वाजपेयी ने खोला था परमाणु परीक्षण का राज, जब नरसिम्हा राव ने कहा- बम तैयार है, आगे बढ़ सकते हो
1996 के चुनाव से पहले नरसिम्हा राव परमाणु परीक्षण कर लेना चाहते थे। परीक्षण के पहले अमेरिकियों को इसकी जानकारी मिल गई थी। जिसके बाद नरसिम्हा राव को परीक्षण टालना पड़ा। वाजयेपी ने साल 2004 में कहा था कि राव के बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली, मुझे बताया था कि बम तैयार है, मैंने तो सिर्फ विस्फोट किया है।
आज जन्म जयंती पर उस प्रधानमंत्री की कहानी जिसने असल मायने में हिंदुस्तान की तकदीर बदलकर रख दी। पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव जिनकी100वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश राष्ट्रीय विकास में उनके व्यापक योगदान को याद करता है। नरसिम्हा राव का प्रधानमंत्री के रूप में शपथग्रहण तस्दीक करता है कि सियासत उम्र की मुहताज नहीं होती और रियारमेंट एज में भी सियासतदां के लिए राजयोग का संयोग बन सकता है। हिन्दुस्तान के दसवें प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के साथ भी यही हुआ। बताया जाता है कि सियासत में अपने लंबे करियर के बाद नरसिम्हा राव पोस्ट रिटायरमेंट लाइफ की तैयारी में जुटे थे। वो दिल्ली से हैदराबाद शिफ्ट करने की पूरी तैयारी कर चुके थे। वैसे नरसिम्हा राव के कुछ मित्र और ज्योतिषी ये जरूर कह रहे थे कि उन्हें वापस दिल्ली आना होगा। और उनकी बात सच साबित हुई।
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नरसिम्हा राव को अलग-अलग लोग अलग-अलग तरह से याद करते हैं कोई उन्हें मौनी बाबा कहे, कोई बाबरी मस्जिद के ढहने के लिए जिम्मेदार कहे, कोई भारत इजराइल संबंधों की मजबूत शुरुआत करने वाला नेता बताए। कोई न्यूक्लियर बम की तैयारी करने वाला कहे। कोई इकनामिक पॉलिसी में बदलाव लाने वाला कहे। लेकिन सच तो ये है कि राव ने अपने पांच साल के कार्यकाल में इस देश की फॉरेन पॉलिसी रक्षा नीति जैसी तमाम चीजों को बदल दिया। भारत देश के जितने भी प्रधानमंत्री रहे हैं उनकी शख्सियत अलग थी उनके बात करने का तरीका अलग था। उनकी राजनीतिक समझ अलग थी। जब नरसिम्हा राव प्रधान मंत्री बने तो कांग्रेसी दिग्गजों का अन्दाज था कि वो एक लघु कथा के फुटनोट हैं और शीघ्र ही सोनिया गांधी अपनी पारिवारिक वसीयत संभाल लेंगी। किसे पता था कि नरसिम्हा राव एक लम्बे, नीरस ही सही, उपन्यास का रूप ले लेंगे और पूरे पांच वर्ष तक प्रधानमंत्री पद पर डटे रहेंगे।
अमेरिकी दबाव में टाला परीक्षण और अटल से कही ये बात
बताया जाता है कि 1996 के चुनाव से पहले नरसिम्हा राव परमाणु परीक्षण कर लेना चाहते थे। लेकिन ये भी कहा जाता है कि परीक्षण के पहले अमेरिकियों को इसकी जानकारी मिल गई थी। जिसके बाद नरसिम्हा राव को परीक्षण टालना पड़ा। 15 दिसंबर 1995 में न्यूयार्क टाइम्स में अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से हिन्दुस्तान में परमाणु परीक्षण की खबर छपी थी। बताया जाता है कि इसके बाद खुद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने नरसिम्हा राव से फोन पर बात की थी। जिसके बाद दबाव की वजह से उन्हें इस योजना को छोड़ना पड़ा था। 26 दिसंबर 2004 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक कार्यक्रम था। साहित्यिक संस्था के शताब्दी समारोह का समापन का मौका था। अटल बिहारी वाजपेयी भी इस प्रोग्राम में शरीक हुए थे। दो शब्द कहने की बारी आई, तो पोखरण का जिक्र कर वह बोले- लोग एटम के लिए श्रेय मुझको देते हैं, लेकिन इसका क्रेडिट तो नरसिम्हा राव जी को है। अटल बिहारी वाजयेपी ने साल 2004 में कहा था कि उन्होंने मई 1996 में जब नरसिंह राव के बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली, तो राव ने मुझे बताया था कि बम तैयार है, मैंने तो सिर्फ विस्फोट किया है।
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