तो आपको बता दें कि राजनयिक से नेता बने एस. जयशंकर ने लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए विदेश मंत्री के रूप में पदभार संभाला। जयशंकर भाजपा के उन वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें पिछली सरकार में संभाले गए मंत्रालयों की ही जिम्मेदारी दी गई है। हम आपको बता दें कि राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी और निर्मला सीतारमण सहित कई वरिष्ठ नेताओं को फिर से वही मंत्रालय सौंपा गया है, जो पिछली सरकार में उनके पास था। जयशंकर ने पद संभालने के बाद कहा कि भारत, चीन के साथ सीमा पर शेष मुद्दों को हल करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में चार साल से अधिक समय से जारी सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में काफी तनाव आया है। विदेश मंत्री के रूप में कामकाज संभालने के कुछ ही समय बाद जयशंकर ने पाकिस्तान से होने वाले सीमापार आतंकवाद का जिक्र भी किया और कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए प्रयास किये जाएंगे। विदेश मंत्री ने कहा कि ‘भारत प्रथम’ और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ भारतीय विदेश नीति के दो दिशानिर्देशक सिद्धांत होंगे। चीन के साथ संबंधों पर जयशंकर ने कहा कि उस देश की सीमा पर कुछ मुद्दे बने हुए हैं और उन्हें सुलझाने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘चीन को लेकर हमारा ध्यान इस बात पर होगा कि बाकी मुद्दों को कैसे सुलझाया जाए।’’ इस्लामाबाद को लेकर नई सरकार के रुख के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने प्रमुख मुद्दे के रूप में सीमापार आतंकवाद के लिए पाकिस्तान के समर्थन को चिह्नित किया। उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान के साथ हमारा आतंकवाद का मुद्दा है - सीमा पार आतंकवाद - हम इसका समाधान कैसे ढूंढ़ सकते हैं... यह एक अच्छे पड़ोसी की नीति नहीं हो सकती।’’ विदेश मंत्री ने सरकार की विदेश नीति की प्राथमिकताओं के बारे में भी संक्षिप्त वार्ता की। उन्होंने कहा, ‘‘भविष्य की ओर देखते हुए, मैं निश्चित रूप से सोचता हूं कि प्रधानमंत्री ने हमें जो दो सिद्धांत दिए हैं- 'भारत प्रथम' और 'वसुधैव कुटुम्बकम' - ये भारतीय विदेश नीति के दो मार्गदर्शक सिद्धांत होंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को पूरा विश्वास है कि यह हमें 'विश्व बंधु' के रूप में स्थापित करेगा- एक ऐसा देश जो बहुत अशांत दुनिया में है, एक बहुत विभाजित दुनिया में है, संघर्षों और तनावों की दुनिया में है। यह वास्तव में हमें एक ऐसे देश के रूप में स्थापित करेगा जिस पर कई लोगों का विश्वास है, जिसकी प्रतिष्ठा और प्रभाव बढ़ेगा, जिसके हितों को आगे बढ़ाया जाएगा।’’ जयशंकर ने कहा कि विदेश मंत्रालय ने पिछली सरकार में अत्यंत अच्छा काम किया है और मंत्रालय में एक बार फिर काम करना उनके लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिए यह बहुत सम्मान और सौभाग्य की बात है कि मुझे एक बार फिर विदेश मंत्रालय का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई है। पिछले कार्यकाल में इस मंत्रालय ने वास्तव में असाधारण प्रदर्शन किया था।''

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अमित शाह ने संभाला कामकाज

इसके अलावा, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने भी आज केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में लगातार दूसरी बार कामकाज संभाल लिया। वह 2019 से यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। मंत्रालय में प्रभार संभालने से पहले शाह ने चाणक्यपुरी में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक का दौरा किया और देश की सेवा करते हुए जान न्योछावर करने वाले पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी। अमित शाह (59) लोकसभा चुनाव में गांधीनगर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं। शाह सहकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभालते रहेंगे। गृह मंत्री के रूप में नए कार्यकाल में, शाह की तत्काल प्राथमिकता तीन नए अधिनियमित आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को लागू कराना होगी। एक जुलाई से लागू होने वाले ये कानून भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। देश की आपराधिक न्याय प्रणाली के परिदृश्य को नया आकार देने के उद्देश्य से, शाह ने पिछले साल ये तीन कानून पेश किए थे, जिनका उद्देश्य पुराने औपनिवेशिक काल के कानूनों को बदलना और उन्हें आधुनिक बनाना है।

साल 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में, शाह ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू करने सहित प्रमुख नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। शाह को उनकी गहरी सूझबूझ के लिए जाना जाता है। उनका कार्यकाल सक्रियता से निर्णय लेने और राष्ट्रीय सुरक्षा तथा न्याय प्रणाली को मजबूत करने की प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है, जो भारतीय राजनीति में उनके दीर्घकालिक प्रभाव के उदाहरण हैं। शाह ने माओवादी हिंसा को कम करने और रणनीतिक शांति समझौतों के माध्यम से पूर्वोत्तर राज्यों में शांति बहाल करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद देश में दूसरे सबसे प्रभावशाली व्यक्ति माने जाने वाले शाह को उनकी राजनीतिक सूझबूझ और रणनीतिक कौशल के लिए भी जाना जाता है।

नड्डा ने भी संभाला कामकाज

इसके अलावा, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का कार्यभार संभाला। भाजपा की पिछली सरकार में मनसुख मंडाविया रसायन एवं उर्वरक मंत्री थे। कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद सोमवार को नड्डा को स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ-साथ रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय भी आवंटित किया गया था। नड्डा ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्रालय संभाला था। उसके बाद 2019 में उन्हें भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष का पद सौंपा गया और जनवरी 2020 में अमित शाह के केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में नियुक्त होने के बाद उन्हें पूर्ण रूप से पार्टी अध्यक्ष बना दिया गया। भाजपा अध्यक्ष के तौर पर नड्डा का कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो गया था। उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव की देखरेख के लिए छह महीने का विस्तार दिया गया था। उनका कार्यकाल जून में समाप्त हो रहा है। हम आपको बता दें कि नड्डा (63) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। वह 1991 में भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के अध्यक्ष बने थे। उन्होंने भाजपा में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दी। कई राज्यों में पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व किया। अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकार में मंत्री के रूप में भी कार्य किया है। नड्डा वर्ष 2012 में राज्यसभा के लिए चुने गए और 2014 में अमित शाह के पार्टी अध्यक्ष बनने पर उन्हें भाजपा संसदीय बोर्ड का सदस्य बनाया गया था।

शिवराज सिंह चौहान ने कार्यभार संभाला

इसके अलावा, भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं मध्य प्रदेश के चार बार मुख्यमंत्री रह चुके शिवराज सिंह चौहान ने भी आज केंद्रीय कृषि मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नए मंत्रिमंडल में उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय भी सौंपा गया है। शिवराज (65) को ‘मामा’ और ‘पांव-पांव वाले भैया’ कहकर भी संबोधित किया जाता है। उन्होंने रविवार को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी। यह उनके तीन दशक से अधिक लंबे राजनीतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। शासन में उनके व्यापक अनुभव तथा ग्रामीण आबादी के साथ गहरे जुड़ाव के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री के रूप में चौहान की नियुक्ति से कृषि क्षेत्र और कृषक समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने में सरकार के प्रयासों को नई गति मिलने की उम्मीद है। चौहान ने मध्य प्रदेश में किसानों, ग्रामीणों, महिलाओं तथा बच्चों से जुड़ी सामाजिक-आर्थिक चिंताओं पर गौर किया और अपने दम पर 'धरती पुत्र' की छवि बनाई। भाजपा नेतृत्व ने पिछले साल उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाने का फैसला किया था। भाजपा नेता ने विदिशा लोकसभा सीट पर प्रभावशाली जीत दर्ज की और मंत्रिमंडल में शामिल होकर दरकिनार किए जाने के दावों को पर पूर्ण विराम लगाया।

सिंधिया ने कह दी बड़ी बात

इसके अलावा, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संचार मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया और कहा कि दूरसंचार क्षेत्र तथा भारतीय डाक विभाग दोनों को वैश्विक व स्थानीय स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। हम आपको याद दिला दें कि सिंधिया ने लगभग डेढ़ दशक पहले संचार राज्य मंत्री के रूप में सेवाएं दी थीं। सिंधिया ने कार्यभार संभालने के बाद पत्रकारों से कहा, ''यह वास्तव में मेरे लिए सम्मान की बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुझे संचार मंत्रालय की जिम्मेदारी दी है। दूरसंचार प्रभाग के साथ-साथ भारतीय डाक प्रभाग को वैश्विक स्तर के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है, ताकि देश और दुनिया भर में लाखों लोगों के दिलों में जगह बनाई जा सके।’’ मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में क्रांति आई है और उन्होंने प्रधानमंत्री तथा देश की जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप सर्वोत्तम कार्य करने का संकल्प लिया। सिंधिया ने कहा, ''यह मेरे लिए एक तरह से एक चक्र पूरा करने जैसा है। मैंने कई साल पहले 2007, 2008 और 2009 में इस विभाग में कनिष्ठ मंत्री के तौर पर काम किया। इसलिए मेरे लिए यह एक ऐसा विभाग है जिसके साथ मेरा भावनात्मक जुड़ाव रहा है।’’ 

हम आपको बता दें कि नए दूरसंचार मंत्री के रूप में सिंधिया के सामने इस महीने के अंत में होने वाली 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी को पूरा करने का कार्य है। स्पेक्ट्रम नीलामी के अलावा सिंधिया को उपग्रह ब्रॉडबैंड सेवाओं, उद्योगपति एलन मस्क नीत स्टार्टलिंक के लिए सुरक्षा मंजूरी जैसे मुद्दों को भी प्राथमिकता देनी होगी और नए दूरसंचार अधिनियम के लिए नियम तैयार करने होंगे। सिंधिया को 100 दिवसीय एजेंडा पर काम शुरू करना होगा, जिसमें दूरसंचार क्षेत्र के लिए स्पष्ट प्राथमिकता वाले क्षेत्रों, प्रमुख उपलब्धियों, मार्ग दर्शन और लक्ष्यों की रूपरेखा होगी। हम आपको बता दें कि सिंधिया पहली बार तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन-1 सरकार में मंत्री बने थे। वह तब दूरसंचार, डाक तथा आईटी राज्य मंत्री थे। उन्होंने प्रोजेक्ट एरो योजना के साथ डाकघरों के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

गजेंद्र सिंह शेखावत को मिली अहम जिम्मेदारी

इसके अलावा, भाजपा के वरिष्ठ नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री के रूप में कामकाज संभाला। संस्कृति मंत्री के रूप में कामकाज संभालने के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि उनका मंत्रालय ‘विकसित भारत’ बनाने की दिशा में योगदान देगा। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ‘इंडिया से भारत’ बनाने के क्रम में हम अपने औपनिवेशिक आवरण को हटाने तथा अपनी गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत को पुनः स्थापित करने की दिशा में बड़े कदम उठा रहे हैं। इस अत्यंत सुंदर संस्कृति मंत्रालय का कार्यभार संभालते हुए, मैं अपने देश और विश्व में भारतीयता की जीवंतता को संरक्षित, सुरक्षित रखने और बढ़ावा देने का अवसर पाकर कृतज्ञ और गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।’’ शेखावत ने कहा, ‘‘हमारे देश की बढ़ती ‘सॉफ्ट पॉवर’ इसकी समृद्ध सांस्कृतिक संरचना और कला, संगीत, नृत्य, वस्त्र आदि के रूप में इसकी असंख्य अभिव्यक्तियों में निहित है। आइए इस अमृतकाल में इसे मजबूत बनाने के लिए मिलकर काम करें और विकसित भारत बनाने के लिए संस्कृति को एक मजबूत सूत्र में पिरोएं।’’ उन्होंने बाद में पर्यटन मंत्रालय के रूप में प्रभार संभाला। हम आपको बता दें कि पिछली सरकार में वह जल शक्ति मंत्री रहे थे।

अश्विनी वैष्णव ने संभाला कामकाज

इसके अलावा, अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में कामकाज संभाला। वह आजादी के बाद से यह मंत्रालय संभालने वाले 35वें नेता हैं। वैष्णव ने अनुराग ठाकुर की जगह ली है जिन्होंने नरेन्द्र मोदी नीत पिछली राजग सरकार में करीब तीन साल तक इस मंत्रालय का कामकाज देखा। वैष्णव ने सूचना एवं प्रसारण सचिव संजय जाजू सहित वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में सूचना एवं प्रसारण मंत्री के तौर पर पदभार ग्रहण किया। उनके पास रेलवे और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी हैं। केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन भी इस मौके पर उपस्थित थे। वैष्णव ने कार्यभार संभालने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीब से गरीब लोगों की सेवा को अपने जीवन का ध्येय और सरकार का मुख्य उद्देश्य बना लिया है। उन्होंने किसानों, युवाओं के कल्याण और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए कदम उठाए हैं।’’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को दुनिया की पांचवीं सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाने के लिए काम किया है और यही वजह है कि भारत की जनता ने उनकी सरकार को आशीर्वाद दिया है। प्रशासनिक सेवा से राजनीति में आए 53 वर्षीय वैष्णव को पहली बार जुलाई 2021 में केंद्रीय मंत्री बनाया गया था। ओडिशा से राज्यसभा के सदस्य वैष्णव को 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यालय में उप सचिव नियुक्त किया गया था। वैष्णव ने आईआईटी कानपुर से पढ़ाई की है।

मनसुख मांडविया ने कार्यभार संभाला

इसके अलावा, मनसुख मांडविया ने श्रम मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया। कार्यभार संभालने के बाद मंडाविया ने मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की। उन्होंने भूपेंद्र यादव का स्थान लिया है। हालांकि, उन्होंने मंत्रालय में चुनौतियों या अपनी कार्ययोजना के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की। मांडविया को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार (राजग) में दूसरी बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। वह 2021 में कोविड-19 वैश्विक महामारी के चरम पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री थे। मांडविया के सामने बड़ी चुनौती श्रम सुधारों को लागू करना है, जिसके तहत 44 श्रम कानूनों को वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध तथा व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों पर चार संहिताओं में समेकित करना है। 

इसके अलावा, कर्नाटक से भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रहलाद जोशी ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया। इस मौके पर जोशी ने कहा कि उनकी प्राथमिकता सरकार के 100 दिन के एजेंडा को लागू करने तथा खाद्य सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत करने की रहेगी। हम आपको बता दें कि यह मंत्रालय पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता पीयूष गोयल के पास था। जोशी के कार्यभार संभालने के समय गोयल भी मौजूद थे।

जोशी ने कार्यभार संभालने के बाद पत्रकारों से कहा, ''मैंने आज खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया है। मैं प्रधानमंत्री का आभारी हूं जिन्होंने मुझे आम आदमी से जुड़े इस महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी दी है जहां हम 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराते हैं।’’ जोशी ने कहा कि मंत्रालय को दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना को लागू करने का दायित्व सौंपा गया है। उनकी प्राथमिकता 100 दिवसीय कार्यक्रम को लागू करने की है, जिसको उनके पूर्ववर्ती पहले ही आकार दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत खाद्यान्नों की खरीद तथा वितरण के लिए प्रणाली पहले से ही मौजूद है और उनका प्रयास इसे मजबूत बनाने का होगा। हम आपको बता दें कि जोशी को नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री का प्रभार भी सौंपा गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत पिछली सरकार में उनके पास कोयला, खान और संसदीय मामलों के विभागों का कार्यभार था।

किरेन रीजिजू ने विपक्ष से कही बड़ी बात

इसके अलावा, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा है कि वह संसद की कार्यवाही के सुचारू संचालन के लिए सभी को साथ लेकर चलने की पूरी कोशिश करेंगे। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संख्या बल के आधार पर संसद में एक-दूसरे को नीचा दिखाने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। रीजीजू ने अपने पूर्ववर्ती प्रह्लाद जोशी और राज्य मंत्रियों अर्जुन राम मेघवाल और एल मुरुगन की मौजूदगी में संसदीय कार्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा, ‘‘हमें संख्या बल के आधार पर एक-दूसरे को नीचा दिखाने की जरूरत नहीं है। लोग संसद के बाहर बाहुबल का इस्तेमाल करते हैं लेकिन सदन के अंदर हमें अच्छी बहस करनी चाहिए और मुखरता से अपनी बात रखनी चाहिए।’’ रीजीजू ने सभी राजनीतिक दलों से संसद की गरिमा बनाए रखने में योगदान देने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां सकारात्मक भाव से आया हूं। हम सभी को साथ लेकर चलने और संसद चलाने का पूरा प्रयास करेंगे।''

बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों के बीच विभागों का जिस तरह बंटवारा किया है उससे एक बात स्पष्ट हो गयी है कि भाजपा किसी दबाव में नहीं आयी है। एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण से पहले गठबंधन के घटक दलों की ओर से मंत्री पदों की संख्या और विभागों को लेकर दबाव बनाया जा रहा था। लेकिन प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार वह अपनी शर्तों और शैली के हिसाब से ही चलाएंगे। देखा जाये तो यह सही भी है। अगर शुरू में ही प्रधानमंत्री दबाव में आ जाते तो उन्हें आगे भी निरंतर दबाव ही झेलना पड़ता।

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