Porsche Car Accident : पुलिस जाँच में खुलासा, नाबालिग चालक के ब्लड सैंपल उसकी मां के खून के नमूने से बदले गए

Porsche Car Accident
प्रतिरूप फोटो
ANI

फॉरेंसिक प्रयोगशाला की एक रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि पोर्श कार दुर्घटना मामले के आरोपी 17 वर्षीय किशोर के रक्त के नमूनों को बदलने के लिए उसकी मां के खून का इस्तेमाल किया गया था। पुणे पुलिस ने बुधवार को एक अदालत में यह जानकारी दी। इस बीच, किशोर न्याय बोर्ड ने आरोपी नाबालिग की सुधार गृह हिरासत 12 जून तक बढ़ा दी है।

पुणे। फॉरेंसिक प्रयोगशाला की एक रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि पोर्श कार दुर्घटना मामले के आरोपी 17 वर्षीय किशोर के रक्त के नमूनों को बदलने के लिए उसकी मां के खून का इस्तेमाल किया गया था। पुणे पुलिस ने बुधवार को एक अदालत में यह जानकारी दी। इस बीच, किशोर न्याय बोर्ड ने आरोपी नाबालिग की सुधार गृह हिरासत 12 जून तक बढ़ा दी है। सत्र अदालत ने पुलिस के अनुरोध पर आरोपी नाबालिग के माता-पिता की पुलिस हिरासत 10 जून तक बढ़ा दी है। यहां सत्र अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने बताया कि फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि शिवानी अग्रवाल के रक्त के नमूनों का इस्तेमाल उसके किशोर बेटे के रक्त के नमूनों के स्थान पर किया गया था। 

हादसे के बाद 19 मई को नाबालिग के रक्त नमूनों को कथित तौर पर बदल दिया गया था, ताकि यह प्रदर्शित किया जा सकते कि दुर्घटना के वक्त उसने शराब का सेवन नहीं किया था। रक्त नमूनों में हेरफेर का मामला सामने आने के बाद ससून अस्पतालके दो चिकित्सकों और एक कर्मचारी को पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था। ऐसा संदेह है कि चिकित्सकों में से एक किशोर के पिता के संपर्क में था। पुणे के कल्याणी नगर में 19 मई को एक किशोर ने कथित तौर पर अपनी पोर्श कार से मोटरसाइकिल से जा रहे दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को कुचल दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गयी थी। पुलिस ने दावा किया कि वह नशे की हालत में कार चला रहा था। आरोपी नाबालिग की मां को साजिश के आरोप में एक जून को गिरफ्तार किया गया था। 

पुलिस ने बुधवार को नाबालिग के माता-पिता, दोनों चिकित्सकों और अस्पताल के कर्मचारी को शुरुआती पुलिस हिरासत खत्म होने के बाद अदालत में पेश किया। अदालत ने चिकित्सकों और अस्पताल कर्मचारी की हिरासत सात जून तक बढ़ा दी। आरोपी किशोर रियल एस्टेट कारोबारी विशाल अग्रवाल का बेटा है। उसे घटना के तुरंत बाद जेजेबी द्वारा जमानत दे दी गई थी और उसे सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, आम लोगों में आक्रोश के बाद पुलिस ने मामले की पुनः जांच की, जिसके परिणामस्वरूप प्रारंभिक आदेश में संशोधन किया गया और किशोर को पांच जून तक सुधार गृह में रखा गया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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