Pathankot हमले की 9वीं बरसी पर देश याद रहा अपने वीर जवानों को, जवाब में भारत ने किया था सर्जिकल स्ट्राइक

Pathankot attack
प्रतिरूप फोटो
ANI
Anoop Prajapati । Jan 2 2025 12:06PM

नया भारत पूरी दुनिया से आंखें मिलाकर बात करता है और अपने दुश्मनों को करारा जवाब देने का माद्दा भी रखता है। आज ही के दिन साल 2016 में पठान कोट एयरबेस स्टेशन पर आतंकवादियों ने घात लगाकर कायराना हमला किया था। जिसकी पूरी दुनिया ने भरसक निंदा की थी। आज इस दुखद हमले की हमले की 9वीं बरसी है।

आज का नया भारत पूरी दुनिया से आंखें मिलाकर बात करता है और अपने दुश्मनों को करारा जवाब देने का माद्दा भी रखता है। आज ही के दिन साल 2016 में पठान कोट एयरबेस स्टेशन पर आतंकवादियों ने घात लगाकर कायराना हमला किया था। जिसकी पूरी दुनिया ने भरसक निंदा की थी। आज इस दुखद हमले की हमले की 9वीं बरसी है। आज ही के दिन 9 साल पहले 2 जनवरी 2016 को पठानकोट स्थित एयरफोर्स स्टेशन पर फिदायिन हमला हुआ था। भारत के धुर-विरोधी (कट्टर दुश्मन) पाकिस्तान ने मौका मिलने पर, भारतीय वायुसेना केंद्र (पठानकोट स्टेशन) पर भाड़े के “मोहरों” से हमला करा दिया। भारतीय सेना और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के बीच यह खूनी मुकाबला चार दिन चला था।

हमला ने हमें जो बहुत कुछ सिखाया

2016 की शुरुआत में ही 1 और 2 जनवरी को शुरू तड़के तीन बजे के करीब हुए उस आतंकवादी हमले का जिक्र अब इस वक्त आखिर क्यों? इसकी कई वजह हैं। मसलन उस हमले ने हिंदुस्तानी हुकूमत, सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों व फौज को सबक दिया। दुश्मन किस हद तक हमारे करीब पहुंचने का दम रखता है? छोटे हमले के जरिये इस बड़े रहस्य का भी पता चल गया। छोटे नुकसान का बदला लेकर उसकी मांद में घुसकर दुश्मन को बड़ी “मात” कैसे दी जा सकती है? यह परखने के लिए हिंदुस्तानी फौज ने, पाकिस्तान की छाती पर जाकर की “सर्जिकल स्ट्राइक” से भांप-समझ लिया। घर में धोखे से घुस आये भाड़े के दुश्मनों को हम कैसे और कितनी देर में घेरकर तबाह कर सकते हैं? यह भी सीख-समझ लिया।

नुकसान के बाद मिला कामयाबी का रास्ता

भले ही अब से ठीक नौ साल पहले पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर हमला, हमारी एजेंसियों की नाकामी का नमूना सिद्ध हुआ हो। उस हमले ने मगर हिंदुस्तानी हुक्मरानों को नींद से जगाने का भी काम किया। साथ ही आगे से पठानकोट हमले से भी होने वाले संभावित बड़े नुकसान से बचा लिया। मतलब पठानकोट हमले के अपने-अपने नफा-नुकसान थे। पठानकोट हमले से हिंदुस्तान का कट्टर दुश्मन पाकिस्तान कुछ वक्त तलक बेहद खुश भी रहा होगा।

दुनिया बोली “वाह इंडिया वाह”

हिंदुस्तान के धुर-विरोधी दुश्मन पाकिस्तान के कई आतंकवादी “लांच-पैड” को भारतीय फौज ने चंद मिनट में मिट्टी में मिला दिए। उस सर्जिकल स्ट्राइक में पाकिस्तानी अड्डों पर कितने आतंकवादी मर-खप गए? पाकिस्तान की आने वाली कई पीढ़ियां दशकों बाद भी शायद ही इसकी सही गिनती निकाल कर जमाने के सामने ला पाएं। वो सर्जिकल स्ट्राइक भले ही की तो हिंदुस्तानी सेना ने थी। उसका लोहा मगर दुनिया ने माना था। विश्व के तमाम देशों की फौज और हुकुमतें खुलेआम कह उठी थीं “वाह इंडिया वाह”।

जिंदगी और मौत के वो 4 दिन

पठानकोट एयर फोर्स स्टेशन, जो इंडियन एयर फोर्स की वेस्टर्न एअर कमांड का महत्वपूर्ण हिस्सा है, उस पर हुआ वो “फिदायिन” हमला था। जिसके सभी हमलावर “मानव-बम” बनकर घुसे थे। 1-2 जनवरी से 5 जनवरी यानी करीब 4 दिन तक भारतीय सेना और सुरक्षा, पाकिस्तान के इन भाड़े के हमलावरों को घेर-घेर कर मौत के घाट उतारते रहे। हमले की शुरुआत में चार “मानव बम” बने हमलावरों ने दो सैनिकों को शहीद कर दिया था। इसके बाद 17 घंटे तक चली उस खूनी मुठभेड़ में 2 जनवरी 2016 को ही 5 हमलावर गोलियों से भून डाले गए।

नदी के सहारे भारत में घुसे थे आतंकी

सेना की जाँच में पता चला कि पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर हमले के लिए “फिदायिन” दस्ते 31 दिसंबर 2015 को रात करीब 9 बजे ही पाकिस्तान (व्यास नदी के रास्ते) से हिंदुस्तान की सीमा में पहुंच चुके थे। इन मानव बमों की संख्या 6 थी। इन सबने इंडियन आर्मी की वर्दी पहन रखी थी। इन सभी के पास करीब 50 किलोग्राम (110 पौंड) गोला-बारुद, 52 MM के मोर्टार, ग्रेनेड लॉन्चर्स, 30 किलोग्राम वजनी हथगोले सहित लंबी दूरी की मार करने वाली एके सीरीज की राइफलें थीं। आतंकवादी तड़के करीब साढ़े तीन बजे स्टेशन के अंदर घुसने में कामयाब हो गए थे।

सेना ने खोया था जांबाज जवान

यह एक ऐसा हमला था जिसमें हिंदुस्तानी फौज के साथ (NSG) ने भी मोर्चा संभाला था। इस हमले में एनएसजी ने भी 3 जनवरी 2016 को अपना एक बहादुर अचूक निशानेबाज रणबांकुरा कमांडो खो दिया। मोर्चाबंदी के दौरान घायल हुए इस कमांडो को गंभीर हालत में अस्पताल में दाखिल कराया गया। अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई।

इंडियन आर्मी के “ऑपरेशन धांगू” में धंसा दुश्मन

पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर मानब बम हमले को भारतीय सेना ने नाम दिया था “ऑपरेशन धांगू”। ऑपरेशन धांगू नाम रखने के पीछे भी दो प्रमुख वजह थीं। पहली वजह इस पूरे ऑपरेशन के बारे में इंडियन फौज किसी भी कीमत पर बाकी अन्य किसी भी देश की खुफिया एजेंसी और फौज को भनक नहीं लगने देना चाहती थी। मुठभेड़ चलने तक घटनास्थल पर क्या कुछ हो रहा है? कितने आतंकवादी ढेर हुए? कितने भारतीय बहादुर हमले में शहीद हुए? मौके पर मोर्चे पर आपात स्थिति में भारतीय सेना अपनी किस टुकड़ी के जवानों को किस रास्ते से बुला रही है? इन तमाम बेहद संवेदनशील जानकारियों को “लीक” होने से बचाने के लिए इस मुठभेड़ का नाम “ऑपरेशन धांगू” तय किया गया। दूसरी वजह थी कि, जिस स्थान पर यह एयरफोर्स स्टेशन स्थित है उस जगह का नाम भी “धांगू” है।

दुश्मनों को घर में घुसकर मारा

पठानकोट हमले में दुश्मनों को घेरकर ढेर करने के बाद भारत शांत था। इसके बाद भी मगर दुश्मन बाज नहीं आया। 18 सितंबर 2016 को (पठानकोट हमले के करीब 9 महीने बाद ही) उरी में तड़के 4-5 बजे के बीज सेना के कैंप पर 4 आतंकवादियों ने हमला कर दिया। हमले में जब 19 सैनिक शहीद हो गए तो, हिंदुस्तानी हुकूमत और फौज के सब्र का बांध टूट गया। लिहाजा दुश्मन को उसकी औकात बताने के लिए हिंदुस्तानी फौज ने पाकिस्तान के घर में घुसकर साहसिक “सर्जिकल स्ट्राइक” को अंजाम दे डाला। उरी हमले के ठीक 10 दिन बाद की उस स्ट्राइक ने वो तबाही पाकिस्तान में मचाई कि, पाकिस्तानी हुक्मरान हिंदुस्तान से जिंदगी की पनाह मांगने लगे, जबकि विश्व बोलने लगा, “वाह इंडिया वाह”।

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