जब सरकारी खजाना हो गया था खाली ! तब मनमोहन सिंह के बजट भाषण ने बदली थी देश की किस्मत
कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने बजट पेश किया। 24 जुलाई 1991 के दिन उन्होंने अपने बजट भाषण में फ्रांसीसी विचारक विक्टर ह्यूगो का जिक्र करते हुए कहा कि धरती की कोई भी ताकत उस विचार को रोक नहीं सकती है, जिसका समय आ गया है।
नयी दिल्ली। भारत ने 30 साल पहले जो कदम बढ़ाए थे उसकी वजह से न सिर्फ देश कंगाल होने से बचा था बल्कि साख भी मजबूत हुई। नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए उदारीकरण का रास्ता अपनाया था। उस वक्त उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा था कि धरती की कोई भी ताकत उस विचार को रोक नहीं सकती है, जिसका समय आ गया है।
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दरअसल, उदारीकरण से पहले देश में लाइसेंस परमिट राज था। जिसके जरिए सरकार ही सबकुछ तय किया करती थी कि कंपनी का उत्पादन, काम करने वालों की संख्या और कीमत इत्यादि कितनी होनी चाहिए। लेकिन फिर कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने बजट पेश किया। 24 जुलाई 1991 के दिन उन्होंने अपने बजट भाषण में फ्रांसीसी विचारक विक्टर ह्यूगो का जिक्र करते हुए कहा कि धरती की कोई भी ताकत उस विचार को रोक नहीं सकती है, जिसका समय आ गया है।
उन्होंने 19 हजार शब्दों वाले अपने बजट भाषण में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का रास्ता दिखाया। दरवाजों को खोलने की बात कही गईं। दूसरी कंपनियों के भारत में निवेश का रास्ता साफ हो गया। लाइसेंस राज की खत्म हो गया। कंपनियों के बीच में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया गया। बहुत से नियमों में छूट दी गई। लेकिन ऐसा क्यों करना पड़ा ? हमें इसे भी समझना पड़ेगा।नरसिम्हा राव सरकार के इस बजट को देश की तकदीर बदलने वाले बजट के तौर पर देखा जाता है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को जाता है।इतिहास के पन्नों को खंगाले तो पता चलता है कि राजीव गांधी की सरकार के समय से ही भारत का खजाना खाली होने लगा था। उसके बाद वीपी सिंह और चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने तब तक हालत और भी बिगड़ गई थी। ऊपर से अमेरिका और ईराक के बीच युद्ध ने भी भारत को मुश्किल में डाल दिया था। जहां भारत पहले महीने में 500 करोड़ रुपए तेल में खर्च करता था वह बढ़कर 1200 करोड़ हो गया था। ऊपर से भारतीय खजाना भी खाली होता चला गया।इसे भी पढ़ें: वाजपेयी ने खोला था परमाणु परीक्षण का राज, जब नरसिम्हा राव ने कहा- बम तैयार है, आगे बढ़ सकते हो
IMF ने भारत को चेताया था
साल 1988 में आईएमएफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत को लेकर चिंता व्यक्त की थी। आईएमएफ ने बताया था कि भारत आर्थिक संकट की तरफ जा रहा है लेकिन लोन लेकर इससे बचा जा सकता है। उस वक्त राजीव गांधी भी आईएमएफ की सलाह से सहमत थे लेकिन लोकसभा चुनाव करीब होने की वजह से उन्होंने ध्यान नहीं दिया। साल 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में वीपी सिंह की सरकार बनी। उस वक्त उन्होंने कई बार अपने भाषणों में सरकारी खजाने के खाली होने की बात कही थी।वीपी सिंह सरकार के गिरने के बाद चंद्रशेखर के नेतृत्व में सरकार बनी। उस वक्त तक सरकारी खजाना और भी ज्यादा कम हो गया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बताया था कि भारत के पास 2 हफ्ते के आयात का खर्च उठाने लायक ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा हुआ था।चंद्रशेखर सरकार के समय भारत बहुत ज्यादा कर्ज में डूबा हुआ था। इसके बावजूद भारत को कर्ज लेने की जरूरत थी। उस वक्त भारत ने कई देशों से कम कीमत के कर्ज लिए थे। रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रशेखर सरकार ने तस्करी में बरामद किए गए सोने को स्विट्जरलैंड के एक बैंक में गिरवी रख दिया था। लेकिन उससे भी कुछ खास मदद नहीं मिल पाई थी।भारत की हालत लगातार खराब होती चली गई। तभी खाड़ी देशों में युद्ध भी शुरू हो गया। भारत के पास पहले से ही पैसों की कमी थी, ऊपर से युद्ध की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में भी इजाफा हो गया। भार लगातार बढ़ता ही जा रहा था और आर्थिक संकट से निकलने का रास्ता भी दिखाई नहीं दे रहा था। तब चंद्रशेखर सरकार ने आर्थिक संकट से निकलने के लिए आईएमएफ की तरफ रुख किया। उस वक्त आईएमएफ ने सरकार के सामने 25 शर्ते सामने रखी। लेकिन चंद्रशेखर सरकार गिर गई।इसे भी पढ़ें: ‘एक राष्ट्र, एक सॉफ्टवेयर’ योजना से भूमि विवादों पर लगेगी लगाम
चंद्रशेखर सरकार के गिरने के बाद साल 1991 में लोकसभा चुनाव हुए और नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने। उस वक्त कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया था तो नरसिम्हा राव दूसरे दलों की सहायता से प्रधानमंत्री बनने में सफल हो पाए थे। नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्री बनके बाद उनकी सबसे बड़ी चुनौती थी, भारत को आर्थिक संकट से बाहर निकालने की। तब उन्होंने चंद्रशेखर के आर्थिक सलाहकार रहे मनमोहन सिंह को वित्त मंत्रालय का जिम्मा सौंपा जो बाद में प्रधानमंत्री भी बने।
आर्थिक संकट से जूझ रहे देश को फौरी राहत देने के लिए नवसिम्हा राव सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के पास रखे सोने को चुपके से दो विदेशी बैंकों में गिरवी रख दिया था। लेकिन यह जानकारी सामने आ गई। तब आर्थिक संकट के बारे में लोगों को पता चला था। इसी के बाद तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने 19 हजार शब्दों वाला अपना बजट भाषण पढ़ा। जिसकी मदद से देश की किस्मत बदल गई।30 साल पुरानी बात को याद करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि मैंने कांग्रेस में कई साथियों के साथ मिलकर आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया में काम किया। मुझे बहुत खुशी और गर्व की अनुभूति होती है कि पिछले तीन दशकों में हमारे देश ने करीब 30 करोड़ भारतीय नागरिक गरीबी से बाहर निकले और करोड़ों नई नौकरियां आईं।
Today on 30th anniversary of incredible budget presented by the brilliant minds which transformed Indian Economy and placed our Nation into the list of progressive and prospersous Economy.
— Youth Congress (@IYC) July 24, 2021
We pay homage to the great leaders ! pic.twitter.com/FIPaRRQDcz
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