Purvottar Lok: Assam लगायेगा बहुविवाह पर रोक, Manipur पर European Parliament के प्रस्ताव पर भारत ने जताया विरोध, Itanagar में आई बाढ़

Himanta Biswa Sarma
ANI

असम के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘समस्या यह है कि कांग्रेस नेता मुस्लिम महिलाओं की पीड़ा नहीं समझते। वे वोट ले लेते हैं लेकिन वापस कुछ नहीं देना चाहते।’’ शर्मा ने कहा कि कांग्रेस मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं दोनों के वोट चाहती है लेकिन वह केवल पुरुषों का भला चाहती है।''

असम सरकार ने बहुविवाह पर रोक लगाने के लिए एक विधेयक लाने का ऐलान किया जिसे समान नागरिक संहिता लाने की दिशा में उठाया जाने वाला कदम बताया जा रहा है। दूसरी ओर मणिपुर में हालात अब सामान्य होने की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। इस बीच यूरोपीय संसद ने मणिपुर पर जो प्रस्ताव पारित किया है उस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। उधर, अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा के चलते बाढ़ जैसे हालात देखने को मिल रहे हैं तो वहीं त्रिपुरा में एक विधायक की ओर से विधानसभा में पॉर्न वीडियो देखे जाने के मामले को आवश्यक कार्रवाई के लिए आचार समिति के पास भेज दिया गया है। इसके अलावा विभिन्न पूर्वोत्तर राज्यों से भी अलग-अलग प्रकार के समाचार रहे। आइये डालते हैं पूर्वोत्तर भारत से आये समाचारों पर एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं असम की।

असम

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा है कि राज्य सरकार ने संबंधित अधिकारियों को सूचित कर दिया है कि वह समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के समर्थन में है और राज्य में तत्काल बहुविवाह पर रोक लगाना चाहती है। शर्मा ने यहां एक कार्यक्रम से इतर कहा कि यूसीसी ऐसा विषय है जिस पर निर्णय संसद करेगी, लेकिन राष्ट्रपति की मंजूरी से राज्य भी इस पर फैसला कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यूसीसी में अनेक मुद्दे हैं और विधि आयोग तथा संसदीय समिति इसे देख रही हैं। असम सरकार पहले ही बता चुकी है कि वह इसके समर्थन में है।’’ उन्होंने कहा कि जब तक यूसीसी पर निर्णय लंबित है, हम इसके एक पहलू -बहुविवाह को लेना चाहते हैं और इस पर तत्काल प्रतिबंध लागू करना चाहते हैं। शर्मा ने कहा, ‘‘हम इस पर रोक के लिए सितंबर में अगले विधानसभा सत्र में एक विधेयक लाने की योजना बना रहे हैं।’’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता शर्मा ने कहा कि यदि राज्य सरकार किसी कारण से विधेयक नहीं ला पाई तो जनवरी में आहूत विधानसभा सत्र में इसे लाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘इस बीच यदि यूसीसी को लागू कर दिया जाता है तो हमें यह कवायद नहीं करनी पड़ेगी।’’ यूसीसी पर कांग्रेस के विरोध पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘समस्या यह है कि कांग्रेस नेता मुस्लिम महिलाओं की पीड़ा नहीं समझते। वे वोट ले लेते हैं लेकिन वापस कुछ नहीं देना चाहते।’’ शर्मा ने कहा कि कांग्रेस मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं दोनों के वोट चाहती है लेकिन वह केवल पुरुषों का भला चाहती है। उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस ने तीन तलाक समाप्त करने का विरोध किया था और अब यूसीसी का विरोध कर रही है, अत: एक तरह से पार्टी ‘मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ जंग छेड़ रही है’।

इसके अलावा, पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में जीत दर्ज करने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नौ उम्मीदवार और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का एक उम्मीदवार तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के कथित हमलों के बाद पड़ोसी राज्य असम में भाग गए हैं। भाजपा के नेताओं ने इस बात का दावा किया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि पश्चिम बंगाल के 133 लोगों ने अपने राज्य में पंचायत चुनाव की हिंसा के कारण अपनी जान के डर से असम में शरण ली है। भाजपा की धुबरी जिला इकाई के अध्यक्ष प्रोसेनजीत दत्ता ने संवाददाताओं को बताया कि कूचबिहार जिले के तूफानगंज विधानसभा क्षेत्र के तहत चिलखाना-द्वितीय ग्राम पंचायत से जीतने वाले पांच भाजपा उम्मीदवार यहां पहुंचे हैं। अन्य चार भाजपा उम्मीदवार जो अपना घर छोड़कर भाग गए हैं, वे उसी जिले के नटबारी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बलरामपुर-द्वितीय से आए हैं। माकपा के उम्मीदवार नूर मोहम्मद भी अपने परिवार के साथ कूचबिहार जिले में अपने घर से धुबरी भाग गए। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उन पर और उनके समर्थकों पर हमला किया था।

इसके अलावा, असम के मोरीगांव जिले में गिरफ्तार होने के बाद पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश कर रहे एक कथित मादक पदार्थ तस्कर को गोली मार दी गई, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। यह तस्कर सोमवार रात को पुलिस की गिरफ्त से उस समय भाग निकला था जब पुलिस के विशेष कार्य बल और कामरूप मेट्रो पुलिसकर्मियों ने एक संयुक्त तलाशी अभियान चलाया था। पुलिस ने इस अभियान के दौरान एक वाहन को रोका था, जिससे 16 करोड़ रुपये की हेरोइन जब्त की गई और एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस अधीक्षक हेमंत दास ने कहा कि इसके बाद कथित तस्कर को पकड़ने के लिए एक अभियान शुरू किया गया, जिसके मोरीगांव जिले के बोरबोरी इलाके में छिपे होने का संदेह था। पुलिस अधीक्षक दास ने बताया कि अपराधी की पहचान मफिजुल हक के रूप में हुई है, जिसे मंगलवार रात गिरफ्तार किया गया था और उसने एक पुलिसकर्मी पर हमला करके भागने की कोशिश की, जिसमें पुलिसकर्मी घायल हो गया। पुलिस ने गोली चला दी, जिससे मादक पदार्थ तस्कर गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल पुलिसकर्मी और तस्कर दोनों को ही गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। तस्कर की हालत गंभीर बताई जा रही है।

इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय ने कथित उत्पीड़न के मामले में अग्रिम जमानत देने से इंकार करने के गौहाटी उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए असम को चार सप्ताह का समय दिया है। उच्चतम न्यायालय ने 17 मई को श्रीनिवास को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था। गौहाटी उच्च न्यायालय ने मई में श्रीनिवास की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। असम युवा कांग्रेस की निष्कासित अध्यक्ष अंकिता दत्ता ने श्रीनिवास पर मानसिक यातना देने का आरोप लगाते हुए एक मामला दर्ज कराया है। न्यायमूति बीआर गवई और न्यायमूर्ति जेबी परदीवाला की पीठ ने सोमवार को मामले में सुनवाई की। राज्य की ओर से पेश वकील ने पीठ को बताया कि उन्हें जवाब देने के लिए थोड़ा और वक्त चाहिए। इस पर पीठ ने पूछा, ‘‘क्या उन्होंने जांच में सहयोग किया है।’’ श्रीनिवास की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा, ‘‘हां, कई बार।’’ राज्य की ओर से पेश वकील ने कहा कि वे जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे और याचिकाकर्ता को पहले ही अंतरिम संरक्षण मिला हुआ है। न्यायालय ने कहा, ‘‘चार सप्ताह में जवाब दाखिल करिए। इसके बाद दो सप्ताह में प्रत्युत्तर दिया जाए। छह सप्ताह में जवाब दिए जाएं।’’ उच्चतम न्यायालय ने असम सरकार को नोटिस जारी करते हुए 10 जुलाई तक याचिका पर जवाब देने को कहा था। पीठ ने कहा था, ‘‘हमने (सीआरपीसी की धारा) 164 के तहत दिया गया बयान पढ़ा है जिसे अभियोजन पक्ष ने बड़ी शालीनता से हमारे समक्ष रखा है। हम इस स्तर पर राज्य के खिलाफ कुछ नहीं कहना चाहते।’’ उसने कहा था, ‘‘प्राथमिकी दर्ज होने में लगभग दो महीने की देरी पर विचार करते हुए याचिकाकर्ता को अंतरिम संरक्षण का अधिकार है। हम निर्देश देते हैं कि गिरफ्तारी की स्थिति में याचिकाकर्ता को 50,000 रुपये का मुचलका जमा करने पर अग्रिम जमानत पर छोड़ा जाएगा।’’ शीर्ष अदालत ने श्रीनिवास को जांच में सहयोग करने और 22 मई को पुलिस के समक्ष उपस्थित होने तथा राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा की जा रही जांच में भी सहयोग करने का निर्देश दिया। अंकिता दत्ता ने 18 अप्रैल को सिलसिलेवार ट्वीट करके श्रीनिवास के खिलाफ आरोप लगाये थे। दत्ता ने 20 अप्रैल को दिसपुर पुलिस थाने में शिकायत दायर कर आरोप लगाया था कि श्रीनिवास पिछले छह महीने से लैंगिक टिप्पणियां एवं अपशब्दों का प्रयोग कर उन्हें प्रताड़ित कर रहे थे और वरिष्ठ पार्टी नेताओं से शिकायत करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दे रहे थे। दत्ता ने शिकायत में आरोप लगाया कि फरवरी में रायपुर में आयोजित पार्टी के पूर्ण सत्र के दौरान आरोपी ने उनके साथ बदतमीजी की और शिकायत करने पर उसका राजनीतिक करियर बर्बाद करने की धमकी दी। गुवाहाटी पुलिस का पांच सदस्यीय दल 23 अप्रैल को बेंगलुरु गया था और उसने श्रीनिवास के आवास पर नोटिस चस्पा कर उन्हें दो मई को दिसपुर थाने में पेश होने को कहा। कांग्रेस ने इस मामले में अंकिता को नोटिस जारी किया और पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उन्हें छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया था। श्रीनिवास ने भी अंकिता दत्ता को कानूनी नोटिस भेजकर माफी मांगने को कहा और ऐसा नहीं होने पर कानूनी कार्यवाही की चेतावनी दी थी।

इसके अलावा, असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगु ने कहा है कि सरकार राज्य को ‘‘कागजी (गोस्ट) छात्रों’’ के बाद ‘‘कागजी (गोस्ट) स्कूलों और शिक्षकों’’ से मुक्त करने की योजना पर काम कर रही है। रनोज पेगु ने कहा कि जो स्कूल अपने कर्मचारियों के बारे में पूरी जानकारी देने में विफल रहे हैं, उनका विशेष अनुदान रोक दिया गया है और ऐसे कर्मचारियों का वेतन अगले दो महीनों में रोक दिया जाएगा। रनोज पेगु ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ''हमने पहले ही कागजी छात्रों का पता लगा लिया था। अब, कागजी स्कूलों और शिक्षकों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।’’ गोस्ट छात्र, स्कूल और शिक्षक वे होते हैं जो केवल कागजों में मौजूद होते हैं। यह फर्जी कार्य विभिन्न योजनाओं तहत सरकारी धन प्राप्त करने के लिए किया जाता है। पिछले वर्ष के नामांकन आंकड़ों का मिलान करने पर जून में राज्य के सरकारी और निजी स्कूलों में लगभग 4.50 लाख कागजी छात्रों के होने की जानकारी मिली थी। पेगु ने कहा कि राज्य के 11,000 से अधिकारी सरकारी प्राथमिक स्कूल हैं जो शिक्षा विभाग द्वारा मांगे जाने के बावजूद अपने कर्मचारियों का पूर्ण आकंड़ा देने में विफल रहे हैं। इन कर्मचारियों में शिक्षण और गैर-शिक्षण दोनों श्रेणी के कर्मी शामिल हैं। उन्होंने कहा, ''यह जानकारी एक विशिष्ट पोर्टल 'शिक्षा सेतु' पर अपलोड की जानी थी। अपने रिकॉर्ड की जांच करने के बाद, हमने पाया कि 11,483 स्कूलों ने सभी कर्मचारियों का विवरण उपलब्ध नहीं कराया है। जब तक वे सभी विवरण अपलोड नहीं कर देते, हम 2023-24 के लिए उनके वार्षिक स्कूल अनुदान और खेल तथा शारीरिक शिक्षा अनुदान पर रोक लगा देंगे।’’ शिक्षा मंत्री ने सभी जानकारी उपलब्ध कराने वाले स्कूलों के लिए अनुदान स्वीकृत करने की भी घोषणा की

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इसके अलावा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की असम इकाई के अध्यक्ष भाबेश कालिता ने कांग्रेस को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 14 सीट पर चुनाव लड़ने की चुनौती दी है। कालिता ने विश्वास जताया कि अगले साल होने वाले आम चुनाव के बाद केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सत्ता में बरकरार रहेगा और नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे। उन्होंने पार्टी की एक दिवसीय बैठक से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस को राज्य में सभी 14 सीट पर चुनाव लड़ना चाहिए। भाजपा और उसके सहयोगी दल भी सभी सीट पर चुनाव लड़ेंगे। तभी स्पष्ट होगा कि जनता का समर्थन किसके साथ है।’’ कालिता ने कहा, ‘‘लोगों ने हमारा काम देखा है और वे हमारे लिए वोट डालेंगे। भाजपा नीत राजग और नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करेंगे।’’ राज्य के लिए मसौदा परिसीमन प्रस्ताव को भाजपा का एजेंडा बताने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग स्वतंत्र संस्था है। यह किसी के इशारे पर काम नहीं करता। विपक्ष यह भलीभांति जानता है।''

मणिपुर

मणिपुर से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के चुराचांदपुर में कुछ दिन पहले एक्सिस बैंक से 2.25 करोड़ रुपये से अधिक के आभूषण और नकदी गायब होने की घटना के बाद अपराधियों ने कांगपोकपी जिले के एक अन्य बैंक को निशाना बनाया और करीब एक करोड़ रुपये मूल्य के कम्प्यूटर तका इलेक्ट्रॉनिक्स सामान लूट लिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मणिपुर राज्य सहकारी बैंक की कांगपोकपी शाखा चार मई से बंद थी। पुलिस ने कहा, ''जब अधिकारी तीन दिन पहले बैंक खोलने गए तो उन्हें चोरी के बारे में पता चला।’’ अधिकारी ने बताया, ''नकदी तिजोरी टूटी पाई गई, मुख्यालय के निर्देशों के अनुरूप बैंक अधिकारियों ने मई के मध्य में सारी नकदी और परिसर में लगे एटीएम वहां से हटा दिए थे।’’ उन्होंने बताया कि कम से कम छह कम्प्यूटर, एक प्रिंटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स सामान गायब हैं। कांगपोकपी पुलिस थाने में घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। दस जुलाई को एक्सिस बैंक की चुराचांदपुर शाखा से 2.25 करोड़ रुपये मूल्य के आभूषण तथा नकदी गायब पाई गई थी। अधिकारियों ने बताया कि राज्य में तीन मई को हिंसा फैलने के बाद से बैंक दो माह से अधिक समय से बंद था और जब उसे खोला गया तब चोरी का पता चला। पुलिस ने बताया कि चोरों ने बैंक के पीछे के हिस्से से सेंध लगाई और वहां से वह बैंक के अंदर घुसे। एक अधिकारी ने बताया, ‘‘1.25 करोड़ की नकदी, कम से कम एक करोड़ रुपये मूल्य के आभूषण तथा एक कम्प्यूटर गायब मिला।’’ मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। तब से अब तक कम से कम 150 लोगों की जान जा चुकी है।

इसके अलावा, भारत ने मणिपुर की स्थिति पर यूरोपीय संघ की संसद में पारित एक प्रस्ताव को 'औपनिवेशिक मानसिकता' से प्रेरित करार देते हुए उसे खारिज कर दिया। यूरोपीय संघ की ब्रुसेल्स स्थित संसद ने अपने इस प्रस्ताव में भारतीय अधिकारियों से मणिपुर में हिंसा को तुरंत रोकने और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय करने का पुरजोर आग्रह किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में इस तरह का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है। बागची ने कहा, ''हमने देखा है कि यूरोपीय संघ की संसद में मणिपुर की मौजूदा स्थिति को लेकर चर्चा की गयी और एक तथाकथित तात्कालिक प्रस्ताव पारित किया गया। भारत के आंतरिक मामलों में इस तरह का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है और यह औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है।’’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि न्यायपालिका सहित सभी स्तरों पर भारतीय अधिकारी मणिपुर की स्थिति से अवगत हैं और शांति, सद्भाव तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं। उन्होंने इस प्रस्ताव को लेकर संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘ यूरोपीय संघ की संसद को सलाह दी जाएगी कि वह अपने समय का अपने आंतरिक मुद्दों पर अधिक उत्पादक ढंग से उपयोग करे।’’ इससे पहले, यूरोपीय संघ की संसद ने मणिपुर में हाल में हुई हिंसा को लेकर भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर बृहस्पतिवार को एक प्रस्ताव पारित किया। यूरोपीय संघ के प्रस्ताव में भारत पर यह भी आरोप लगाया गया कि अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असहिष्णुता के कारण मौजूदा स्थिति बनी है। इसके अलावा प्रस्ताव में 'राजनीति से प्रेरित' नीतियों के बारे में चिंताएं व्यक्त की गयी हैं। इसमें मणिपुर में इंटरनेट सेवा बंद होने का भी उल्लेख किया गया। यूरोपीय संघ की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने भारतीय अधिकारियों से स्वतंत्र जांच की अनुमति देने का भी आग्रह किया। उन्होंने सभी परस्पर विरोधी पक्षों से भड़काऊ बयान बंद करने, आपसी विश्वास बहाल करने और तनाव कम करने के लिए निष्पक्ष भूमिका निभाने का भी आग्रह किया। इसमें कहा गया है कि यूरोपीय संसद ने व्यापार सहित यूरोपीय संघ-भारत साझेदारी के सभी क्षेत्रों में मानवाधिकारों को एकीकृत करने के अपने आह्वान को दोहराया।

इसके अलावा, राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) ने मणिपुर में उग्रवादी संगठनों के सदस्यों द्वारा जबरन वसूली से संबंधित एक मामले में म्यांमा के एक नागरिक सहित तीन लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। संघीय एजेंसी के एक प्रवक्ता ने बताया कि एक विशेष अदालत में म्यांमा के दीपक शर्मा (38) उर्फ खिनमाउंग और मणिपुर के शेखोम ब्रूस मेइती (38) तथा सूरज जसीवाल (33) के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया, जो अपने कृत्यों को अंजाम देने के लिए विभिन्न उग्रवादी संगठनों के लिए धन एकत्रित करते थे। अधिकारी ने बताया कि तीनों पर गैरकानूनी (गतिविधियां) रोकथाम अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं, जबकि शर्मा पर विदेशी अधिनियम के तहत अतिरिक्त आरोप लगाए गए हैं। अब तक की जांच से पता चला है कि पीपुल्स रिवोल्यूशनरी आर्मी, कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी, पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक और यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट जैसे प्रतिबंधित संगठनों के सदस्य इंफाल और घाटी के इलाकों में उगाही के लिए लोगों को फोन करते हैं और अपने संगठनों के लिए धन जुटाते हैं। प्रवक्ता ने बताया कि इन लोगों ने पीड़ितों के साथ अपने सहयोगियों के बैंक खाते का विवरण साझा किया और उन्हें उसमें पैसे जमा करने को कहा।

इसके अलावा, मणिपुर पुलिस ने लोगों को कड़ी चेतावनी देते हुए उनसे उसकी काली कमांडो वर्दी का दुरुपयोग बंद करने को कहा है। अधिकारियों ने बताया कि ऐसी खबरें हैं कि हथियारबंद दंगाइयों ने अविश्वास का माहौल पैदा करने के लिए इस पोशाक का दुरुपयोग किया था। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी इकाइयों को सूचित कर दिया गया है कि मणिपुर पुलिस की काले रंग की कमांडो वर्दी का दुरुपयोग न हो। उन्हें निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। यह मामला कुछ वीडियो प्रसारित होने के बाद सामने आया है जिसमें कुछ हथियारबंद हमलावरों को काली वर्दी पहने देखा गया था। उन्होंने कहा कि यह तीन मई और उसके बाद राज्य में हुई हिंसा के दौरान चुराई गई प्रतीत होती हैं। राज्य में दो समूहों- मेइती और कुकी के बीच हुए सशस्त्र संघर्ष और हिंसा में अब तक 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। अधिकारियों ने कहा कि पुलिस को सुरक्षाकर्मियों, खासकर इंडिया रिजर्व बटालियन और मणिपुर पुलिस को ले जाने वाले किसी भी वाहन और उनके पहचान पत्र की जांच करने के लिए भी कहा गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे मौके आए हैं जब पुलिस की वर्दी का भी दुरुपयोग किया गया है लेकिन ऐसे मामले कम हैं। उन्होंने कहा कि इसको खत्म करने की जरूरत है क्योंकि ऐसे में दूसरे समुदाय को लगता है कि कानून लागू करने वाली एजेंसी पक्षपाती है। जातीय झड़पों के बाद 45,000 जवानों वाली मणिपुर पुलिस पूरी तरह से विभाजित हो गई, बल के मेइती समुदाय से जुड़े कर्मी सुरक्षा के लिए इंफाल घाटी में चले गए तो वहीं कुकी कर्मी पहाड़ियों की ओर गए। पुलिस की ओर से चोरी गये हथियारों का आकलन किया जा रहा है, वहीं उनकी बरामदगी के प्रयास भी तेज कर दिये गये हैं। इस सिलसिले में पुलिस ने दो लोगों को चोरी के पुलिस हथियारों के साथ गिरफ्तार किया था, जो उन्होंने इंफाल घाटी से खरीदे थे। अधिकारियों ने कहा कि बेहतर पुलिसिंग से संबंधित घटनाक्रम में पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह ने कार्यभार संभालने के तुरंत बाद पाया था कि लगभग 1,200 कर्मी ड्यूटी से गायब हैं। उनका पहला काम इन लोगों की पहचान करना और जहां भी वे सहज हों, उनको “ड्यूटी पर वापस लाने” की औपचारिकताएं पूरी करना था। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि लगभग 1,150 कर्मी वापस ड्यूटी पर लौट आए हैं और जो कर्मी वापस नहीं आए हैं उनका वेतन रोकने के लिए नए निर्देश जारी किए गए हैं। हाल ही में, पुलिस प्रमुख ने थाउबल जिले के खंगाबोक इलाके का दौरा किया था, जहां तीसरी इंडिया रिजर्व बटालियन के जवानों ने सैकड़ों दंगाइयों द्वारा शस्त्रागार को लूटने के प्रयास को विफल कर दिया था। यह जिला खोंगजोम के लिए जाना जाता है, जहां मणिपुर की आजादी की आखिरी लड़ाई अप्रैल 1891 में ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ी गई थी। मणिपुर पुलिस द्वारा ‘नाके’ लगाए जा रहे हैं, जिसके तहत लोगों को कर्फ्यू के दौरान आंदोलन सहित नियमों का उल्लंघन करने पर हिरासत में लिया जाता है। इसके अलावा तलहटी में दोनों समुदायों के किसानों को सुरक्षा प्रदान की जाती है।

इसके अलावा, जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में सुरक्षा बलों को अफस्पा के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ अधिसूचित 19 थाना क्षेत्रों में काम करने में कठिनाई आ रही है और वे अपनी जिम्मेदारी निभाने के समय एक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी की मांग कर रहे हैं ताकि झूठे आरोपों से बच सकें। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मणिपुर में कुल 19 थानों को सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा), 1958 के अधिकार क्षेत्र से हटा दिया गया है। यह कानून सेना को संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में अत्यधिक अधिकार और दंडाभाव प्रदान करता है। शुरू में, अप्रैल 2022 में 15 थानों को अफस्पा के दायरे से हटाया गया था, वहीं चार अन्य को इस साल मार्च में हटाया गया। ये क्षेत्र मुख्य रूप से इंफाल घाटी में हैं, जबकि यह कानून इस साल अप्रैल से अगले छह महीने तक राज्य के अन्य हिस्सों में प्रभावी रहेगा। अधिकारियों ने दावा किया कि सुरक्षा बलों पर सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया पर निराधार आरोप लग रहे हैं। उन्होंने मणिपुर बार एसोसिएशन के हालिया बयान पर चिंता जताई है जिसमें आम जनता से कथित अत्याचारों के सबूत साझा करने के लिए कहा गया है। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष युमनम निमोलचंद ने प्रेस वार्ता के दौरान, जनता से आग्रह किया कि वे सुरक्षा बलों के खिलाफ अपनी शिकायतों के समर्थन में उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन मणिपुर या ऑल मणिपुर बार एसोसिएशन को दस्तावेज, तस्वीरें या अन्य सामग्री सहित कोई भी उपलब्ध साक्ष्य प्रदान करें। अधिकारियों ने कहा कि मौजूदा माहौल में जहां दो समुदाय एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं, उन्हें अपना बचाव करने के लिए एक वकील भी नहीं मिल सकता है क्योंकि सभी अदालतें इंफाल घाटी के भीतर हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम मुख्य रूप से सेना, असम राइफल्स, सीआरपीएफ और बीएसएफ के खिलाफ है। इस बीच सेना और असम राइफल्स ने राज्य सरकार से कहा कि वे मजिस्ट्रेट की मौजूदगी होने पर ही क्षेत्र में जाएंगे।

इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को हिंसा-प्रभावित मणिपुर के नागरिकों तथा सार्वजनिक एवं निजी संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का केंद्र एवं राज्य सरकार को निर्देश दिया तथा यह स्पष्ट कर दिया कि कानून-व्यवस्था कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में है और शीर्ष अदालत यह निर्णय नहीं ले सकती कि कहां-कहां सेना और केंद्रीय बल तैनात किये जाने हैं। हिंसा प्रभावित मणिपुर में नागरिकों को हो रही दिक्कतों को कम करने को लेकर विभिन्न पक्षों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों के सुझावों पर विचार विमर्श करते हुए शीर्ष अदालत ने सभी को यह कहते हुए आगाह किया, ‘‘हम सभी पक्षों से अपने बयानों में संतुलन बनाये रखने का अनुरोध करते हैं और इसके लिए किसी भी पक्ष से नफरती बयान नहीं आना चाहिए।’’ अल्पसंख्यक कुकी समुदाय वाले इलाकों में सेना और केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती सहित विभिन्न सुझावों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने देश के 70 साल से अधिक के इतिहास में ऐसा कभी नहीं किया है, क्योंकि सेना कार्यपालिका के असैनिक नियंत्रण में होती है। पीठ ने कहा, ‘‘सुझाव का यह रूप नहीं होना चाहिए था। उदाहरण के तौर पर आप अदालत को भारतीय सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों को यह निर्देश देने को कह रहे हैं कि वे किस तरह की कार्रवाई करें। स्पष्ट बोल रहा हूं, देश के इतिहास में पिछले 70 साल में उच्चतम न्यायालय ने भारतीय सेना को इस तरह का कोई निर्देश जारी नहीं किया है।’’ पीठ में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। न्यायालय ने कहा, ‘‘हमारे लोकतंत्र की एक बड़ी खुबसूरती सशस्त्र बलों पर असैनिक नियंत्रण है। इसे न समाप्त करें। हम ऐसा नहीं करेंगे। हम भारतीय सेना को कोई निर्देश जारी करने नहीं जा रहे हैं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि हम राज्य सरकार और केंद्र को मणिपुर के लोगों के जानमाल और स्वतंत्रता की रक्षा सुनिश्चित करने को कहते हैं। किस जगह कौन सी खास बटालियन तैनात होगी, हमारे लिए इसका निर्धारण करना बहुत ही खतरनाक है।’’ शीर्ष अदालत ने इन आरोपों को ‘भयानक’ बताया कि कथित तौर पर अल्पसंख्यक जनजातियों पर हमला कर रहे कुछ उग्रवादी समूह को सरकारों (केंद्र और राज्य में) का समर्थन प्राप्त है। पीठ ने कहा, ‘‘अगर ये सुझावों के हिस्से के रूप में दिए गए हैं तो वे (सरकारें) कहीं भी कोई प्रगति नहीं कर पाएंगे.. वे सुझावों का हिस्सा कैसे बन सकते हैं?’’ शीर्ष अदालत ने राहत उपायों, दवाओं की आपूर्ति और पीड़ितों के शवों से निपटने सहित कुछ सुझावों पर विचार किया और केंद्र तथा मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से उन पर विचार करने एवं एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) दाखिल करने को कहा। इसने सरकार के विधि अधिकारी को गांवों और पूजा स्थलों के पुनर्निर्माण के लिए मुआवजा देने और राहत एवं पुनर्वास कार्यों की निगरानी के लिए राज्य के सात जिलों में गठित समितियों में समुदायों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने पर विचार करने के लिए भी कहा। सॉलिसिटर जनरल ने सुनवाई के शुरू में एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील निजाम पाशा के कुछ सुझावों का उल्लेख किया और कहा कि उन्हें उनमें से कुछ पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन कुछ अन्य के संबंध में और परामर्श की आवश्यकता है। उन सुझावों में से एक में राज्य सरकार को इंफाल के अस्पतालों में मुर्दाघरों में पड़े शवों की पहचान करने और अंतिम संस्कार करने के लिए उनके रिश्तेदारों को सौंपने के लिए एक अधिकारी को नामित करने का निर्देश देने की मांग की गई है। पीठ ने कहा, यह वांछनीय होगा कि जनता का विश्वास कायम करने के लिए कदम उठाए जाएं और ऐसी समितियों में समुदायों का प्रतिनिधित्व हो। सुनवाई के दौरान ‘मणिपुर ट्राइबल फोरम’ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस द्वारा दिए गए उन सुझावों का कड़ा विरोध किया गया, जब उन्होंने कुकी पर हमलों की जांच के लिए मणिपुर के बाहर के अधिकारियों की एक एसआईटी गठित करने की मांग की। गोंजाल्विस ने आरोप लगाया, "मानसिक रूप से विक्षिप्त एक जनजातीय महिला की हत्या कर दी गई और एक अन्य का सिर काट दिया गया। राष्ट्रीय टेलीविजन पर कुकियों के नरसंहार का आह्वान किया गया है।"

इसके अलावा, मणिपुर सरकार ने उच्चतम न्यायालय से इस सप्ताह कहा कि उसने हिंसा प्रभावित राज्य में जाति, पंथ, धर्म, जनजाति, समुदाय आदि से परे सभी नागरिकों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोत्तम प्रयास किया। राज्य के मुख्य सचिव द्वारा दायर अद्यतन स्थिति रिपोर्ट को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने रिकॉर्ड पर लिया। पीठ ने विभिन्न जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों से राज्य में सामान्य स्थिति और शांति बहाल करने के लिए कुछ सकारात्मक सुझाव देने को कहा। रिपोर्ट में शीर्ष अदालत से आग्रह किया गया है कि इस मामले को याचिकाकर्ताओं और अन्य पक्षों द्वारा अत्यधिक संवेदनशीलता के साथ उठाया जाना चाहिए, क्योंकि किसी भी गलत सूचना, अफवाह या संदेह से मणिपुर में स्थिति बिगड़ सकती है, जहां केंद्र और राज्य सरकारों के ठोस प्रयासों से चीजें धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं। इसमें यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ताओं- ‘एनजीओ मणिपुर ट्राइबल फोरम’ को सुनवाई के दौरान उन जनजातियों और धर्मों का नाम लेने से दूर रहना चाहिए जिनसे वे संबंधित हैं क्योंकि जाने-अनजाने में इसका जमीनी स्तर पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसमें कहा गया है कि राज्य पुलिस नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक के नेतृत्व में राज्य में स्थिति सामान्य बनाने का प्रयास कर रही है और किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) लागू की गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि आवेदकों से ‘अंडरटेकिंग’ प्राप्त करने के बाद केस-दर-केस के आधार पर इंटरनेट लीज्ड लाइन्स (आईएलएल) की अनुमति देकर इंटरनेट निलंबन में सशर्त छूट दी गई है, ताकि उचित कामकाज की सुविधा मिल सके। पूरे राज्य में तीन मई, 2023 को इंटरनेट निलंबित कर दिया गया था। मुख्य सचिव ने एक पुलिस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि चार जुलाई 2023 तक लगभग 5995 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और उनकी पड़ताल की जा रही है। उन्होंने कहा कि छह महत्वपूर्ण प्राथमिकी स्वतंत्र जांच के लिए पहले ही सीबीआई को हस्तांतरित कर दी गई हैं। राज्य सरकार ने कहा कि केंद्र ने हिंसा की घटनाओं और संघर्ष के कारणों की जांच के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया है। स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि एक मुआवजा पैकेज की घोषणा की गई थी, जिसके तहत जातीय हिंसा में मारे गए लोगों के लिए राज्य और केंद्र की समान भागीदारी से 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान किया जा रहा था। गंभीर रूप से घायल लोगों को दो लाख रुपये और सामान्य रूप से घायलों को 25,000 रुपये की राशि दी जा रही है।

इसके अलावा, मणिपुर में जारी हिंसा के कारण आवश्यक वस्तुओं और दवाओं की कमी ने पूर्वोत्तर राज्य के निवासियों में हताशा और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। केंद्र के आह्वान पर कुकी समुदाय ने राष्ट्रीय राजमार्ग दो से नाकाबंदी हटा दी है, लेकिन मेइती समुदाय ने नाकाबंदी नहीं हटाई है, जिसके कारण राज्य के सबसे बड़े चुराचांदपुर जिले में वस्तुओं की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग दो इम्फाल घाटी में रह रहे लोगों के लिए ‘‘जीवनरेखा’’ की तरह काम करता है। चुराचांदपुर में कुकी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। चुराचांदपुर में करीब चार लाख लोग रहते हैं और इसके अलावा 10,000 विस्थापित लोग जिले में बनाए गए राहत शिविरों में रह रहे हैं। चिकित्सकों, खासकर सर्जन की अत्यधिक कमी हो गई है, जिसके गंभीर परिणाम हो रहे हैं, क्योंकि डायलिसिस, कैंसर के लिए दवाएं और एड्स की दवाइयों समेत आवश्यक चिकित्सकीय उपचार जरूरतमंद लोगों को नहीं मिल पा रहे। चुराचांदपुर जिला अस्पताल के चिकित्सकीय अधीक्षक डॉ. तिंगलोनलेई ने कहा, ‘‘हमें इस स्थिति में चिकित्सकों की वास्तव में आवश्यकता है। हमें अब भी और अधिक वरिष्ठ चिकित्सकों, वरिष्ठ सर्जन और कार्डियोथोरेसिक सर्जन की जरूरत है और यदि सरकार हमें गोलियां लगने और घायल होने से अत्यधिक खून बहने के जटिल मामलों से निपटने के लिए एक हृदय शल्यचिकित्सक, एक हृदय रोग विशेषज्ञ उपलब्ध करा सके तो हम वाकई बहुत आभारी होंगे।’’ गृह मंत्री अमित शाह के मई में हिंसा प्रभावित राज्य का दौरा करने के बाद केंद्र ने चिकित्सकों के छह दल मणिपुर भेजे थे। डॉ. तिंगलोनलेई ने कहा, ‘‘हम पिछले महीने एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान), गुवाहाटी से दो चिकित्सकों को चुराचांदपुर भेजे जाने के लिए आभारी हैं, लेकिन हमें गंभीर बीमारियों के लिए विशेषज्ञों की जरूरत है।" उन्होंने कहा कि अस्पताल में दवाओं और सर्जिकल वस्तुओं की भी जरूरत है। चुराचांदपुर-बिष्णुपुर क्षेत्र में रोजाना होने वाली गोलीबारी की छिटपुट घटनाओं से स्थिति और भी जटिल हो गई है। डॉ. तिंगलोनलेई ने बताया कि गोलियों से लगी चोटों का पता लगाने में मदद करने वाली एकमात्र मशीन इस समय खराब है, जिससे पहले से ही गंभीर हालात और खराब हो गए हैं। तेंगनौपाल और चंदेल जिलों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति खराब है क्योंकि घाटी क्षेत्रों में एशियाई राजमार्ग पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हुई हैं। मोरे कस्बे में ‘महिला मानवाधिकार समूह’ की अध्यक्ष चोंग हाओकिप ने कहा, ‘‘हमारे अस्पताल में दवाएं खत्म हो गई हैं। विशेषज्ञों की बात तो छोड़िए, वायरल बुखार के उपचार के लिए भी चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं। हर चीज की कीमत दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। हम अपने बच्चों की खातिर अधिक कीमत चुकाने को भी तैयार हैं, लेकिन कई चीजें बाजार में उपलब्ध नहीं हैं।’’ मेइती समुदाय की बहुलता वाले गांव क्वाथा के निवासियों ने भी इसी तरह की चिंताएं व्यक्त कीं। छह कुकी बहुल गांवों और तीन नगा बहुल गांवों के बीच बसे क्वाथा के लोग शांति के लिए प्रार्थना कर रहे है। गांव की एक गृहिणी टी रत्ना ने कहा, ‘‘हम कुकी समुदाय के लोगों से घिरे हैं। उन्होंने अब तक हम पर हमला नहीं किया है। हम भोजन और दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं। हम शांति चाहते हैं। अब तक, असम राइफल्स घरेलू वस्तुओं और दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित कर रही है।’’ स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव के अलावा स्थानीय आबादी चीजों की तेजी से बढ़ी कीमतों से भी जूझ रही है। चुराचांदपुर बाजार में जाम नाम की एक महिला ने कहा, ‘‘हम अंडे की एक ट्रे के लिए 250 रुपये से अधिक का भुगतान कर रहे हैं। मई के बाद से कीमतें दोगुनी हो गई हैं। इसी तरह, सरसों के पत्तों की कीमत 20-25 रुपये से बढ़कर 50 रुपये हो गई है। सभी घरेलू वस्तुओं की कीमतें दोगुनी से अधिक हो गई हैं।’’ सेना के वाहनों और वस्तुओं की आपूर्ति के आवागमन पर नजर रख रहे महिला नागरिक समाज समूह ‘मीरा पैबी’ ने आरोप लगाया कि असम राइफल्स निष्पक्ष तरीके से काम नहीं कर रही। दूसरी ओर, असम राइफल्स ने कहा कि उसने दोनों पक्षों के लोगों की जान बचाई है।

इसके अलावा, मणिपुर में द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन और जापान की सेनाओं के लिए काम करने वाले एक तांगखुल नगा का उखरूल जिले में उम्र संबंधी बीमारियों के चलते निधन हो गया। उनके परिवार ने यह जानकारी दी। वह 93 वर्ष के थे और उनके परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और पांच बेटियां हैं। पूर्वोत्तर भारत के हिस्सों को जापानी सेना द्वारा आजाद कराए जाने से पहले यांगमासो ए शीशाक ने सबसे पहले 13 वर्ष की उम्र में ब्रिटिश भारतीय सेना के लिए एक धावक के रूप में काम किया था और वह एक चौकी से दूसरी चौकी में पत्र पहुंचाया करता था। उनके बेटे सैनगम ने बताया कि शाही जापानी सेना और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) द्वारा 1944 में नगालैंड और मणिपुर के हिस्सों को आजाद कराए जाने के बाद शीशाक को स्वतंत्र सेना में कुली (पोर्टर) के रूप में नौकरी दी गई थी। सैनगम ने कहा, 'युद् खत्म होने के बाद मेरे पिता को एक बुजुर्ग ने आईएनए का झंड़ा दिया था, जिन्हें यह खांगखुई गांव में गिरा हुआ मिला था।' उन्होंने बताया, 'उसे युद्ध के दौरान एक पास की ही एक पहा़ड़ी पर फहराया जाता था।' 60 वर्षीय सैनगम ने कहा, 'उन बुजुर्ग व्यक्ति ने मेरे पिता से आईएनए के झंड़े को सुरक्षित रखने को कहा था। हालांकि पिछले साल शांगशाक गांव में तैनात असम राइफल्स के एक अधिकारी ने मेरे पिता से वह झंड़ा ले लिया और बार-बार मांगने पर भी वापस नहीं दिया।' उन्होंने कहा, 'अब वह (अधिकारी) किसी और स्थान पर तैनात हैं। मेरे पिता आईएनए का अपना प्रिय झंड़ा वापस पाएं बिना ही इस सप्ताह की शुरुआत में चल बसे।' शांगशाक की लड़ाई में 350 सैनिकों की शहादत को सलाम करते हुए असम राइफल्स ने 2002 में शीशाक के घर के बगल में ही एक युद्ध स्मारक का निर्माण कराया था।

मेघालय

मेघालय से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि फेरीवालों, रेहरी एवं पटरीवालों के जबर्दस्त विरोध के चलते मेघालय सरकार ने रात दस बजे के बाद सभी दुकानें बंद करने का अपना फैसला बृहस्पतिवार को वापस ले लिया। एक अधिकारी ने बताया कि टैक्सी चालकों के विरोध के बाद सरकार ने खीनडायलाड -मोटफ्रान क्षेत्र में ‘‘सम-विषम’’ नियम लागू करने का आदेश भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यातायात को सुचारू करने के लिए ‘‘सम-विषम’’ परियोजना लायी गयी थी। अधिकारी ने बताया कि उपमुख्यमंत्री प्रिस्टोन तिनसोंग ने इस विषय पर समीक्षा बैठक की तथा जिला प्रशासन को जरूरी दिशानिर्देश जारी किये। पूर्वी खासो पर्वतीय जिले के उपायुक्त आरएम कुरबाह ने 10 जुलाई का आदेश वापस ले लिया तथा नयी अधिसूचना जारी करते हुए खीनडायलाड, पोलो और उरकालियार क्षेत्रों में ‘फुडस्टॉल’ को रात साढ़े 11 बजे तक खुला रखने की अनुमति दी। पिछले आदेश से ये ‘फुडस्टॉल’ प्रभावित हुए थे। जिला प्रशासन ने लैतमुखरान क्षेत्र में पिछले सप्ताह नशे में दो समूहों के बीच कहासुनी तथा बाद में भीड़ द्वारा थाने पर हमला करने एवं चार गाड़ियां जला देने की घटना के बाद 10 जुलाई को पाबंदी संबंधी आदेश जारी किया था। इस आदेश का फेरी वालों ने जबर्दस्त विरोध किया था।

इसके अलावा, मेघालय के मंत्री अम्पारीन लिंगदोह के आवास पर मंगलवार शाम को कथित तौर पर पथराव करने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया। पूर्वी खासी हिल्स के पुलिस अधीक्षक सिल्वेस्टर नोंगटींगर ने कहा कि घटना शाम करीब साढ़े सात बजे हुई। अधिकारी ने कहा कि उस व्यक्ति की पहचान टीबोर लिटिंग के रूप में हुई है, जो मल्की का निवासी है। उससे पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या उसने अकेले या किसी समूह के साथ मिलकर इस हमले को अंजाम दिया। अधिकारी ने कहा कि इस हमले के मकसद का भी पता लगाया जा रहा है। मंत्री के परिवार के मुताबिक, उन्होंने कांच टूटने की आवाजें सुनीं। परिवार के एक सदस्य ने कहा, “हमलावर ने दो बार पथराव किया जिसके बाद हमने पुलिस को सूचना दी।” इससे कुछ दिन पहले नजदीक के लैतुमख्राह स्थित पुलिस थाने पर हमला कर उसके परिसर में खड़े चार वाहनों को आग लगा दी गई थी।

इसके अलावा, मेघालय सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करते हुए मंगलवार को पश्चिमी खासी हिल्स जिले में तीन अवैध कोक संयंत्रों को ध्वस्त कर दिया और इनका संचालन करने वाले पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘सोमवार तक तीन अवैध संयंत्रों को ध्वस्त किया जा चुका है और 20 जुलाई तक और भी संयंत्र ढहाए जाएंगे।’’ अधिकारी के अनुसार, यह कार्रवाई पिछले वर्ष दिसंबर में मेघालय उच्च न्यायालय की ओर से दिए गए आदेश की अनुपालना में की गई है। उन्होंने बताया कि संयंत्रों में दोबारा काम शुरू न किया जा सके इसीलिए उन्हें ध्वस्त किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करने की दिशा में एक आवश्यक कदम है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने भी 2014 में राज्य में कोयले के अवैज्ञानिक खनन और परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था जिसके परिणामस्वरूप उच्चतम न्यायालय भी पहले से खनन किए जा चुके कोयले के परिवहन की निगरानी कर रहा है। मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने पिछले वर्ष विधानसभा में बताया था कि प्रतिबंध के बावजूद राज्य में कोयले का परिवहन करने को लेकर 1652, और अवैध खनन तथा कोयले की अवैध निकासी करने पर 109 मामले दर्ज किए गए थे। उन्होंने सदन को बताया था कि इनमें से 1354 मामले में आरोपपत्र दायर किए जा चुके हैं और 472 को दोषी ठहराया जा चुका है। पिछले नौ वर्षों के दौरान राज्यभर में अवैध कोयला खदानों में दुर्घटनाओं से 20 से अधिक खनिक अपनी जान गंवा चुके हैं। पश्चिमी खासी हिल्स जिले में पिछले साल एक कोयला खदान ढहने से दो खनिकों की मौत हो गई थी और एक घायल हो गया था।

मिजोरम

मिजोरम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के गृहमंत्री लालचामलियाना ने कहा है कि हिंसा-प्रभावित मणिपुर से विस्थापित हुए 12,300 से अधिक लोगों को राहत मुहैया कराने के लिए केंद्र से कोई सहायता प्राप्त नहीं हुई है। मिजोरम सरकार ने पड़ोसी राज्य में जातीय हिंसा के कारण राज्य (मिजोरम) में शरण लिये लोगों को राहत मुहैया कराने के लिए केंद्र से 10 करोड़ रुपये मांगे हैं। लालचामलियाना ने कहा, ‘‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र ने मणिपुर से आंतरिक रूप से विस्थापित हुए लोगों को मानवीय सहायता के तौर पर 10 करोड़ रुपये जारी नहीं किये हैं।’’ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मई में विस्थापितों के लिए 10 करोड़ रुपये की राहत सहायता मांगी थी। उन्होंने बताया कि पर्यटन मंत्री रॉबर्ट रोमाविया रॉयते और गृह आयुक्त एवं सचिव एच. लालेनमाविया सहित अन्य अधिकारियों ने इस मुद्दे को लेकर पिछले महीने केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की थी। मिजोरम के गृहमंत्री ने कहा, ‘‘केंद्रीय गृह सचिव ने दिल्ली में रॉयते और अन्य अधिकारियों के साथ हुई बैठक में हमारी मदद करने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक न तो कोई मदद पहुंची और न ही तब से इस पर केंद्र की ओर से कोई बयान आया है।’’ उन्होंने कहा कि मिजोरम सरकार विदेशियों के लिए नहीं, बल्कि भारतीय नागरिकों के लिए मानवीय सहायता की मांग कर रही है। उनहोंने केंद्र से मणिपुर के विस्थापित लोगों को शीघ्र राहत सहायता मुहैया करने का आग्रह किया। राज्य गृह विभाग के अनुसार, मणिपुर से कुल 12,344 लोगों ने अभी राज्य में शरण ले रखी है। अधिकारियों ने बताया कि इनमें से 2,8884 लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं, जबकि शेष 9,460 राहत शिविरों से बाहर (रिश्तेदारों के घरों में या किराये के मकानों में) रह रहे हैं।

इसके अलावा, मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इकलौते विधायक बुद्धधन चकमा ने मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद सक्रिय राजनीति को अलविदा कहने की इच्छा जाहिर की है। पूर्व मंत्री चकमा 2008 से चार बार चुनाव जीत चुके हैं। वह दो बार विधायक और दो बार चकमा स्वायत्त जिला परिषद (सीएडीसी) के सदस्य चुने गए। साल 2014 में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे चकमा ने कहा था कि वह 50 वर्ष की आयु में राजनीति से संन्यास ले लेंगे। चकमा ने कहा, “मैंने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने का फैसला किया है और मैं 50 वर्ष का हो चुका हूं। मैं अपने परिवार और अन्य सामाजिक दायित्वों पर ध्यान देना चाहता हूं। मैं युवाओं को भी मौका देना चाहता हूं, जो अधिक ऊर्जावान हैं।” पेशे से चिकित्सक चकमा ने कहा कि वह मेडिकल की प्रैक्टिस फिर से शुरू करेंगे और शिक्षा क्षेत्र में शिक्षा क्षेत्र में भी सक्रिय रहेंगे। उन्होंने भाजपा छोड़ने की बात से इंकार कर दिया। हालांकि साथ ही कहा कि वह पार्टी के चकमा जिला अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कहा, “मैंने अपने नेता से मुझे मेरे पद से मुक्त करने का अनुरोध किया है। हालांकि मैं भाजपा में रहूंगा।” इस साल के अंत में मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं।

त्रिपुरा

त्रिपुरा से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य विधानसभा के अध्यक्ष विश्वबंधुसेन ने सदन के अंदर भारतीय जनता पार्टी के विधायक यादब लाल नाथ के कथित घोर कदाचार के मामले को आवश्यक कार्रवाई के लिए आचार समिति के पास भेज दिया है। एक वरिष्ठ विधायक ने यह जानकारी दी। सत्तारुढ़ दल के विधायक को मार्च में विधानसभा के सत्र के दौरान कथित तौर पर अश्लील वीडियो देखते पाया गया था। मुख्य सचेतक कल्याणी रॉय ने कहा, ''भाजपा विधायक किशोर बर्मन ने बजट सत्र के अंतिम दिन बृहस्पतिवार को यह मामला उठाया था और विधानसभा अध्यक्ष सेन से इस पर ध्यान देने को कहा था। सेन ने आवश्यक कार्रवाई के लिए मामले को आचार समिति के पास भेज दिया है।’’ उन्होंने कहा कि नौ सदस्यीय आचार समिति मुद्दे पर विचार-विमर्श करेगी और दिशानिर्देशों के अनुरूप कोई निर्णय लेगी। सात जुलाई को विपक्ष ने भाजपा विधायक नाथ के आचरण पर चर्चा कराने की मांग की थी। भाजपा विधायक मार्च में विधानसभा के भीतर अपने मोबाइल फोन पर कथित तौर पर अश्लील सामग्री देखते हुए पकड़े गए थे। त्रिपुरा विधानसभा में भारी हंगामें के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने पांच विधायकों को निलंबित कर दिया था। विधानसभा अध्यक्ष सेन ने कुछ देर बाद मुख्यमंत्री माणिक साहा के अनुरोध पर विधायकों के निलंबन का आदेश वापस ले लिया था।

इसके अलावा, त्रिपुरा के गोमती जिले में स्थित शक्ति पीठों में से एक त्रिपुरेश्वरी मंदिर के पवित्र तालाब में एक अज्ञात व्यक्ति की खोपड़ी मिली है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि खोपड़ी त्रिपुरा सुंदरी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस 500 साल पुराने तीर्थस्थल के भीतर बने कल्याण सागर तालाब में कैसे पहुंची। लोगों के एक समूह ने बृहस्पतिवार सुबह कल्याण सागर में एक खोपड़ी तैरती हुई देखी और प्राधिकारियों को इसकी सूचना दी। मुख्यमंत्री माणिक साहा ने बृहस्पतिवार को विधानसभा में कहा, ‘‘पुलिस को खोपड़ी मिली है और इसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा गया है। त्रिपुरा राज्य राइफल्स (टीएसआर) के गोताखोरों ने यह पता लगाने के लिए तालाब में तलाश की कि वहां और मानव अवशेष तो नहीं हैं, लेकिन उन्हें कुछ और नहीं बरामद हुआ।’’ साहा ने बताया कि पुलिस ने मंदिर और आसपास के इलाकों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले हैं, लेकिन अभी कोई सुराग नहीं मिला है। स्थानीय पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी बाबुल दास ने बताया कि इस संबंध में एक मामला दर्ज कर लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम पूरे गोमती जिले में लापता लोगों की सूची खंगाल रहे हैं, लेकिन अभी तक कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है।’’ मंदिर के प्रबंधक माणिक दत्ता ने बताया कि कल्याण सागर के पानी का अगले 45 दिन तक इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, क्योंकि खोपड़ी मिलने के बाद यह अपवित्र हो गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें कल्याण सागर को फिर से पवित्र करने के लिए 45 दिन बाद पूजा करनी होगी।’’ यह मंदिर 1501 में महाराज धन्य माणिक्य ने बनवाया था। अभी इसका संचालन राज्य सरकार के हाथों में है।

इसके अलावा, त्रिपुरा के बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश कांग्रेस ने इसे जनविरोधी करार दिया और आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार त्रिपुरा को कर्ज के जाल की तरफ धकेल रही है। कांग्रेस ने कहा कि यह जनता की वास्तविक चिंताओं को दूर करने में विफल रहा है। त्रिपुरा के वित्त मंत्री प्राणजीत सिंह रॉय ने शुक्रवार को विधानसभा में 27,654 करोड़ रुपये के घाटे का बजट पेश किया था। त्रिपुरा कांग्रेस के अध्यक्ष आशीष कुमार साहा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बजट में ना तो सरकारी कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते का वादा किया गया और ना ही नई नौकरियों का। इससे लोगों को कोई फायदा नहीं होने वाला है।’’ साहा ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार त्रिपुरा को कर्ज के जाल की तरफ धकेल रही है और कर्ज पहले से ही 24,832 करोड़ तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा, “वामपंथी सरकार ने अपने 25 साल के शासन के दौरान 13,500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, लेकिन भाजपा सरकार ने छह साल में इसे 24,832 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया।’’ उन्होंने कहा, “आत्मनिर्भर त्रिपुरा का नारा कहां है! हर बजट में वित्त मंत्री नई योजनाओं की घोषणा करते हैं, लेकिन इनकी स्थिति कोई नहीं जानता।’’ साहा ने दावा कि सरकार ने कुछ विभागों के लिए बजट कम कर दिया है।

इसके अलावा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को सद्भावना स्वरूप 980 किलोग्राम अनन्नास भेजे हैं। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। इससे पहले, हसीना ने 15 जून को साहा को 500 किलोग्राम आम भेजे थे। उद्यानिकी विभाग के निदेशक पीबी जमातिया ने चटगांव स्थित सहायक भारतीय उच्चायोग में अधिकारियों को ‘क्यू’ किस्म के अनन्नास के 100 बक्से सौंपे। जमातिया ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ने सद्भावना स्वरूप प्रधानमंत्री हसीना को 980 किलोग्राम अनन्नास भेजे हैं। हम उपहार भेजकर खुश हैं।’’ उन्होंने बताया कि अनन्नास की ‘क्यू’ किस्म अपने स्वाद, सुगंध और आकार के लिए प्रसिद्ध है।

इसके अलावा, त्रिपुरा में टिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने आरोप लगाया कि क्षेत्रीय पार्टी के कार्यकर्ताओं में फूट डालने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने राज्य सरकार पर भी निशाना साधा और दावा किया कि त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद के लिए बजटीय खर्च का सिर्फ दो प्रतिशत आवंटित किया गया है। देबबर्मा ने पश्चिम त्रिपुरा के माधबबाड़ी में सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘समुदाय में ‘थांसा’ (एकता) में खलल डालने के प्रयास किए जा रहे हैं। हममें से कई लोग उपाध्यक्ष, महासचिव, मंत्री या कार्यकारी सदस्य बनना चाहते हैं, लेकिन हम अगर सिर्फ निजी महत्वाकांक्षाओं के बारे में सोचेंगे, तो हमारी अगली पीढ़ी का क्या होगा?’’ त्रिपुरा के राजघराने से ताल्लुक रखने वाले देबबर्मा ने यह भी कहा कि वह पार्टी में पद हासिल करने के लिए लोगों को उन्हें ‘ब्लैकमेल’ करने की अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने कहा, ‘‘कई लोगों ने मुझसे फोन पर बात की है और पार्टी में पद की मांग की है। उन्होंने मुझे धमकी भी दी है कि अगर मैंने उनकी मांग नहीं मानी, तो वे पार्टी छोड़ देंगे। मैंने उनसे कहा है कि अगर वे जहां जाना चाहते हैं, तो चले जाएं। अगर उनमें दम है, तो वे उन लोगों को ‘ब्लैकमेल’ करें, जो कोकबोरोक की जगह बांग्ला लिपी थोपते हैं।’’ कोकबोरोक त्रिपुरा की एक जनजातीय भाषा है। जनजातीय क्षेत्र परिषद के लिए ‘कम’ बजट आवंटन को लेकर राज्य सरकार की निंदा करते हुए देबबर्मा ने सवाल किया, ‘‘क्या यही ‘सबका साथ, सबका विकास’ का उदाहरण है?’’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अक्सर ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे का इस्तेमाल करती है। हम आपको याद दिला दें कि त्रिपुरा के वित्त मंत्री प्रणजीत सिंह रॉय ने पिछले शुक्रवार को राज्य विधानसभा में मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 27,654 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। देबबर्मा ने ‘टिपरासा’ (जातीय मूल के लोगों) को आश्वस्त किया कि वह मरते दम तक उनके साथ रहेंगे। उन्होंने कहा कि 15 जुलाई से पार्टी के दो दिवसीय पूर्ण अधिवेशन के बाद टिपरा मोथा वृहद ‘टिपरालैंड’ की मांग को लेकर एक आंदोलन शुरू करेगी।

नगालैंड

नगालैंड से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य की राइजिंग पीपुल्स पार्टी (आरपीपी) ने चार जुलाई को राष्ट्रीय राजमार्ग 29 पर चट्टान खिसकने से हुई दो लोगों की मौत और संपत्ति के नुकसान को लेकर एनएचआईडीसीएल एवं अन्य के खिलाफ लापरवाही तथा ड्यूटी में कोताही की शिकायत पुलिस थाने में दर्ज कराई है। राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 29 को चौड़ा करके चार लेन का बना रही है। चुमोकेदिमा जिले के न्यू चुमोकेदिमा इलाके में हुई घटना में तीन लोग घायल हो गए थे और वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए थे। आरपीपी के अध्यक्ष जोएल नगा ने एनएचआईडीसीएल के कार्यकारी निदेशक, ठेकेदारों और उप-ठेकेदारों, सलाहकारी फर्म, नगालैंड लोक निर्माण विभाग और परियोजना से जुड़ी अन्य एजेंसियों के खिलाफ शनिवार को चुमोकेदिमा थाने में शिकायत दर्ज करायी है। पार्टी ने कहा कि यह मानव जनित दुर्घटना है और इसके लिए परियोजना से जुड़े एनएचआईडीसीएल और अन्य जिम्मेदार हैं। पार्टी ने कहा, नगालैंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एनपीसीबी) ने 25 सितंबर, 2020 और चार फरवरी, 2021 को भेजे गए पत्र में एनएचआईडीसीएल को निर्देश दिया कि वह पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 के तहत न्यू चुमोकेदिमा इलाके में चट्टानें तोड़ने के लिए ‘डायनामाइट’ के उपयोग से बचे। आरपीपी ने कहा कि इसके बावजूद बड़े पैमाने पर डायनामाइट का उपयोग किया गया और एनपीसीबी के निर्देशों का उल्लंघन किया गया।

अरुणाचल प्रदेश

छब्बीस बड़े जनजातीय समुदायों के महागठबंधन ‘अरुणाचल प्रदेश इंडिजीनस ट्राइब्स फोरम (एआईटीएफ)’ ने भारत के विधि आयोग से राज्य को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के दायरे से बाहर रखने का अनुरोध किया है। आयोग को भेजे पत्र में एआईटीएफ ने कहा कि 26 बड़ी जनजातियों और 100 से अधिक उप जनजातियों वाले इस राज्य की भिन्न जनजातीय संस्कृति, परंपरा, बोलियां, विश्वास पद्धति और मूल्य हैं। उसने कहा कि अरुणाचल प्रदेश की सामाजिक प्रणाली, रीति-रिवाज आधारित कानूनों और अधिकारों को संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त है और ये जारी रहने चाहिए। पत्र में कहा गया है, ‘‘अरुणाचल प्रदेश छोड़कर शेष भारत में यूसीसी के क्रियान्वयन पर हमें कोई एतराज नहीं है क्योंकि अरुणाचल प्रदेश की अनोखी जनसांख्यिकी, भौगोलिक आकृति और सामाजिक प्रणाली है...। इस राज्य को यूसीसी क्रियान्वयन के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए।’’ यूसीसी का तात्पर्य शादी, तलाक और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर कानून का एक साझा समुच्चय है जो धर्म, जाति या स्थानीय रीति-रिवाज से हटकर सभी भारतीय नागरिकों पर लागू होगा ।

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश सरकार एक मजबूत हवाई और सड़क नेटवर्क बनाने के लिए निवेश कर रही है, जिससे आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी। राज्य के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि राज्य में 25 हेलीपैड चालू हालात में हैं और तीन आधुनिक 'लैंडिंग ग्राउंड' हैं, जो वाणिज्यिक उड़ानों के लिए तैयार हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अरुणाचल प्रदेश में सड़क संपर्क तेजी से बढ़ा है, जहां अब हर साल 2,838 किलोमीटर सड़कें बनाई जा रही हैं। उन्होंने कहा, 'हवाई संपर्क से न केवल लोगों और संस्कृतियों को जोड़कर दूरियां कम करने में मदद मिलती है, बल्कि इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है और व्यापार करना सुविधाजनक होता है।'

इसके अलावा, पुलिस ने अपहरण के एक मामले को दो घंटे के अंदर सुलझाते हुए एक स्थानीय बाजार से एक इंजीनियर को छुड़ा लिया। एसपी (अपराध) जिमी चिरम ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग जिले के बामेंग में तैनात ग्रामीण कार्य विभाग के सहायक अभियंता रेरी बोजे का यहां गांधी मार्केट से सुबह करीब 11 बजे अपहरण कर लिया गया था। चिराम ने कहा कि अपहरण की सूचना मिलने के तुरंत बाद ईटानगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई और मामला निरीक्षक एस. रॉय को दिया गया। ईटानगर थाने की एक टीम गठित की गई और तलाशी अभियान चलाया गया। एसपी ने कहा कि पीड़ित को चिंपू-जुलांग ब्रिज के पास रिची जुलांग इलाके से छुड़ाकर तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान यारकुम रिमो (40), माको रिमो (23) और ताह रिमो (35) के रूप में हुई है। पुलिस ने अपहरण में इस्तेमाल की गई कार भी जब्त कर ली है। चिराम ने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपियों ने खुलासा किया कि अपहरण निजी कारणों से किया गया था।

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