न्यायाधीशों के लिए राजनीति प्रासंगिक नहीं, भारत की विविधता न्यायपालिका में दिखनी चाहिए: रमण

NV Ramana

न्यायमूर्ति रमण अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति स्टीफन ब्रेयर के साथ द्वितीय तुलनात्मक संवैधानिक कानून परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह न्यायमूर्ति ब्रेयर के इस विचार से सहमत हैं कि ‘‘न्यायाधीश का काम राजनीतिक नहीं है।’’

नयी दिल्ली| प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन. वी. रमण ने सोमवार को कहा कि न्यायाधीश बनने के बाद राजनीति प्रासंगिक नहीं होती और न्यायाधीशों का मार्गदर्शन संविधान ही करता है। उन्होंने कहा कि भारत की विशाल सामाजिक और भौगोलिक विविधता न्यायपालिका के सभी स्तरों पर प्रतिबिंबित होनी चाहिए क्योंकि इससे दक्षता में सुधार होगा।

न्यायमूर्ति रमण अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति स्टीफन ब्रेयर के साथ द्वितीय तुलनात्मक संवैधानिक कानून परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह न्यायमूर्ति ब्रेयर के इस विचार से सहमत हैं कि ‘‘न्यायाधीश का काम राजनीतिक नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं वास्तव में न्यायमूर्ति ब्रेयर के इस कथन की सराहना करता हूं- न्यायाधीश का काम राजनीतिक नहीं है। यह वास्तव में एक अद्भुत कथन है। एक बार जब हमने संविधान की शपथ ले ली, एक बार जब आप न्यायाधीश के रूप में काम करना शुरू कर देते हैं, तो मुझे लगता है कि राजनीति अब प्रासंगिक नहीं है। यह संविधान है जो हमारा मार्गदर्शन करता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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