Prabhasakshi Exclusive: Ajit Doval की China Visit से क्या हासिल हुआ? दोनों देशों के बीच आखिर किन मुद्दों पर बनी सहमति?
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि दोनों पक्षों ने जमीनी स्तर पर शांतिपूर्ण स्थिति सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि सीमा पर मुद्दे द्विपक्षीय संबंधों के सामान्य विकास में बाधा न बनें।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों की बीजिंग में हुई वार्ता से क्या संदेश गया है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह वार्ता बेहद सफल रही है। उन्होंने कहा कि भारत ने चीन के साथ सीमा विवाद के निष्पक्ष, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने, नदी से संबंधित आंकड़ों को साझा करने और सीमा व्यापार सहित सीमा पार सहयोग के लिए सकारात्मक दिशा पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यापक वार्ता की। उन्होंने कहा कि हालांकि, विशेष प्रतिनिधि (एसआर) स्तर की 23वीं वार्ता के संबंध में भारत के बयान में छह सूत्री सहमति का उल्लेख नहीं किया गया है जिसका वार्ता के अंत में चीनी पक्ष द्वारा जारी बयान में जिक्र किया गया था।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि दोनों पक्षों ने जमीनी स्तर पर शांतिपूर्ण स्थिति सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि सीमा पर मुद्दे द्विपक्षीय संबंधों के सामान्य विकास में बाधा न बनें। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय ने कहा है कि डोभाल और वांग क्षेत्रीय और वैश्विक शांति एवं समृद्धि के लिए स्थिर और सौहार्दपूर्ण भारत-चीन संबंधों की महत्ता पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि विशेष प्रतिनिधि वार्ता तंत्र को पुनर्जीवित करने का निर्णय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 23 अक्टूबर को कज़ान में हुई बैठक में लिया गया था। इसके दो दिन पहले ही भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग में सेनाओं की वापसी के लिए समझौता किया था, जिससे क्षेत्र में चार साल से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध प्रभावी रूप से समाप्त हो गया था।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि एसआर ने सीमा मुद्दे के समाधान के लिए निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य ढांचे की मांग करते हुए समग्र द्विपक्षीय संबंधों के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को बनाए रखने के महत्व को दोहराया और इस प्रक्रिया में और अधिक जीवंतता लाने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि एसआर वार्ता पांच साल के अंतराल के बाद हुई। एसआर वार्ता का पिछला दौर दिसंबर 2019 में नयी दिल्ली में आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि वार्ता के लिए भारत के विशेष प्रतिनिधि एनएसए डोभाल थे जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्री वांग ने किया, जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य भी हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने विस्तृत बयान में कहा है कि डोभाल और वांग ने अक्टूबर के सैनिकों को पीछे हटाने के समझौते के कार्यान्वयन की सकारात्मक पुष्टि की, जिसके परिणामस्वरूप प्रासंगिक क्षेत्रों में गश्त संबंधी गतिविधियां बहाल हुई हैं। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर चीन की विज्ञप्ति में कहा गया है कि डोभाल और वांग यी ने विशेष प्रतिनिधि वार्ता के दौरान सार्थक चर्चा की और छह सूत्री आम सहमति पर पहुंचे, जिनमें सीमाओं पर शांति बनाए रखने और संबंधों के स्वस्थ एवं स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए आगे भी कदम उठाना शामिल है। उन्होंने कहा कि चीन की विज्ञप्ति के मुताबिक पांच वर्षों के अंतराल के बाद हुई पहली बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दों पर दोनों देशों के बीच निकले समाधान का सकारात्मक मूल्यांकन किया तथा दोहराया कि कार्यान्वयन जारी रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि विज्ञप्ति के मुताबिक दोनों पदाधिकारियों का मानना था कि सीमा मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों की समग्र स्थिति के परिप्रेक्ष्य में उचित तरीके से संभाला जाना चाहिए, ताकि संबंधों के विकास पर इसका असर न पड़े। उन्होंने कहा कि इसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने तथा द्विपक्षीय संबंधों के स्वस्थ और स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने पर सहमत हुए।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि विज्ञप्ति के मुताबिक दोनों पक्षों ने 2005 में सीमा मुद्दे के समाधान के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों द्वारा सहमत राजनीतिक दिशानिर्देशों के अनुसार सीमा मुद्दे का निष्पक्ष, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान तलाशने तथा इस प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने सीमा की स्थिति का आकलन किया और सीमा क्षेत्र में प्रबंधन और नियंत्रण नियमों को और अधिक परिष्कृत करने, विश्वास बहाली के उपायों को मजबूत करने तथा सीमा पर स्थायी शांति और स्थिरता हासिल करने पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि इसमें कहा गया है कि दोनों देश सीमा पार आदान-प्रदान और सहयोग को मजबूत करने तथा तिब्बत, चीन में भारतीय तीर्थयात्रियों की यात्रा फिर से शुरू करने, सीमा पार नदी सहयोग और नाथूला सीमा व्यापार को बढ़ावा देने पर सहमत हुए।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दूसरी ओर चीन के विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक दोनों पक्षों ने विशेष प्रतिनिधियों के तंत्र को और मजबूत करने, कूटनीतिक और सैन्य वार्ता समन्वय और सहयोग को बढ़ाने तथा विशेष प्रतिनिधियों की बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुवर्ती कार्यान्वयन में चीन-भारत सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) को अच्छा काम करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने अगले वर्ष भारत में विशेष प्रतिनिधियों की बैठक का एक नया दौर आयोजित करने पर सहमति जताई और विशिष्ट समय का निर्धारण राजनयिक माध्यमों से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, डोभाल और वांग ने आपसी हितों के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि उन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने, सीमा पार नदियों और सीमा व्यापार पर आंकड़े साझा करने सहित सीमा पार सहयोग और आदान-प्रदान के लिए सकारात्मक चर्चा की। उन्होंने कहा कि डोभाल ने वार्ता के बाद चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की। डोभाल ने वांग को अगले दौर की विशेष प्रतिनिधि बैठक के लिए पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि पर भारत आने का निमंत्रण भी दिया है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि वार्ता का जो दौर शुरू हुआ है वह शांति को स्थायित्व प्रदान करने में अहम भूमिका निभाएगा।
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