प्रवासी मजदूरों की दर्दभरी दास्तां... थककर रेलवे ट्रैक पर लेट गए तो फिर कभी नहीं उठे
एक अध्ययन सामने आया जिसमें दावा किया जा रहा है कि देशव्यापी बंद के बीच 300 से अधिक ऐसे मामले हैं जो प्रत्यक्ष तौर पर तो कोरोना संक्रमण से जुड़े नहीं हैं, लेकिन इससे जुड़ी अन्य समस्याएं इनका कारण है।
मरने वालों में प्रवासी सबसे ज्यादा
शोधकर्ताओं ने 19 मार्च से लेकर 2 मई के बीच 338 मौतें होने का दावा किया है, जो लॉकडाउन से जुड़ी हुई हैं। इन शोधकर्ताओं के समूह में पब्लिक इंटरेस्ट टेक्नोलॉजिस्ट तेजेश जीएन, सामाजिक कार्यकर्ता कनिका शर्मा और जिंदल ग्लोबल स्कूल ऑफ लॉ में सहायक प्रोफेसर अमन शामिल हैं।
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अध्ययन के अनुसार आंकडें बताते हैं कि 80 लोगों ने अकेलेपन से घबराकर और संक्रमण के भय से आत्महत्या कर ली तो दूसरी तरह मरने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा प्रवासी मजदूरों का है।
कोरोना संक्रमण के चलते देशव्यापी बंद होने की वजह से प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटने लगे। जहां कई सड़क दुर्घटनाओं में 51 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई। तो वहीं शराब नहीं मिलने से 45 लोगों की मौत हो गई और भूख एवं आर्थिक तंगी के चलते 36 लोगों की जान गई।
शोधकर्ताओं ने तो 2 मई तक के ही आंकड़े जारी किए हैं लेकिन शुक्रवार तड़के तो 16 और प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई। इनका जिम्मेदार कौन है ? क्योंकि कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार मजदूरों को पड़ी हैं। जो जहां था वहीं रुक गया, लेकिन तंग हालत में मजदूर कितने दिनों तक अपने धैर्य को बांध कर रखता। ऐसे में वह पैदल ही निकल पड़ा हजारों किमी का सफर तय करने के लिए। मन में सिर्फ घर पहुंचने का जज्बा लिए हुए। मीडियाकर्मियों ने जब इन प्रवासियों से बातचीत की तो तरह-तरह की बातें सामने आईं।
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कुछ मजदूरों का कहना था कि पैसा पूरी तरह से खत्म हो चुका है कैसे जीवनयापन करते तो पैदल ही चल दिए। तो कुछ का कहना है कि यहां पर रुकने की और न ही भोजन की कोई व्यवस्था मिली ऐसे में क्या करते।
जिसके चलते प्रवासी मजदूरों ने घर जाना शुरू कर दिया। हालांकि, सरकार भी इन मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजने का काम कर रही है। लेकिन, फिर मजदूरों से रेल किराया वसूल करने का मामला सामने आया जिसकी काफी आलोचनाएं हुईं और फिर यात्राएं भी निशुल्क हो गईं।
करमाड स्टेशन के पास हुआ हादसा
ऐसे ही 16 मजूदर जो घर वापस जा रहे थे वो एक रेल दुर्घटना के शिकार हो गए। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में करमाड रेलवे स्टेशन के पास शुक्रवार तड़के एक मालगाड़ी ने इन 16 प्रवासी मजदूरों को कुचल दिया। करमाड पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र के जालना से भुसावल की ओर पैदल जा रहे मजदूर अपने गृह राज्य मध्य प्रदेश लौट रहे थे। उन्होंने बताया कि वे रेल की पटरियों के किनारे चल रहे थे और थकान के कारण पटरियों पर ही सो गए थे। जालना से आ रही मालगाड़ी पटरियों पर सो रहे इन मजदूरों पर चढ़ गई।
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मारे गए ये मजदूर जालना के एक इस्पात फैक्ट्री में काम करते थे लेकिन लॉकडाउन के चलते काम नहीं होने की वजह से 5 मई को इन लोगों ने अपने गृह राज्य मध्य प्रदेश जाने का सफर शुरू किया। शुरू में तो मजदूर सड़क के रास्ते ही घर जा रहे थे लेकिन औरंगाबाद के पास आते हुए इन्हें रेलवे ट्रैक दिखाई दिया। जिस पर ये चलने लगे। मिली जानकारी के मुताबिक 36 किमी के पैदल सफर के बाद मजदूरों का ये समूह थककर पटरियों पर ही सो गया और फिर कभी नहीं उठा। पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस समूह के साथ चल रहे तीन मजदूर जीवित बच गए क्योंकि वे रेल की पटरियों से कुछ दूरी पर सो रहे थे।
जांच के दिए गए आदेश
रेल मंत्रालय ने ट्वीट कर घटना की जानकारी दी और कहा कि शुक्रवार तड़के मजदूर ट्रैक पर सो रहे थे। मालगाड़ी के लोको पायलट ने भी इन्हें देख लिया था और बचाने का प्रयास भी किया मगर हादसा हो गया। बता दें कि रेलवे ने इस पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
During early hours today after seeing some labourers on track, loco pilot of goods train tried to stop the train but eventually hit them between Badnapur and Karmad stations in Parbhani-Manmad section
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) May 8, 2020
Injureds have been taken to Aurangabad Civil Hospital.
Inquiry has been ordered
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प्रधानमंत्री ने रेल मंत्री से की बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रेन दुर्घटना में मारे गए प्रवासी मजदूरों की मौत पर दुख जताया। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि, ‘महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रेल दुर्घटना में लोगों के मारे जाने से बहुत दुखी हूं। रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात की है और वह स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं।’
सरकार ने किया मुआवजे का ऐलान
रेल दुर्घटना में मारे गए 16 प्रवासी मजदूरों के परिजनों को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5-5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है।
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