पाकिस्तान में लोग नाखुश, भारत के विभाजन को एक गलती मानते हैं, RSS प्रमुख मोहन भागवत का बयान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान में लोग आजादी के सात दशक से अधिक समय के बाद नाखुश हैं और मानते हैं कि विभाजन एक गलती थी। भागवत ने कहा कि जो भारत आए वे खुश हैं लेकिन जो पाकिस्तान में हैं वे खुश नहीं हैं।
भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान में लोग आजादी के सात दशक से अधिक समय के बाद नाखुश हैं और मानते हैं कि विभाजन एक गलती थी। भागवत ने कहा कि जो भारत आए वे खुश हैं लेकिन जो पाकिस्तान में हैं वे खुश नहीं हैं। आरएसएस प्रमुख किशोर क्रांतिकारी हेमू कलानी की जयंती के अवसर पर आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से सिंधी लोगों ने भाग लिया। मोहन भागवत ने एएनआई के हवाले से कहा "आज, पाकिस्तान के लोग कह रहे हैं कि (भारत का विभाजन) एक गलती थी। जो भारत से अलग हो गए, उनकी संस्कृति से, क्या वे अभी भी खुश हैं? जो भारत आए वे आज खुश हैं लेकिन जो वहां हैं (पाकिस्तान) खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा, "यह 1947 (विभाजन) से पहले का भारत था। क्या अपनी जिद के कारण भारत से अलग होने वाले अब भी खुश हैं? बाहर दर्द है।" आरएसएस प्रमुख ने स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की और कहा कि भारत में खुशी है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि 'अखंड भारत' सच था लेकिन विभाजित भारत एक 'दुःस्वप्न' था। उन्होंने नए भारत के निर्माण की जरूरत पर भी जोर दिया। आरएसएस प्रमुख ने कहा "अखंड भारत (अपने सभी प्राचीन भागों के साथ देश की एक अवधारणा जो वर्तमान में आधुनिक अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और तिब्बत में एकीकृत है) सच है लेकिन विभाजित भारत एक दुःस्वप्न था।
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पाकिस्तान के लोग खुश नहीं हैं-मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि आजादी के सात दशक से अधिक समय के बाद भी पाकिस्तान के लोग खुश नहीं हैं और अब वे मानते हैं कि भारत का विभाजन एक गलती थी। वह किशोर क्रांतिकारी हेमू कालाणी की जयंती के अवसर पर आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से सिंधी समाज के लोग शामिल हुए। भागवत ने कहा कि अखंड भारत सत्य है, खंडित भारत दु:स्वप्न है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि भारत से अलग होने के सात दशक बाद भी पाकिस्तान में दुख है, जबकि भारत में सुख है। अमर बलिदानी हेमू कालाणी की जयंती पर यहां आयोजित समारोह में सिंधी समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, ‘‘हमको नया भारत बसाना है। भारत खंडित हो गया। आज जिसको हम पाकिस्तान कहते हैं, उसके लोग कह रहे हैं कि गलती हो गई। अपनी हठधर्मिता के कारण भारत से अलग हो गए, संस्कृति से अलग हो गए। क्या वे सुख में हैं?’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘यहां (भारत में) सुख है और वहां (पाकिस्तान में) दुख है।’’
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भारत के विभाजन को एक गलती मानते हैं पाकिस्तानी
भागवत ने कहा, ‘‘जो सही है, वह टिकता है। जो गलत है, वह आता है और जाता है।’’ भागवत ने कहा कि सिंधी समुदाय सब कुछ गंवाकर भी शरणार्थी नहीं बना, लेकिन उसने पुरुषार्थी बनकर दिखा दिया। शहीद हेमू के नाम के साथ सिंध का नाम जुड़ा है। उन्होंने कहा कि सिंधी समुदाय का स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है, लेकिन इसका उल्लेख कम होता है। उन्होंने कहा कि सिंधी समुदाय ने भारत नहीं छोड़ा था, वे भारत से भारत में ही आए थे। उन्होंने कहा, ‘‘हमने तो भारत बसा लिया, लेकिन वास्तव में राष्ट्र खंडित हो गया। आज भी उस विभाजन को कृत्रिम मानते हुए सिंध के साथ मन से लोग जुड़े हैं। सिंधु नदी के प्रदेश सिंध से भारत का जुड़ाव रहेगा।’’
खंडित भारत को दु:स्वप्न माना
भागवत ने कहा, ‘‘आज भी अखंड भारत को सत्य और खंडित भारत को दु:स्वप्न माना जा सकता है। सिंधी समुदाय दोनों तरफ के भारत को जानता है। आदिकाल से सिंध की परंपराओं को अपनाया गया। भारत ऐसा हो जो संपूर्ण विश्व को सुख-शांति देने का कार्य करें। तमाम उतार-चढ़ाव आएंगे, लेकिन हम मिटेंगे नहीं। उन्होंने कहा कि हम विश्व का नेतृत्व करने में सक्षम हैं।भागवत ने डॉ. हेडगेवार और अन्य विचारकों के माध्यम से संपूर्ण दुनिया को दिखाए गए कल्याण के मार्ग का भी उल्लेख किया।
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