मोदी और पवार की जुगलबंदी देख I.N.D.I.A. के उड़े होश, PM Modi को मिला पुरस्कार तो Sharad Pawar ने बजाई ताली कई बार

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खास बात यह भी रही कि जब मोदी पुणे पहुँचे तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ दूसरे उपमुख्यमंत्री और पवार के भतीजे अजित पवार भी प्रधानमंत्री की अगवानी करने पहुंचे थे। यानि भतीजे ने प्रधानमंत्री की अगवानी की और चाचा ने प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा किया।

विपक्षी गठबंधन इंडिया के नेताओं की ओर से बार-बार मना करने के बावजूद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक नेता शरद पवार नहीं माने और पुणे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक कार्यक्रम में मंच साझा किया। पवार के इस कदम से जहां विपक्षी नेताओं के बीच उनको लेकर अविश्वास बढ़ा है तो वहीं प्रधानमंत्री ने पवार की मौजूदगी में यह कह कर कि एक दूसरे पर भरोसा ही देश को मजबूत बनायेगा, विपक्षी दलों के बीच बढ़ती अविश्वास की खाई को और गहरा दिया है। खास बात यह रही कि मंच पर मोदी और पवार जिस गर्मजोशी के साथ मिले उसको देखते हुए विपक्षी गठबंधन के नेताओं का आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक है। जिन मोदी पर कुछ दिन पहले पवार अपनी पार्टी को तोड़ने का आरोप लगा रहे थे उन्हीं के साथ आज वह मंच भी साझा कर रहे थे और जब प्रधानमंत्री को लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया तब पवार तालियां भी बजा रहे थे। यही नहीं, प्रधानमंत्री ने विदेशी आक्रमणकारियों के नाम पर रखी गयी चीजों के नाम बदलने का भी समर्थन किया। इस दौरान पवार मुस्कुरा रहे थे जबकि कुछ दिनों पहले जब महाराष्ट्र में औरंगजेब तथा अन्य मुद्दों को लेकर तनाव पैदा हुआ था तो एनसीपी ने इसके लिए भाजपा की सोच को जिम्मेदार ठहराया था। एक खास बात यह भी रही कि जब मोदी पुणे पहुँचे तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ दूसरे उपमुख्यमंत्री और पवार के भतीजे अजित पवार भी प्रधानमंत्री की अगवानी करने पहुंचे थे। यानि भतीजे ने प्रधानमंत्री की अगवानी की और चाचा ने प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा किया। यह सब दृश्य देखकर विपक्षी गठबंधन के मन में यह सवाल उठ रहा है कि कहीं मोदी और पवार मिलकर कोई खेला तो नहीं कर रहे हैं?

प्रधानमंत्री का पुणे दौरा

जहां तक प्रधानमंत्री के पुणे दौरे की बात है तो उन्होंने शुरुआत दगडूशेठ मंदिर में पूजा-अर्चना से की। उसके बाद उन्होंने पुरस्कार समारोह में भाग लिया और कुछ सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से मुलाकात की तथा पुणे मेट्रो के नये चरणों को हरी झंडी दिखाई। जहां तक पुरस्कार समारोह में प्रधानमंत्री के भाषण की बात है तो आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार ग्रहण करते हुए कहा कि एक-दूसरे पर भरोसा ही देश को मजबूत बनाएगा। मोदी ने कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि अगर अविश्वास का माहौल है तो विकास असंभव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकमान्य तिलक स्वतंत्र प्रेस के महत्व का समझते थे। मोदी ने कहा, ‘‘उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदल दी। अंग्रेजों ने उन्हें भारतीय अशांति का जनक कहा था।’’ उन्होंने कहा कि वह लोकमान्य तिलक के नाम पर पुरस्कार पाकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रिम कतार में थे।

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मोदी ने कहा, ‘‘अगर विदेशी आक्रमणकारियों के नाम पर रखी गई चीजों का नाम बदल दिया जाता है तो आज कुछ लोग असहज हो जाते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोकमान्य तिलक में युवा प्रतिभाओं की पहचान करने की अनूठी क्षमता थी। वीर सावरकर इसका एक उदाहरण थे।’’ मोदी ने कहा कि तिलक को वीर सावरकर की क्षमता का एहसास हुआ और उन्होंने विदेश में उनकी शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, ‘‘जब किसी पुरस्कार का नाम लोकमान्य तिलक के नाम पर रखा जाता है तो जिम्मेदारी बढ़ जाती है।’’ प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई में पुणे के योगदान की भी सराहना की।

इस अवसर पर शरद पवार ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में पहली सर्जिकल स्ट्राइक छत्रपति शिवाजी के कार्यकाल में हुई थी। राकांपा नेता ने कहा कि देश ने दो युग देखे हैं- एक तिलक का और दूसरा महात्मा गांधी का।

पुणे को मिली बड़ी सौगात

प्रधानमंत्री ने इसके अलावा पुणे मेट्रो फेज-I के दो गलियारों के पूर्ण खंडों पर सेवाओं के उद्घाटन के अवसर पर मेट्रो ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने पुणे में शिवाजी नगर पुलिस मुख्यालय में विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि एक तरफ हम पुणे में विकास होते देख सकते हैं और दूसरी तरफ हम देख सकते हैं कि बेंगलुरु में क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु एक प्रमुख आईटी हब है, वहां तेजी से विकास होना चाहिए था लेकिन वहां जिस प्रकार की घोषणाएं करके सरकार बनाई गई उसके दुष्परिणाम इतने कम समय में आज पूरा देश देख रहा है। कर्नाटक सरकार खुद मान रही है कि उनके पास बेंगलुरु या कर्नाटक के विकास के लिए पैसे नहीं हैं और यही हाल राजस्थान का भी है, वहां कर्ज बढ़ता जा रहा है और कोई विकास कार्य नहीं हो रहा है।

गणपति बप्पा मोरया

इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुणे के दगडूशेठ हलवाई गणेश मंदिर में पूजा-अर्चना की। दिल्ली से पुणे पहुंचने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी शिवाजी रोड स्थित इस प्रसिद्ध गणेश मंदिर में पहुंचे। मंदिर के न्यासियों ने बताया कि मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने इस पद पर रहते हुए मंदिर के दर्शन किए तथा वहां पूजा-अर्चना की। कुछ पूर्व राष्ट्रपति पद पर रहते हुए तथा बाद में, पूर्व प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री तथा राजनीतिक नेता 10 दिवसीय गणेश उत्सव के दौरान मंदिर के दर्शन कर चुके हैं।

दगडूशेठ हलवाई मंदिर का प्रबंधन श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति ट्रस्ट करता है और यह राज्य के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है तथा श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां विराजमान देवता मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। फखरुद्दीन अली अहमद राष्ट्रपति पद पर रहते हुए मंदिर आए थे और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, चंद्रशेखर तथा आई के गुजराल पद पर न रहने के बाद मंदिर में पूजा-अर्चना कर चुके हैं। वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी यहां दर्शन करने आए थे जबकि शंकर दयाल शर्मा राष्ट्रपति पद का अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद मंदिर में आए थे। हाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राकांपा प्रमुख शरद पवार, पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंदिर के दर्शन किए थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत भी मंदिर में पूजा-अर्चना कर चुके हैं। ट्रस्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, पंडित भीमसेन जोशी, बिस्मिल्लाह खान और लता मंगेशकर ने भी इस मंदिर के दर्शन किए थे।

जहां तक मोदी के साथ पवार के मंच साझा करने की बात है तो उसके बारे में शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) ने कहा है कि पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मंच साझा करने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार इस कार्यक्रम में शामिल ना होकर उन लोगों की शंकाओं को दूर कर सकते थे, जिन्हें उनका इस समारोह में शामिल होना पसंद नहीं आया। शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में दावा किया गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने राकांपा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और इसके बाद उन्होंने उस पार्टी को तोड़ दिया एवं महाराष्ट्र की राजनीति को दलदल बना दिया। पुरस्कार समारोह से पहले प्रकाशित मराठी समाचार पत्र में कहा गया, ‘‘इसके बावजूद शरद पवार मोदी का स्वागत करेंगे और यह बात कुछ लोगों को अच्छी नहीं लगी। यह पवार के लिए इस कार्यक्रम में अनुपस्थित रहकर लोगों के मन में उन्हें लेकर पैदा हो रही शंकाओं को दूर करने का अवसर था।’’ 

संपादकीय में कहा गया है कि यदि शरद पवार राकांपा में फूट डालने का विरोध करते हुए समारोह में शामिल नहीं होते, तो उनके नेतृत्व एवं साहस की प्रशंसा की जाती। इसमें कहा गया है कि देश ‘‘तानाशाही’’ के खिलाफ लड़ रहा है और इस मकसद के लिए 26 विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडिया’ बनाया गया है। इसमें दावा किया गया कि शरद पवार इस गठबंधन के ‘‘महत्वपूर्ण सेनापति’’ हैं। पार्टी ने कहा कि शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता से लोगों को अलग अपेक्षाएं हैं। उसने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर हिंसा पर बात करने के लिए तैयार नहीं है। इसमें कहा गया कि देश के नेता का इस मामले पर नहीं बोलना राष्ट्रहित में नहीं है। संपादकीय में कहा गया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ पुणे में प्रदर्शन हुए हैं और राकांपा कार्यकर्ता इसमें भाग ले रहे हैं। शिवसेना ने कहा कि यह अजीब स्थिति है, क्योंकि नेता मोदी के साथ मंच साझा कर रहे हैं और पार्टी कार्यकर्ता काले झंडे लेकर उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

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