क्या थी रूबिया सईद के किडनैपिंग की पूरी कहानी, जिसमें 33 साल बाद यासीन मलिक को अपहरणकर्ता के तौर पर पूर्व गृह मंत्री की बेटी ने पहचाना
सीबीआई की वकील मोनिका कोहली ने कहा कि गवाह रूबैया सईद (पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बहन) का बयान आज अदालत में दर्ज किया गया। उसने (यासीन मलिक) को पहचान लिया है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद ने जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक और तीन अन्य को अपहरणकर्ताओं के रूप में पहचाना। महबूबा मुफ्ती की बहन सईद 1989 में उसके अपहरण से संबंधित एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत में पेश हुई थी। उन्हें पांच आतंकवादियों के बदले में रिहा किया गया था। संघीय जांच एजेंसी ने 1990 की शुरुआत में मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी। यह पहली बार है जब रुबैया सईद को मामले के सिलसिले में अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है।
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सीबीआई की वकील मोनिका कोहली ने कहा कि गवाह रूबैया सईद (पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बहन) का बयान आज अदालत में दर्ज किया गया। उसने (यासीन मलिक) को पहचान लिया है। सुनवाई की अगली तारीख 23 अगस्त है। उसने कुल 4 आरोपियों की पहचान की है। वकील अनिल सेठी से जब पूछा गया कि क्या सईद ने यासीन मलिक सहित अपने सभी अपहरणकर्ताओं की पहचान की है तो उन्होंने कहा कि हां, वह (पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बहन रुबैया सईद) सीबीआई जांच के दौरान उन्हें उपलब्ध कराई गई तस्वीरों के आधार पर सभी की पहचान करने में सक्षम है। रूबैया सईद का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील अनिल सेठी ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख 23 अगस्त को है। उन्हें (अगली सुनवाई में) आने के लिए कहा गया है। यासीन मलिक कह रहा था कि उसे जिरह के लिए व्यक्तिगत रूप से जम्मू लाया जाए। यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसे अगली तारीख पर जम्मू लाया जाता है या नहीं।
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रूबिया सईद अपहरण
8 दिसंबर 1989, शुक्रवार का दिन था। 23 साल की मेडिकल इंटर्न अपनी ड्यूटी खत्म करके लालदेड़ मेडिकल हॉस्पिटल के बाहर निकली। बाकी दिनों की तरह ही उस मेडिकल इंटर्न ने बस स्टाप पर थोड़ी देर इंतजार करने के बाद एक मिनी बस में सवार हो गई। रूबिया सईद मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी थी। जिन्होंने करीब पांच दिन पहले ही देश के पहले मुस्लिम गृह मंत्री के रूप में शपथ ली थी। बस एक जगह रूकी और कुछ लोग चढ़े। थोड़ी देर बाद बस ने अपने रास्ते की दिशा बदली और तीन लोग रूबिया सईद को घेर कर खड़े हो गए। उनमें से एक नाम यासिन मलिक का था। उनके खिलाफ अभी भी अपहरण का केस चल रहा है और रूबिया सईद की गवाही भी हो गई है। थोड़ी दूर जाने के बाद बस रूकी उन तीनों ने बंदूक निकालकर रूबिया सईद को बस से नीचे उतरने को कहा। 1989 में भारत सरकार ने जेकेएलएफ के कैदियों को रिहा किया और कुछ घंटों बाद रूबिया भी अपने घर पहुंच गई।
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