हमारा आचरण हमारे संविधान के अनुकूल होना चाहिए: आरिफ मोहम्‍मद खान

Arif Mohammad Khan
ANI

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में कहा था कि हिन्दू हमारी पहचान, राष्ट्रीयता और सबको अपना मानने एवं साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति है और इस्लाम को देश में कोई खतरा नहीं है, लेकिन उसे ‘हम बड़े हैं’ का भाव छोड़ना पड़ेगा।

अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के हाल के एक बयान से उपजे कुछ संदेहों को दूर करने की कोशिश की और कहा कि हमारा आचरण हमारे संविधान के अनुकूल होना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में कहा था कि हिन्दू हमारी पहचान, राष्ट्रीयता और सबको अपना मानने एवं साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति है और इस्लाम को देश में कोई खतरा नहीं है, लेकिन उसे ‘हम बड़े हैं’ का भाव छोड़ना पड़ेगा। अलीगढ़ के हैवीटैट सेंटर में शनिवार को कल्याण सिंह की जयंती समारोह में पहुंचे केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में मोहन भागवत के बयान को अपने ढंग से परिभाषित करते हुए कहा, ‘‘भागवत जी के बयान का मतलब है कि आज जो हमारा संविधान है, हमारा आचरण उसके अनुकूल होना चाहिए! जहां पर किसी को यह हक हासिल नहीं है कि मैं पैदाइश की बुनियाद पर बड़ा हूं और पैदाइश की बुनियाद पर कोई छोटा है। 

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खान ने कहा, भागवत ने वास्तव में इस बात पर जोर दिया था कि किसी को भी अपने जन्म के आधार पर किसी भी प्रभुत्व का दावा करने का अधिकार नहीं है।’’ आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा था, ‘‘हिन्दू हमारी पहचान, राष्ट्रीयता और सबको अपना मानने एवं साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति है।’’ सरसंघचालक ने कहा, ‘‘हिन्दुस्थान, हिन्दुस्थान बना रहे, सीधी सी बात है। इससे आज भारत में जो मुसलमान हैं, उन्हें कोई नुकसान नहीं है। वह हैं। रहना चाहते हैं, रहें। पूर्वज के पास वापस आना चाहते हैं, आएं। उनके मन पर है।’’ भगवन ने कहा था, ‘‘इस्लाम को कोई खतरा नहीं है, लेकिन हम बड़े हैं, हम एक समय राजा थे, हम फिर से राजा बने...यह छोड़ना पड़ेगा...’’ साथ ही, भागवत ने कहा, ‘‘ऐसा सोचने वाला अगर कोई हिन्दू है, उसे भी (यह भाव) छोड़ना पड़ेगा। कम्युनिस्ट है, उनको भी छोड़ना पड़ेगा।’’ आरिफ मोहम्‍मद खान ने कहा, हमारे समाज में सामाजिक विषमताएं हैं लेकिन समानता हमारा पोषित आदर्श है और एक आकांक्षा है जो भारत के संविधान में गहराई से परिलक्षित होती है और वास्तव में यह भारतीय संविधान के स्तंभों में से एक है। खान ने एक अन्य सवाल के जवाब में इस बात का जोरदार खंडन किया कि भागवत ने किसी भी तरह से यह निहित किया था कि मुसलमानों को देश में दूसरे दर्जे के नागरिक का दर्जा दिया जाना चाहिए। खान ने कहा कि अगर कोई भागवत के बयान से यह अनुमान लगा रहा है तो वह गलत है। 

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आरिफ मोहम्‍मद खान ने अपनी अलीगढ़ यात्रा के खिलाफ एएमयू के कुछ छात्रों द्वारा विरोध स्वरूप काला झंडा दिखाने की चेतावनी के बारे में पूछे जाने पर कहा, “मेरी जानकारी में मेरी अलीगढ़ यात्रा के खिलाफ विरोध जैसी कोई बात सामने नहीं आयी। बस इतना बताया गया कि सोशल मीडिया पर कुछ लोग लिख रहे हैं! लेकिन कोई विरोध नहीं हुआ। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुस्तान एक लोकतांत्रिक देश है और जो काला झंडा दिखाना चाहते हैं वह दिखाएं। हमें उनका भी सम्मान करना चाहिए। इससे पहले, अखिल भारतीय सर सैयद मेमोरियल सोसाइटी द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने जोर देकर कहा, ‘‘हमारा दिवंगत मुख्यमंत्री के साथ 1977 से विशेष संबंध था और तब मैं भी उनके साथ बुलंदशहर जिले से जनता पार्टी से विधायक चुना गया था और कल्याण सिंह प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने थे।’’ खान ने कहा, कल्याण सिंह न केवल अपने समय के एक महत्वपूर्ण राजनेता थे, बल्कि उनकी मुख्य उपलब्धि यह थी कि उन्हें समाज के दबे-कुचले तबके के चैंपियन के रूप में देखा जाता था, जो हमेशा सामाजिक विषमताओं को दूर करने की कोशिश करते थे।

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