अब अयोध्या में अरब देशों की तर्ज पर होंगी मस्जिद, डिजाइन में होगा बदलाव

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रितिका कमठान । Oct 13 2023 6:07PM

अयोध्या में अब मस्जिद आम मस्जिदों की तरह नहीं बल्कि नए रूप में दिखाई देंगी। अब यह मध्य-पूर्व और अरब देशों में बनने वाली भव्य मस्जिदों की तर्ज पर निर्मित होगी। अरब देशों में बनने वाली मस्जिदों के डिजाइन से प्रेरित होकर ही मस्जिदों का निर्माण होगा।

नई दिल्ली। राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद मामले में वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था। इस फैसले के तहत मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में पांच एकड़ जमीन मिली थी। इस जमीन पर मस्जिद बनाई जानी थी, मगर अब इस मस्जिद का डिजाइन बदल दिया गया है। पहले मस्जिद का डिजाइन आम तौर पर दिखने वाली मस्जिद की तरह था मगर अब इसका डिजाइन एकदम अलग हो गया है।

यानी अयोध्या में अब मस्जिद आम मस्जिदों की तरह नहीं बल्कि नए रूप में दिखाई देंगी। अब यह मध्य-पूर्व और अरब देशों में बनने वाली भव्य मस्जिदों की तर्ज पर निर्मित होगी। अरब देशों में बनने वाली मस्जिदों के डिजाइन से प्रेरित होकर ही मस्जिदों का निर्माण होगा। सिर्फ यही नहीं मस्जिद का नाम पैगंबर मोहम्मद साहब के नाम पर रखा जाएगा। 

गौरतलब है कि अयोध्या के धन्नीपुर में मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन मिली है। इस जमीन पर मस्जिद के अलावा अस्पताल तथा अन्य सुविधाओं का निर्माण होना है। इनके निर्माण के लिए गठित इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने बृहस्पतिवार को पीटीआई- से बातचीत में कहा, मस्जिद-ए-अयोध्या का डिजाइन अब बदल दिया गया है।’’ 

उन्होंने कहा कि पहले भारत में आमतौर पर दिखने वाली मस्जिदों की तर्ज पर ही अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का डिजायन तय किया गया था, जो बेहद सरल था। मगर अब ट्रस्ट ने इसके डिजाइन में बदलाव कर दिया है। इसे मध्य-पूर्व और अरब देशों में बनने वाली भव्य मस्जिदों की तर्ज पर मस्जिद बनाने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि मस्जिद का नाम पैगंबर मोहम्मद बिन अब्दुल्ला के नाम पर रखा जाएगा। 

इस मस्जिद का डिजाइन पुणे के वास्तुकार द्वारा तैयार किया गया है। इस नए डिजाइन को मुंबई में गुरुवार को आयोजित की गई एक बैठक में फाइनल टच यानी अंतिम रूप दिया गया है। बता दें पहले जो मस्जिद बन रही थी अब नई मस्जिद का साइज उससे अपेक्षाकृत बड़ा होगा। 

नई मस्जिद होगी बड़ी

नई मस्जिद डिजाइन के कारण अपने आकार में भी बड़ी होगी। इस मस्जिद का डिजाइन ऐसे बनाया गया है कि यहां अधिक जगह भी होगी। यहां एक साथ 5000 नमाजियों के नमाज अदा करने की जगह होगी। बता दें कि अयोध्या में बनने वाली इस मस्जिद के अंतिम रूप को फाइनल करने को लेकर आयोजित हुई बैठक में सुन्नी, शिया, बरेलवी और देवबंदी सहित सभी मुस्लिम मसलकों के लगभग एक हजार मौलवियों और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। 

उन्होंने कहा कि इस मस्जिद के कैंपस में ही एक कैंसर अस्पताल बनाया जाएगा जो कि 300 बेड से युक्त होगा। इस अस्पताल को स्थापित करने और उसके संचालन के लिए अंतर्राष्ट्रीय फार्मा कंपनी वॉकहार्ट ग्रुप के अध्यक्ष डॉक्टर हाबील खुराकीवाला ने धर्मार्थ आधार पर सहमति दे चुके है। बीते कुछ महीनों से ट्रस्ट देश के कई राज्यों से चंदा भी जुटा रहा है। संभावना है कि जल्द ही मस्जिद के निर्माण का काम शुरू हो जाएगा।

नक्शा पास होना है बाकी

बता दें कि नए नक्शे को अभी अयोध्या विकास प्राधिकरण से पास नहीं करवाया गया है। प्रस्तावित मस्जिद और अस्पताल का नक्शा अब भी अयोध्या विकास प्राधिकरण के पास है। मस्जिद ट्रस्ट को विकास शुल्क के रूप में प्राधिकरण को शुरुआत में एक करोड़ रुपये का भुगतान करना है, जिसके बाद नक्शा पास हो सकेगा। बता दें कि इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से भी सभी डॉक्यूमेंट और जरुरी मंजूरी मिल चुकी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने मस्जिद और अस्पताल के निर्माण के सिलसिले में सभी आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिए हैं। उच्चतम न्यायालय ने नौ नवंबर 2019 को अयोध्या मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल को हिंदू पक्ष को देने का आदेश दिया था। इसके अलावा राज्य सरकार को हुक्म दिया था कि वह मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या के किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन मुहैया कराए।

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