Pinarayi Vijayan ने केंद्र से वायनाड भूस्खलन पीड़ितों के लिए सहायता में तेजी लाने का आग्रह किया
पिनराई विजयन ने राज्य विधानसभा को बताया है कि वायनाड जिले के चूरलमाला और मुंडक्कई में हुए विनाशकारी भूस्खलन से प्रभावित लोगों के लिए मांगी गई सहायता राशि केंद्र सरकार ने अब तक प्रदान नहीं की गई है। राज्य के वायनाड जिले में 30 जुलाई को विनाशकारी भूस्खलन हुआ था।
तिरुवनंतपुरम । केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने राज्य विधानसभा को बताया कि वायनाड जिले के चूरलमाला और मुंडक्कई में हुए विनाशकारी भूस्खलन से प्रभावित लोगों के लिए मांगी गई सहायता राशि केंद्र सरकार ने अब तक प्रदान नहीं की है। राज्य के वायनाड जिले में 30 जुलाई को विनाशकारी भूस्खलन हुआ था। विजयन ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से यथाशीघ्र विशेष वित्तीय सहायता जारी करने का अनुरोध करने का निर्णय लिया है। नियम 300 के तहत जारी बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष में अतिरिक्त सहायता के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी आगे की सहायता के लिए सीधी अपील की गई है। उन्होंने उल्लेख किया कि विभिन्न क्षेत्रों में अनुमानित नुकसान 1,200 करोड़ रुपये से अधिक है और इन अनुमानों के आधार पर अतिरिक्त सहायता के लिए केंद्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार एक ज्ञापन प्रस्तुत किया गया है। विजयन ने कहा, ‘‘विस्तृत ज्ञापन प्रस्तुत किया जा चुका है, लेकिन आपदा राहत के तहत आवश्यक विशेष वित्तीय सहायता राज्य को अब तक प्राप्त नहीं हुई है। इसलिए, तीन अक्टूबर को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में केंद्र सरकार से यथाशीघ्र विशेष वित्तीय सहायता जारी करने का अनुरोध करने का निर्णय लिया गया।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘भूस्खलन से मलबा पुन्नापुझा नदी के माध्यम से आठ किलोमीटर की दूरी तक बह गया। पर्वतीय क्षेत्रों में खड़ी ढलान ने भूस्खलन के कारण मलबे के प्रवाह की तीव्रता को बढ़ा दिया। अनुमान है कि मलबा 100.8 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ा।’’ उन्होंने बताया कि पुन्नापुझा नदी की चौड़ाई मूल रूप से 20 से 40 मीटर के बीच थी, लेकिन भूस्खलन के कारण यह बढ़कर 200 से 300 मीटर तक हो गई और पुंचिरिमट्टम, मुंडक्कई, चूरलमाला और अट्टामला के इलाके तबाह हो गए। विजयन ने कहा कि मलप्पुरम में आपदा क्षेत्र और चालियार नदी से कुल 231 शव और 222 मानव अंग बरामद किए गए। उन्होंने बताया कि इस त्रासदी में 17 परिवारों के 58 लोगों की जान चली गई।
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