चलो-चलो...वाले कमलनाथ को जनता ही चलता करेगीः चौहान

 Chauhan
दिनेश शुक्ल । Oct 22 2020 10:36AM

कांग्रेस की 15 माह की सरकार में कमलनाथ ने कोई विकास के कार्य नहीं कराए। हमेशा पैसों का रोना रोया। उनके पास कोई भी मंत्री-विधायक अपने क्षेत्र के विकास के काम लेकर जाता था तो वे उनके सामने सिर्फ पैसों का रोना रोते थे। ऐसे लोगों को राजनीति करने का भी अधिकार नहीं है।

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री  कमलनाथ से उनके मंत्री-विधायक कहते थे कि अस्पताल का उन्नयन कर दो तो वे कहते थे कि चलो...चलो...। कोई उनसे अपने क्षेत्र में बांध मांगता था तो वे कहते थे कि चलो...चलो...। कोई उनसे कहता था कि उनके क्षेत्र के किसानों की फसलें खराब हो गईं हैं मुआवजा दे दो, तो वे कहते थे कि चलो...चलो...। अब ये चलो...चलो...वाले कमलनाथ को तो प्रदेश की जनता की चलता करेगी। इन्होंने जनता की भलाई के लिए चलाई गई भाजपा सरकार की योजनाओं को ही बंद कर दिया था। विकास के काम ठप्प कर दिए। ये बातें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कही। वे बुधवार को बड़ामलहरा विधानसभा एवं सुरखी विधानसभा के सिहोरा में आयोजित जनसभा को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने सांची विधानसभा के हरदौत में बूथ सम्मेलन और ब्यावरा विधानसभा के लखनबात में जनसभा को भी संबोधित किया।

 

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने डबरा में भाषण दिया। हमारी मंत्री इमरती देवी को अपशब्द कहे। इमरती देवी कमलनाथ की कैबिनेट में भी मंत्री रहीं, लेकिन वे उनका नाम नहीं याद रख पाए। कमलनाथ कह रहे हैं कि मैं तो नाम ही भूल गया, इसलिए आइटम कह दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कमलनाथ को क्या अधिकार है कि वे एक दलित मंत्री का इस तरह से अपमान करें? बहन इमरती देवी की आंखों में आंसू पूरे हिन्दुस्तान ने देखें हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वह धरती है जहां पर सीता मैया का अपमान रावण ने किया था और उसका हश्र ये हुआ कि रावण के वंश में उसका कोई नाम लेवा भी नहीं बचा था। रावण को भी उनके कई सहयोगियों ने समझाया कि वे सीता मैया को छोड़ दें। विभीषण ने भी समझाया, लेकिन विभीषण को लात मारकर हटा दिया। अब कमलनाथ को भी उनके कई सहयोगी एवं श्री राहुल गांधी ने भी समझाया, लेकिन दादा कमलनाथ तो राहुल गांधी की भी नहीं मान रहे हैं। अब इनका क्या हश्र होगा, ये तो जल्द ही पता चल जाएगा?

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मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने मध्य प्रदेश को और वल्लभ भवन को भ्रष्टाचार की मंडी बनाकर रख दिया। वे तो लुटेरे थे। प्रदेश को लूट रहे थे, प्रदेश की जनता को लूट रहे थे, गुमराह कर रहे थे, लेकिन हमने मध्य प्रदेश को गढ़ा है, ऐसे ही लूटने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना काल चल रहा है। मैं स्वीकार करता हूं कि बजट की कमी है, लेकिन फिर भी हमने विकास के कार्यों को रूकने नहीं दिया है। सतत जारी है। कांग्रेस की 15 माह की सरकार में कमलनाथ ने कोई विकास के कार्य नहीं कराए। हमेशा पैसों का रोना रोया। उनके पास कोई भी मंत्री-विधायक अपने क्षेत्र के विकास के काम लेकर जाता था तो वे उनके सामने सिर्फ पैसों का रोना रोते थे। ऐसे लोगों को राजनीति करने का भी अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वह होता है, नेता वह होता है, जनप्रतिनिधि वह होता है जो विपरीत परिस्थितियों में भी जनता के काम आए, उनकी सहायता करे, लेकिन कमलनाथ ने तो कुछ भी नहीं किया। क्या ऐसे व्यक्ति को प्रदेश का मुख्यमंत्री रहना चाहिए था?

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