चीन में हाहाकार मचाने वाली बीमारी Mycoplasma Pneumonia के मरीज AIIMS में आए सामने, सरकार ने दिया ये बयान

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जांच में ये भी पता चला कि पीसीआर और आईजीएम एलिसा टेस्ट का पॉजिटिविटी रेट तीन से 16 प्रतिशत के बीच है। चीन के इस नए वायरस को लेकर सरकार भी पहले ही सतर्क हो गई है। इससे पहले चीन से कोरोना वायरस आया था जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचाई थी।

चीन ने एक बार फिर से पुरी दुनिया को टेंशन में ला दिया है। चीन से निकला कोरोना वायरस अब तक दुनिया से खत्म भी नहीं हुआ है कि चीन से नया बैक्टीरिया निकला है। भारत की टेंशन को भी इस बैक्टीरिया ने बढ़ा दिया है। भारत में एक नया चाइनीज बैक्टीरिया माइक्रोप्लाजमा न्यूमोनिया है, जो दाखिल हो चुका है। ये बैक्टीरिया छोटे बच्चों को अपना शिकार बना रहा है। चीन में इस बीमारी का कहर देखने को मिल रहा है।

इसी बीच दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) अस्पताल ने जानकारी दी है कि अप्रैल से सितंबर के दौरान माइकोप्लाजमा निमोनिया के सात मामले प्रकाश में आए है। एम्स में इस बीमारी को लेकर दो तरह के टेस्ट किए गए हैं जिसमें पीसीआर और आईडीएम एलिसा टेस्ट शामिल है। ये टेस्ट चीन में बच्चों में हो रही सांस की बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया माइकोप्लाजमा की जांच के लिए किया गया है। टेस्ट के बाद सामने आया कि माइकोप्लाज्मा निमोनिया के सात मामले भारत में दर्ज किए गए है। इन मामलों का चीन से कोई संबंध नहीं है।

जांच में ये भी पता चला कि पीसीआर और आईजीएम एलिसा टेस्ट का पॉजिटिविटी रेट तीन से 16 प्रतिशत के बीच है। चीन के इस नए वायरस को लेकर सरकार भी पहले ही सतर्क हो गई है। इससे पहले चीन से कोरोना वायरस आया था जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचाई थी।

भारत सरकार ने किया खंडन

भारत सरकार ने चीन में फैले निमोनिया का भारत में मिलने का खंडन कर दिया है। चीन में निमोनिया के मामलों में हालिया वृद्धि से जुड़े एम्स दिल्ली में बैक्टीरिया के मामलों का पता लगाने का दावा करने वाली मीडिया रिपोर्टें भ्रामक और गलत हैं। माइकोप्लाज्मा निमोनिया समुदाय-अधिग्रहित निमोनिया का सबसे आम जीवाणु कारण है। एम्स दिल्ली में निमोनिया के मामलों का चीन में बच्चों में श्वसन संक्रमण में हालिया वृद्धि से कोई संबंध नहीं है। भारत सरकार के मुताबिक जनवरी 2023 से अब तक माइकोप्लाजमा निमोनिया के 611 सैंपल लिए गए थे मगर अधिक गंभीर मामले दर्ज नहीं हुए है।

जनवरी 2023 से अब तक, आईसीएमआर एकाधिक श्वसन रोगज़नक़ निगरानी के एक भाग के रूप में एम्स दिल्ली के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में परीक्षण किए गए 611 नमूनों में कोई माइकोप्लाज्मा निमोनिया नहीं पाया गया, जिसमें रियलटाइम पीसीआर द्वारा मुख्य रूप से गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी शामिल थी। माइकोप्लाज्मा निमोनिया समुदाय-अधिग्रहित निमोनिया का सबसे सामान्य जीवाणु कारण है। यह ऐसे सभी संक्रमणों में से लगभग 15-30% का कारण है। भारत के किसी भी हिस्से से ऐसी उछाल की सूचना नहीं मिली है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों के संपर्क में है और हर रोज स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है। 

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