Parliament Diary: विपक्ष के 14 सांसद निलंबित, हंगामे के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित

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ANI
अंकित सिंह । Dec 14 2023 6:20PM

लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर सरकार से जवाब की मांग करते हुए बृहस्पतिवार को भारी हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

संसद के शीतकालीन सत्र में आज जबरदस्त तरीके से हंगामा हुआ। दोनों सदनों में कुछ खास कामकाज नहीं हो सका। दोनों ही सदनों में विपक्ष लगातार नारेबाजी करता रहा। पूरा का पूरा मामला बुधवार को संसद की सुरक्षा में हुई चूक का है। विपक्षी सांसद लगातार पूरे मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहे थे। इसके अलावा वह भाजपा सांसद के निष्कासन की भी मांग पर अड़े हुए थे जिनके द्वारा मुहैया कराए गए पास के जरिए घुसपैठ संसद में घुसे थे। संसद के दोनों सदनों में हंगामा इतना रहा की लोकसभा से 13 सांसदों को निलंबित किया गया जबकि राज्यसभा से  टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ'ब्रायन को पूरे शीतकालीन सत्र से निलंबित हो गए। गलती से निलंबित किए जाने के बाद एसआर पार्थिबन का निलंबन रद्द कर दिया गया। आज दोनों सदनों में क्या कुछ हुआ, आपको बताते हैं। 

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लोकसभा की कार्यवाही

लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर सरकार से जवाब की मांग करते हुए बृहस्पतिवार को भारी हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। सदन में आसन की अवमानना और अनादर के लिए विपक्ष के 14 सदस्यों को मौजूदा शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित भी कर दिया गया। पहले कांग्रेस के पांच सदस्यों टी एन प्रतापन, हिबी इडेन, जोतिमणि, रम्या हरिदास और डीन कुरियाकोस को चालू सत्र की शेष अवधि के लिए सदन से निलंबित किया गया। इसके बाद कांग्रेस के वीके श्रीकंदन, बेनी बेहनन, मोहम्मद जावेद और मणिकम टैगोर, द्रमुक की कनिमोई और एस आर प्रतिबन, माकपा के एस वेकटेशन और पी आर नटराजन तथा भाकपा के के. सु्ब्बारायन के निलंबन का प्रस्ताव सदन में पारित हुआ। 

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘‘हम सब सहमत हैं कि कल की दुर्भाग्यपूर्ण घटना लोकसभा सदस्यों की सुरक्षा में गंभीर चूक थी।’’ उन्होंने कहा कि इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष के निर्देश पर उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी गई है। जोशी ने कहा कि इस मुद्दे पर किसी भी सदस्य से राजनीति की अपेक्षा नहीं की जाती, हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि संसद में सुरक्षा में चूक की इस तरह की घटनाएं पहले भी होती रही हैं और उस समय के लोकसभा अध्यक्षों के निर्देशानुसार मुद्दों पर कार्रवाई की जाती रही है। 

अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों से हंगामा न करने का अनुरोध करते हुए कहा कि संसद परिसर की सुरक्षा लोकसभा सचिवालय की जिम्मेदारी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संसद की सुरक्षा सरकार का नहीं, बल्कि ‘‘हमारा अधिकार क्षेत्र’’ है। बिरला ने कहा, ‘‘कल जो घटना घटी है उसे लेकर हम सब चिंतित हैं और संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी लोकसभा सचिवालय की होती है... हमने संसद की सुरक्षा के मसले पर कल चर्चा की थी और आगे फिर चर्चा करेंगे। सुरक्षा की सारी जिम्मेदारी लोकसभा सचिवालय की है।’’ 

हंगामे के बीच सदन के उपनेता एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सभी को सुरक्षा चूक के मामले की निंदा करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें सावधान रहने की जरूरत है..केवल सत्तापक्ष ही नहीं बल्कि विपक्ष के सदस्यों को भी ध्यान रखना चाहिए कि अराजकता पैदा करने वालों को ‘पास’ न मिले।’’ सिंह ने कहा कि पुराने संसद भवन में भी कागज फेंकने और दीर्घाओं से कूदने की घटनाएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि सदन में हंगामे की स्थिति पैदा करने की कोई जरूरत नहीं है। 

सरकार ने बृहस्पतिवार को लोकसभा को सूचित किया कि उसने 72 प्रतिशत घरों में पीने का स्वच्छ पानी पहुंचाने का लक्ष्य हासिल कर लिया है और इस प्रकार अभी तक करीब 11 करोड़ महिलाओं को पीने का पानी ढोने के अभिशाप से मुक्ति मिली है। जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी।

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राज्यसभा की कार्यवाही

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सदस्य डेरेक ओब्रायन के निलंबन को लेकर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण बृहस्पतिवार को राज्यसभा की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई और हंगामे के कारण बैठक अंतत: दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। भोजनावकाश के बाद तीन बार के स्थगन के बाद शाम चार बजे जब राज्यसभा की कार्यवाही फिर शुरू हुई तो सभापति जगदीप धनखड़ ने निलंबन संबंधी पारित प्रस्ताव के अनुपालन में ओब्रायन को सदन से बाहर जाने को कहा। धनखड़ ने कहा कि निलंबन के बावजूद ओब्रायन का सदन में बने रहना गंभीर उल्लंघन है और यह जानबूझकर आदेश की अवहेलना है। इसके बाद सदन के नेता पीयूष गोयल ने नियम 192 के तहत इस मुद्दे को राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति के पास भेजने का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूर कर लिया।

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