BPSC छात्रों के प्रदर्शन में शामिल हुए प्रशांत किशोर, गांधी मैदान में बुलाई छात्र संसद
प्रशांत किशोर ने कहा कि समाज का कोई भी वर्ग अगर सरकार के सामने अपनी बात कहने आता है तो उस पर लाठियां बरसाना एक तरीका बन गया है। यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।
जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के उन अभ्यर्थियों के साथ शामिल हो गए हैं जो 70वीं बीपीएससी परीक्षा की दोबारा परीक्षा की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। इस दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि सबने मिलकर तय किया है कि बिहार के बच्चों के भविष्य के लिए... कल सभी छात्र, सभी युवा, अपने भविष्य को लेकर चिंतित लोग एक साथ गांधी मैदान में गांधी प्रतिमा के नीचे बैठेंगे और मिलकर योजना तय की जायेगी कि कैसे बिहार के छात्रों का भविष्य बचाया जा सकता है।
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किशोर ने आगे कहा कि ये पूरा आंदोलन छात्रों का है, इसका नेतृत्व छात्र ही करेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है, इसे कोई नीतीश कुमार, कोई नेता लाठीतंत्र नहीं बना सकता। इससे पहले शुक्रवार को पटना के गर्दनीबाग में छात्रों से बात करते हुए, किशोर ने छात्रों पर 'लाठीचार्ज' की निंदा की और एनडीए के नेतृत्व वाली सरकार से दो बिंदुओं पर तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया। नीतीश सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में पिछले 1-2 साल से लोकतंत्र को 'लाठीतंत्र' में बदल दिया गया है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि समाज का कोई भी वर्ग अगर सरकार के सामने अपनी बात कहने आता है तो उस पर लाठियां बरसाना एक तरीका बन गया है। यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को छात्रों की बात सुननी होगी। यदि समाज का कोई भी वर्ग लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रख रहा है तो उस पर लाठीचार्ज करने का कोई अधिकार नहीं है। मैं छात्रों के साथ खड़ा रहूंगा। दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। हम छात्रों पर बल प्रयोग के खिलाफ हैं।
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पीके ने आगे कहा कि सरकार को छात्र प्रतिनिधियों से मिलकर दोबारा परीक्षा कराने की उनकी मांग पर विचार करना चाहिए। कल एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार को अविलंब मृतक के परिवार के लिए 10,00,000 रुपये के मुआवजे की घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सरकार को उनका "अल्टीमेटम" था, उन्होंने चेतावनी दी कि यदि तीन दिनों के भीतर समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वह विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे खड़े होंगे।
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