कांग्रेस से बिखरती जा रही राहुल की युवा बिग्रेड, क्या नहीं दिख रहा भविष्य?
समय-समय पर युवा बिग्रेड पार्टी के खिलाफ मुखर आवाज उठाते रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया तो पिछले साल ही भाजपा में शामिल हो गए। अब जितिन प्रसाद ने भी कांग्रेस को झटका देते हुए भगवा दामन थाम लिया।
जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद एक बार फिर से देश की सबसे पुरानी पार्टी को लेकर चर्चा जारी है। सबसे ज्यादा इस बात की चर्चा हो रही है कि क्या कांग्रेस में युवा नेताओं को भविष्य नहीं दिख रहा? क्या पार्टी सबको साथ लेकर चलने में कामयाब नहीं हो पा रही है? पार्टी में किसी की सुनवाई नहीं हो रही है? इसके साथ ही यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या पार्टी युवा बिग्रेड और पुराने नेताओं के बीच बंट गई है? समय-समय पर युवा बिग्रेड पार्टी के खिलाफ मुखर आवाज उठाते रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया तो पिछले साल ही भाजपा में शामिल हो गए। अब जितिन प्रसाद ने भी कांग्रेस को झटका देते हुए भगवा दामन थाम लिया।
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सिंधिया और जितिन के बाद अब भी ऐसे कई युवा नेता हैं जिनको लेकर कयासों का बाजार गर्म है। सचिन पायलट, मिलिंद देवड़ा, भंवर जितेंद्र सिंह, आरपीएन सिंह जैसे युवा चेहरा फिलहाल चर्चा में हैं। सिंधिया और जितिन के साथ-साथ यह तमाम नेता राहुल गांधी की उस टीम में थे जो पार्टी के बड़े बड़े फैसले लिया करती थी। यह लोग राहुल गांधी के सलाहकार भी हुआ करते थे। अब चर्चा इस बात की हो रही है कि जितिन के बाद अगला नंबर किसका है? उधर मिलिंद देवड़ा ने गुजरात सरकार के तारीफ करने के साथ ही कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है। सिंधिया और जितिन के अलावा अशोक तंवर भी पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। यह वह नेता हैं जिन्हें पार्टी ने बहुत कुछ दिया था। अब राहुल के नेतृत्व और उनके टीम चयन की क्षमता पर भी सवाल उठ रहे है।
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हालांकि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह सभी नेता कांग्रेस के सच्चे सिपाही थे। परंतु राहुल के अध्यक्ष पद से हटने के बाद और सोनिया गांधी की टीम के सक्रिय होने के बाद से पार्टी के अंदर इन्हें अपना भविष्य नहीं दिख रहा था। पार्टी में उन लोगों को ज्यादा महत्व दिया जाने लगा जो राहुल के समय हासिए पर थे। इसके अलावा पार्टी चुनावी हार के बाद भी उस तरह से मंथन नहीं कर रही है जिससे कि उसे मजबूती मिल सके। वर्तमान में देखें तो जितिन के जाने और सचिन पायलट के विरोधी सुरों के टाइमिंग पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। कहीं ना कहीं पार्टी को यह नेता कड़े और बड़े संदेश देने की लगातार कोशिश करते रहे हैं। इस बात की चर्चा तेज हो गई है क्या सचिन पायलट भी पार्टी छोड़ देंगे?
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दूसरी तरफ देखे तो मिलिंद देवड़ा काफी समय से नाराज चल रहे हैं और उन्हें मनाने की अब तक कोई कोशिश नहीं की गई है। कांग्रेस में युवाओं को आगे बढ़ाने से ज्यादा वर्तमान में बुजुर्गों को ही महत्व दिया जा रहा है। यही कारण है कि पार्टी की अगली पीढ़ी बिखरती हुई नजर आ रही है। इसमें कहीं दो राय नहीं है कि राहुल की टीम में जो भी नेता थे वह सब पढ़े लिखे और आधार वाले नेता थे। ऐसे में यह सभी नेता पार्टी के लिए लंबे समय तक अपनी सेवा दे सकते थे। यूपी चुनाव से पहले जितिन प्रसाद का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका हो या नहीं हो लेकिन यह बात तो तय है कि इससे कांग्रेस के सवर्ण वोट में बिखराव जरूर आएगा।
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