नुपुर शर्मा मामला: SC की टिप्पणियों की आलोचना करने वाले पूर्व जजों पर अवमानना का केस चलाने की अनुमति देने से अटॉर्नी जनरल का इनकार
वेणुगोपाल ने कहा कि उनके बयान शीर्ष अदालत द्वारा की गई सुनवाई पर निष्पक्ष टिप्पणी के दायरे में हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि यह ध्यान दिया जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी संख्या में निर्णयों में कहा है कि न्यायिक कार्यवाही की निष्पक्ष और उचित आलोचना अदालत की अवमानना नहीं होगी।
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस एन ढींगरा और वरिष्ठ अधिवक्ता अमन लेखी और के राम कुमार के खिलाफ अदालती अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अपनी सहमति से इनकार कर दिया है। वेणुगोपाल ने कहा कि उनके बयान शीर्ष अदालत द्वारा की गई सुनवाई पर निष्पक्ष टिप्पणी के दायरे में हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि यह ध्यान दिया जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी संख्या में निर्णयों में कहा है कि न्यायिक कार्यवाही की निष्पक्ष और उचित आलोचना अदालत की अवमानना नहीं होगी। मैं इस बात से संतुष्ट नहीं हूं कि आपके पत्र में नामित तीन व्यक्तियों द्वारा की गई आलोचना द्वेष के साथ है या न्याय प्रशासन को बिगाड़ने का प्रयास है, या यह कि यह न्यायपालिका की छवि को खराब करने का एक जानबूझकर और प्रेरित प्रयास था।
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एक टीवी शो के दौरान पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी के लिए विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ कई प्राथमिकी को शामिल करने की मांग करने वाली नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने 1 जुलाई को पूर्व भाजपा प्रवक्ता को लेकर तल्ख टिप्पणियां की थी। उन्होंने कहा था कि उदयपुर सहित देश के वर्तमान हालात के लिए नुपुर शर्मा के बयान ही जिम्मेदार हैं।
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बता दें कि जिसके बाद सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसएन ढींगरा सहित न्यायविदों ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की गई टिप्पणियों को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय न्यायपालिका पर सवाल उठाए थे। जया सुकिन नामक वकील ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसएन ढींगरा और अधिवक्ता अमन लेखी, राम कुमार के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी थी।
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