न सिद्धू न जाखड़ और न ही रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी ने बाजी मारी, जानें इनके बारे में संपूर्ण जानकारी, पहली बार पंजाब में दलित नेता को मिली बागडोर
कांग्रेस आलाकमान की तरफ से दलित समाज से आने वाले चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर मुहर लग गई है। उन्होंने राजभवन जाकर राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मुलाकात की।
अफवाहें, अटकलें, अनुमान और आशंकाएं कि अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद पंजाब का अगला कैप्टन कौन होगा? प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ के नाम को लेकर उठती अटकलों के बीच एक समय तो ऐसा लगा कि सुखजिंदर रंधावा ने बाजी मार ली है। लेकिन कांग्रेस आलाकमान की तरफ से दलित समाज से आने वाले चरणजीत सिंह चन्नी ने बाजी मार ली है। उन्होंने राजभवन जाकर राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मुलाकात की। गौरतलब है कि 18 सितंबर को कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद से ही नए मुख्यमंत्री के नाम पर तमाम कयास लगाए जा रहे थे। 18 तारीख़ की शाम 5 बजे ही कांग्रेस विधायकों की बैठक थी। लेकिन इसके बाद कोई नाम नहीं निकला। अब करीब 24 घंटे के सस्पेंस के बाद नए सीएम के नाम का ऐलान कर दिया गया है। सोमवार को चन्नी सीएम पद की शपथ ले सकते हैं।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद क्या बोले चन्नी
शाम को चरणजीत सिंह चन्नी ने हरीश रावत के साथ राज्य के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मुलाकात की। राजभवन से बाहर निकलने के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि शाम 5 बजे कांग्रेस की मीटिंग हुई और कांग्रेस विधायकों की सर्वसम्मति से जो फैसला लिया उसे राज्यपाल को अवगत कराया गया। सोमवार को 11 बजे पंजाब के नये सीएम पद का शपथ ग्रहण होगा।
अमरिंदर ने दी बधाई
चरणजीत सिंह चन्नी को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बधाई दी है। इसके साथ ही सिद्धू पर इशारों-इशारों में तंज कसते हुए कहा कि अब पंजाब की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। कैप्टन ने कहा कि चरणजीत सिंह चन्नी को मेरी शुभकामनाएं। मुझे उम्मीद है कि वह पंजाब के सीमावर्ती राज्य को सुरक्षित रखने और सीमा पार से बढ़ते सुरक्षा खतरे से हमारे लोगों की रक्षा करने में सक्षम होंगे।
‘My best wishes to Charanjit Singh Channi. I hope he’s able to keep the border state of Punjab safe and protect our people from the growing security threat from across the border’: @capt_amarinder pic.twitter.com/oO2F6JUZ6J
— Raveen Thukral (@RT_Media_Capt) September 19, 2021
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पहले दलित मुख्यमंत्री होंगे
चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र के विधायक चरणजीत सिंह चन्नी ने अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में तकनीकी शिक्षा और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री थें। चन्नी पंजाब राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री होंगे। चरणजीत सिंह चन्नी रामदासिया समुदाय (सिख दलित) से आते हैं। चमकौर से तीसरी बार विधायक रहे चन्नी 2015-2016 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं। राहुल के करीबी माने जाने वाले चन्नी 2007 में पहली बार चमकौर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे।
कैप्टन के खिलाफ खोला था मोर्चा
कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विधायकों में से एक नाम चरणजीत सिंह चन्नी का भी नाम था। मई के महीने में ही कैप्टन सरकार में मंत्री रह चुके चन्नी ने छह महीने पहले अपने आवास पर दो मंत्रियों और 12 विधायकों की मौजूदगी में लंबी बैठक की थी।
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#MeToo मामले को लेकर सुर्खियं में रह चुके हैं
चरणजीत सिंह चन्नी को #MeToo से जुड़े 3 साल पुराने एक मामले में कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा था। उन पर आरोप था कि चन्नी ने एक महिला आईएएस अधिकारी को साल 2018 में गलत मैसेज भेजा था। हालांकि महिला आईएएस ऑफिसर ने इस मामले को लेकर शिकायत दर्ज नहीं की थी और उस समय अमरिंदर सिंह ने भी कहा था कि मामला सुलझा लिया गया। लेकिन बाद में मामला तब एक बार फिर सामने आया जब पंजाब महिला आयोग ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार को नोटिस भेजा। हालांकि उस वक्त चन्नी की तरफ से ये आरोप लगाया गया था कि सीएम अब उन्हें उनके पुराने मामलों को लेकर परेशान कर रहे हैं और जांच बैठा रहे हैं।
क्या बड़ी चुनौतियां होगी?
शेष कार्यकाल का समय जो चरणजीत सिंह चन्नी को मिला है, उनके सामने आने वाली चुनौतियां बड़ी होगी। कांग्रेस ने दलित कार्ड तो खेला है। चरणजीत चन्नी अमरिंदर सिंह की ब्यूरोक्रेसी से कैसे काम लेंगे। इसके अलावा सुखजिंदर रंधावा व परगट सिंह को कोई बड़ा मंत्रालय मिलेगा। कहा जा रहा है कि पंजाब कांग्रेस में सीएम पद के झगड़े को समाप्त करने के लिए चन्नी को मुख्यमंत्री पद दिया गया है। लेकिन तमाम गृह और हेवीवेट मंत्रालय का बंटवारा संतुलित ढंग से किया जाएगा। बड़ा सवाल ये है कि उन नेताओं की क्या भूमिका होगी जो सीएम बनते-बनते रह गया या फिर उन्हें बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गुठबाजी थमेगी।
सिद्धू-जाखड़ इस तरह छूटे पीछे
सुनील जाखड़ के नाम को लेकर खूब बातें की गईं, हालांकि कांग्रेस के कुछ नेता सिख चेहरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी दिए जाने की सिफारिश कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार नवजोत सिंह सिद्धू भी मुख्यमंत्री पद के लिए दौड़े लेकिन वे नहीं जीते। सिद्धू ने खुद हाईकमान से मुख्यमंत्री पद की मांग की थी। सिद्धू ने आलाकमान पर दबाव बनाने की भी कोशिश की थी। लेकिन अंत में सिद्धू के न बनने की सूरत में एक बड़ा खेल कर गए और रंधावा का भी पत्ता कट गया व चन्नी के नाम पर मुहर लग गई।
अंबिका सोनी ने ऑफर ठुकराया
कांग्रेस आलाकमान की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने पर विचार किया जा रहा था। लेकिन अंबिका सोनी की तरफ से इस ऑफर को ठुकरा दिया गया है। कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य कारणों की वजह से अंबिका सोनी ने यह ऑफर ठुकरा दिया। उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा कि कांग्रेस की पंजाब इकाई में कोई टकराव नहीं है और जल्द ही सबकुछ ठीक हो जाएगा। यह पूछे जाने पर क्या उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रस्ताव दिया गया है तो सोनिया गांधी की करीबी मानी जाने वाली अंबिका ने कहा, ‘‘मैंने इनकार कर दिया है। मेरा 50 साल से मानना है कि पंजाब का मुख्यमंत्री कोई सिख होना चाहिए क्योंकि यह देश में एकमात्र राज्य है जहां सिख बहुसंख्यक हैं।
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