राहुल गांधी की चुनावी यात्रा संकल्प कम और डैमेज कंट्रोल अधिक लग रही, जानें क्यों

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प्रतिरूप फोटो
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रितिका कमठान । Oct 2 2024 11:51AM

ऐसा लगता है कि हरियाणा में चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस के पास कोई ठोस रणनीति नहीं बची है। मतदाताओं को क्या बताना है, इस बारे में पार्टी की दुविधा दो बार चुनावी घोषणापत्र जारी करने की मजबूरी से जाहिर हो गई है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 30 सितंबर (सोमवार) से 3 अक्टूबर (गुरुवार) तक हरियाणा विजय संकल्प यात्रा शुरू की है। कांग्रेस सांसद की यह यात्रा चार दिनों में राज्य के विभिन्न जिलों से होकर गुजरने वाली है। इसका उद्देश्य स्पष्ट है, विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की स्थिति मजबूत किया जाए, लेकिन, यात्रा को लेकर किए जा रहे प्रचार और उसकी जमीनी हकीकत में बहुत अंतर है।

कांग्रेस ने घुटने टेकने शुरू किए 

ऐसा लगता है कि हरियाणा में चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस के पास कोई ठोस रणनीति नहीं बची है। मतदाताओं को क्या बताना है, इस बारे में पार्टी की दुविधा दो बार चुनावी घोषणापत्र जारी करने की मजबूरी से जाहिर हो गई है। सबसे पहले कांग्रेस ने दिल्ली से घोषणापत्र जारी किया।

फिर जब कांग्रेस के रणनीतिकारों को यह अहसास होने लगा कि भाजपा का घोषणापत्र पहले से ही मतदाताओं को आकर्षित कर रहा है और मतदाता इसमें काफी रुचि ले रहे हैं, तो उन्हें चंडीगढ़ से दूसरा घोषणापत्र जारी करने पर मजबूर होना पड़ा। ऐसी कमजोर रणनीति से ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से पहले ही आत्मसमर्पण करना शुरू कर दिया है।

हरियाणा संकल्प यात्रा के माध्यम से अपने कर्मों से ध्यान भटकाने का प्रयास!

जिस तरह कांग्रेस घोषणापत्र को लेकर असमंजस में है, उसी तरह लगता है कि राहुल गांधी के दौरे का मकसद भी वह नहीं है जो सतह पर दिखाने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, ऐसा लगता है कि इसके जरिए पार्टी आम जनता का ध्यान अपनी कार्रवाइयों से भटकाने की कोशिश कर रही है।

 

आरक्षण पर राहुल के बयान और शैलजा के अपमान से कांग्रेस संकट में

क्योंकि, ऐसा लगता है कि अमेरिका में राहुल गांधी के आरक्षण खत्म करने और दलित नेता कुमारी शैलजा को हाशिए पर धकेलने संबंधी बयान को लेकर पार्टी में घमासान मचा हुआ है और पार्टी को लगता है कि संकल्प यात्रा निकालकर वह मतदाताओं की नजरों में अपने राजनीतिक पाप धो सकती है।

राहुल की अमेरिका यात्रा महंगी साबित हो रही 

सच तो यह है कि राहुल गांधी ने अपनी हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान अपने बयानों से इतने विवाद पैदा कर दिए हैं कि कांग्रेस को उन दागों को धोने में दशकों लग जाएंगे। इसी कारण राहुल के सभी सेनापति अब इस बात की तलाश में जुट गए हैं कि किसी तरह कांग्रेस पार्टी को इस चुनावी भंवर से बाहर निकाला जाए। राहुल के बयानों ने समाज के विभिन्न वर्गों को गहरी ठेस पहुंचाई है। इसी तरह हरियाणा में कांग्रेस की सबसे बड़ी दलित नेता को पहले अपमानित किया गया और जब वह प्रचार से गायब हो गईं तो कांग्रेसियों को चिंता सताने लगी। शैलजा अभी भी हाशिए पर हैं और यह बात प्रदेश के समझदार मतदाताओं से छिपी नहीं है। इसलिए पार्टी संकल्प यात्रा के जरिए लोगों का ध्यान इस हकीकत से हटाने के लिए उनकी आंखों में धूल झोंकने की कोशिशों से बाज नहीं आ रही है।

राहुल की यात्रा में संकल्प कम और क्षति नियंत्रण अधिक

तीसरी बात यह है कि जिन राज्यों में कांग्रेस ने आकर्षक वादे और गारंटी दिखाकर सरकारें बनाईं, लेकिन उन्हें लागू करने में बुरी तरह विफल रही, अब पार्टी संकल्प यात्रा के जरिए इस हकीकत को छिपाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में लगता है कि राहुल का रोड शो संकल्प कम और उनकी नीतियों के कारण कांग्रेस को हुए नुकसान की भरपाई ज्यादा है। इस तरह राहुल की यात्रा कांग्रेस और उसके नेता की नाकामियों को छिपाने की चाल लगती है, क्योंकि न तो हरियाणा में उसके प्रमुख नेता पूरे मन से उसके साथ नजर आते हैं और न ही उनके पास राज्य की तरक्की के लिए कोई ठोस रोडमैप है।

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