सिंधिया-जितिन के बाद अब सिद्धू और पायलट की बारी, क्या पर्दे के पीछे हो रही तैयारी?
सचिन पायलट के कई समर्थक विधायक या तो नाराज चल रहे हैं या इस्तीफा तक देने की धमकी दे चुके हैं। आपको बता दें कि पिछले साल सचिन पायलट बगावती तेवर अपना चुके हैं। हालांकि कांग्रेस उन्हें मनाने में कामयाब रही थी।
कांग्रेस छोड़कर जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद से ही दो नामों को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। यह दो नाम हैं सचिन पायलट और नवजोत सिंह सिद्धू। दोनों कांग्रेस के युवा बिरादरी के नेता हैं। परंतु आजकल पार्टी से खफा-खफा हैं। जितिन प्रसाद के भाजपा का दामन थामने के बाद से ही इस बात की अटकलबाजी तेज हो गई है कि सचिन पायलट और नवजोत सिंह सिद्धू भी भाजपा में शामिल हो सकता हैं।
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पिछले साल ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा का दामन थामने के बाद से ही लगातार यह दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस के युवा बिग्रेड के कई ऐसे नेता हैं जो पार्टी से नाराज चल रहे हैं। इसमें समय समय पर कुलदीप बिश्नोई, मिलिंद देवरा, संजय निरुपम जैसे नेताओं का नाम भी सामने आता है। इन सब के बीच अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कहीं सचिन पायलट भी तो बागी नहीं बन जाएंगे? सचिन पायलट के हाल के बयानों को देखे तो कांग्रेस के लिए अच्छी खबर नहीं है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ उनकी नाराजगी जगजाहिर है। लेकिन सचिन पायलट ने हाल में ही अपने बयान से यह बताने की कोशिश की कि 10 महीने बाद भी उनसे किए गए वादे को पूरा नहीं किया गया है। सचिन पायलट के कई समर्थक विधायक या तो नाराज चल रहे हैं या इस्तीफा तक देने की धमकी दे चुके हैं। आपको बता दें कि पिछले साल सचिन पायलट बगावती तेवर अपना चुके हैं। हालांकि कांग्रेस उन्हें मनाने में कामयाब रही थी।
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नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर भी चर्चा तेज है। कांग्रेस ने एक बार फिर से पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही है। लेकिन सिद्धू और कैप्टन के बीच छत्तीस के आंकड़े हैं। सिद्धू को कांग्रेस में शामिल होने के बाद इस बात की उम्मीद थी कि वह मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। हालांकि 2017 के चुनाव में सिद्धू को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया गया। उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि 2022 के चुनाव में वह अपनी लड़ाई लड़ने में कामयाब रहेंगे। हालांकि कांग्रेस की ओर से साफ कह दिया गया है कि सीएम का चेहरा तो कैप्टन ही होंगे। इसके बाद सिद्धू को लेकर अटकलबाजी तेज हो गई है। क्या सिद्धू एक बार फिर से घर वापसी करेंगे? इस बात की चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि भाजपा पंजाब में अकाली दल से अलग हो गई है। सिद्धू को आपत्ति अकाली दल से थी, भाजपा से नहीं। अब जबकि पंजाब में भाजपा खेले हैं ऐसे में उसे भी मजबूत चेहरे की जरूरत है। वर्तमान में देखें तो सिद्धू के लिए भाजपा और भाजपा के लिए सिद्धू दोनों ही फिट बैठते हैं।
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सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत की। इसका कारण यह हुआ कि मध्य प्रदेश में सरकार गिर गई। सिंधिया फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं। इस बात की चर्चा तेज है कि अब सिंधिया को मोदी कैबिनेट में जगह मिल सकती है। जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद से पार्टी को उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण का बड़ा चेहरा मिल गया है। पार्टी उत्तर प्रदेश चुनाव में जितिन प्रसाद को पूरी तरह से भुनाने की कोशिश करेगी।
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