Purvottar Lok: अब Yechuri पहुँचे Manipur की हिंसा पर राजनीति करने, Assam में परिसीमन को मिली मंजूर, त्रिपुरा में उपचुनाव के लिए प्रचार तेज

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ANI

मणिपुर में संघर्ष की ताजा घटना में शुक्रवार को उखरूल जिले के कुकी थोवाई गांव में भारी गोलीबारी के बाद तीन लोगों के क्षत-विक्षत शव मिले। उन्होंने बताया कि ताजा हिंसा लिटान पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाले एक गांव में हुई, जहां सुबह-सुबह गोलियों की आवाज सुनाई दी।

मणिपुर में शांति कायम करने के तमाम प्रयासों के बावजूद हिंसा का दौर रुक-रुक कर अब भी जारी है। हालांकि पहले की अपेक्षा माहौल काफी सुधरा है। इसके अलावा मिजोरम में विधानसभा चुनावों की तैयारियां तेज हो चली हैं तो त्रिपुरा में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए प्रचार शुरू हो गया है। वहीं असम में लोकसभा और विधानसभा सीटों के परिसीमन को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गयी है। असम में अब मोटे पुलिसकर्मियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं तो दूसरी ओर मेघालय में एक नवगठित उग्रवादी संगठन का भंडाफोड़ कर सुरक्षा बलों ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। नगालैंड की बात करें तो वहां नगा मुद्दों को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री ने बड़ा बयान दिया है। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से इस सप्ताह कई प्रमुख समाचार रहे। आइये सभी पर डालते हैं एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं मणिपुर की।

मणिपुर

जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में संघर्ष की ताजा घटना में शुक्रवार को उखरूल जिले के कुकी थोवाई गांव में भारी गोलीबारी के बाद तीन लोगों के क्षत-विक्षत शव मिले। उन्होंने बताया कि ताजा हिंसा लिटान पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाले एक गांव में हुई, जहां सुबह-सुबह गोलियों की आवाज सुनाई दी। अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने आसपास के गांवों और जंगलों की गहन तलाशी ली और 24 वर्ष से 35 वर्ष की उम्र के तीन लोगों के शव पाए गये। अधिकारियों के मुताबिक, तीनों शवों पर धारदार चाकू से हमले के निशान है तथा उनके हाथ-पैर भी कटे हुए हैं। पूर्वोत्तर राज्य में बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किये जाने के दौरान तीन मई को हिंसा भड़की थी। तब से राज्य में 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी नगा और कुकी समुदाय के लोगों की संख्या 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

इसके अलावा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी के नेतृत्व में पार्टी का चार सदस्यीय शिष्टमंडल आज मणिपुर के दौरे पर पहुंचा। येचुरी के अलावा इस शिष्टमंडल में पार्टी की केन्द्रीय समिति के सदस्य जितेन्द्र चौधरी (त्रिपुरा राज्य समिति के सचिव), सुप्रकाश तालुकदार (असम राज्य समिति के सचिव) और देबलीना हेम्ब्रम शामिल हैं। शिष्टमंडल ने मणिपुर के हिंसा प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के अलावा चुड़ाचांदपुर, मोइरांग और इंफाल में स्थित राहत शिविरों का भी दौरा किया।

इसके अलावा, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने हिंसा से प्रभावित मणिपुर में अपने ग्राहकों को ऋण पर राहत देने की पेशकश की है। राहत पैकेज में समान मासिक किस्त (ईएमआई), ब्याज भुगतान और अन्य किस्त पर 12 महीने तक की छूट शामिल है। एसबीआई मणिपुर क्षेत्रीय कार्यालय के नोटिस में कहा गया है कि यह उन कर्जदारों के लिए उपलब्ध होगा जिनके खाते तीन मई, 2023 तक गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में नहीं बदले थे। पैकेज को चार मई, 2023 की मूल्यांकन तिथि के आधार पर लागू किया जाएगा। बैंक ने कहा कि जो कर्जदार राहत प्राप्त करने के इच्छुक हैं, उन्हें 31 अगस्त, 2023 तक अपनी घरेलू शाखाओं या किसी नजदीकी एसबीआई शाखा से संपर्क करना होगा। एसबीआई ने कहा कि वह इस समय मणिपुर में व्यक्तियों और व्यवसायों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझता है तथा राहत पैकेज का उद्देश्य उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान करना है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘एसबीआई का राहत पैकेज मणिपुर में अशांति से प्रभावित कर्जदारों के लिए स्वागत योग्य कदम है। ईएमआई और ब्याज भुगतान पर रोक से उन्हें बहुत जरूरी राहत मिलेगी और उन्हें अपने वित्त का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी क्योंकि सामान्य जीवन और आर्थिक गतिविधियों को झटका लगा है।''

इसके अलावा, मणिपुर के नोनी जिले में भारी बारिश के कारण भूस्खलन की कई घटनाएं हुईं जिससे इंफाल-सिलचल राजमार्ग अवरुद्ध हो गया। इस मार्ग पर कम से कम 500 मालवाहक वाहन फंसे हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 37 पर इरांग तथा अवांगखुल भाग 2, खोंगसांग एवं अवांगखुल के बीच और रंगखुई गांव में भूस्खलन की घटनाएं हुईं। अधिकारियों के अनुसार, राजमार्ग से मलबा हटाने और यातायात को बहाल करने के लिए कार्य जारी है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण भूस्खलन हुआ। बीते वर्ष जिले में रेलवे निर्माण स्थल पर हुए भीषण भूस्खलन में कम से कम 61 लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना जिरिबाम-इंफाल रेलवे लाइन पर तुपुल रेलवे यार्ड के निर्माण स्थल पर 30 जून को हुई थी। हिंसा प्रभावित राज्य में भूस्खलन के कारण आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका है। जहां कई दिनों तक चली सड़क नाकेबंदी ने मालवाहक वाहनों की आवाजाही को प्रभावित किया था जिससे दैनिक जीवन प्रभावित हुआ था।

इसके अलावा, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मणिपुर हिंसा मामलों की जांच के लिए बुधवार को विभिन्न रैंक की 29 महिला अधिकारियों सहित 53 अधिकारियों को तैनात किया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि तीन उप महानिरीक्षक रैंक के अधिकारी राज्य में हिंसा के मामलों की जांच के लिए अपनी-अपनी टीम का नेतृत्व करेंगे, जिनमें महिला अधिकारी लवली कटियार और निर्मला देवी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी संयुक्त निदेशक घनश्याम उपाध्याय को रिपोर्ट करेंगे जो विभिन्न मामलों में जांच की निगरानी करेंगे। 

इसके अलावा, मणिपुर हिंसा में शामिल दोनों समुदायों से जुड़े संगीतकारों ने माइकल जैक्सन के प्रसिद्ध गीत 'मुझे अच्छे संगीत से प्यार है, इसका कोई रंग नहीं, इसकी कोई सीमा नहीं' का जिक्र किया और कहा कि अशांति के इस माहौल को समाप्त करने में संगीत जादू सा असर डाल सकता है। कुकी और मेइती दोनों समुदाय के संगीतकारों ने कहा कि मतभेदों को दूर करने में अभी भी देर नहीं हुई है और संगीत सबसे बेहतर मरहम का काम कर सकता है। कुकी समुदाय के प्रसिद्ध गायक डोन्नी ने फोन पर कहा, 'एक संगीतकार होने के नाते, हम सभी काफी अच्छा वक्त बिताते हैं। हम दूसरे समुदाय के लोगों से मिलते हैं और उनकी अद्भुत संगीत शैली को सुनकर हमारे संबंध बनते हैं। हम अक्सर एक-दूसरे के साथ बैठकर बात करते हैं और अपनी-अपनी जिंदगियों में क्या चल रहा है उसके बारे में जानते हैं।' डोन्नी ने कहा, 'इन हालात की शुरुआत से पहले, हम मणिपुर के संगीत प्रेम को नई ऊंचाईयों पर ले जाना चाहते थे, जहां हर सप्ताह कोई न कोई समारोह होता रहता था। मेरा निजी तौर पर मानना है कि जब तक हिंसा नहीं भड़की थी तब तक महत्वाकांक्षी संगीतकार संगीत को एक मुख्य करियर विकल्प के रूप में ले रहे थे।' प्रसिद्ध 'ड्रमर' और मेइती समुदाय के संगीतकार मोमो लैशराम भी यह मानते हैं कि घावों को भरने में संगीत एक दवा के रूप में काम कर सकता है। इंफाल से उन्होंने फोन पर बताया, 'मौजूदा हालात अभी भी अस्थिर हैं। लेकिन अगर कोई चीज है, जो राज्य में शांति को बहाल कर सकती है तो वह है संगीत।' उन्होंने कहा, 'संगीतकार होने के नाते हम सिर्फ यही जानते हैं कि कैसे संगीत के माध्यम से लोगों के दिलों को छुआ जाए। फिलहाल हम विस्थापित लोगों की मदद के लिए चंदा इकट्ठा करने के लिए कुछ इलाकों में संगीत कार्यक्रमों में गा-बजा रहे हैं। यही चीज है, जो हम कर सकते हैं।' डोन्नी ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि शांति बहाल होगी और मैं फिर से संगीत कार्यक्रमों की गूंज सुन सकूंगा।'

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इसके अलावा, जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में दो दशक से अधिक समय के बाद मंगलवार को बालीवुड सिनेमा की वापसी हुई। चुराचांदपुर में एक अस्थायी ओपन एयर थिएटर में पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक पर आधारित एक हिंदी बॉलीवुड फिल्म दिखाई गई। रेंगकई में विक्की कौशल अभिनीत ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। इसका आयोजन आदिवासी संगठन ‘हमार छात्र संघ’ (एचएसए) ने सितंबर 2000 में ‘रेवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट’ द्वारा हिंदी फिल्मों पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त करने के लिए किया गया था। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम के एक प्रवक्ता ने बयान में कहा, ‘‘दो दशक से अधिक समय से हमारे शहर में एक भी फिल्म प्रदर्शित नहीं हुई है। मेइती लोगों ने लंबे समय से हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध लगा रखा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज का यह कदम उद्देश्य मेइती समूहों की राष्ट्र-विरोधी नीतियों को चुनौती देना और भारत के प्रति अपना प्यार दिखाना है।’’ यह संगठन खुद को कुकी जनजातियों की आवाज बताता है। फिल्म दिखाने से पहले राजधानी शहर से 63 किमी दूर स्थित ओपन एयर थिएटर में राष्ट्रगान बजाया गया। एचएसए ने बताया कि मणिपुर में आखिरी बार हिंदी फिल्म 1998 में ‘कुछ कुछ होता है’ दिखाई गई थी। अधिकारियों ने बताया कि 12 सितंबर को प्रतिबंध लगाए जाने के एक सप्ताह के भीतर विद्रोहियों ने राज्य में दुकानों से एकत्रित किए गए हिंदी के 6,000 से 8,000 वीडियो और ऑडियो कैसेट जला दिए थे। आरपीएफ ने पूर्वोत्तर राज्य में इस प्रतिबंध की कोई वजह नहीं बतायी थी लेकिन केबल ऑपरेटरों ने कहा था कि उग्रवादी समूह को राज्य की भाषा और संस्कृति पर बॉलीवुड का नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है।

इसके अलावा, मणिपुर में कई उग्रवादी संगठनों द्वारा सुबह से शाम तक आम बंद का आह्वान करने और पिछले तीन महीनों में जातीय हिंसा में बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान होने के चलते मंगलवार को राज्य में स्वतंत्रता दिवस समारोहों का उत्साह फीका रहा। बंद के चलते राज्य के ग्रामीण इलाकों में और राजधानी इंफाल के बड़े हिस्सों में दुकानें व बाजार बंद रहे तथा सड़कें सुनसान रहीं। एक आधिकारिक आदेश के अनुपालन में, पर्वतीय और घाटी के जिलों के सरकारी कर्मचारी ध्वजारोहण समारोहों में हिस्सा लेने के लिए अपने-अपने कार्यालय पहुंचे। रॉबिन लैशराम नाम के सरकारी कर्मचारी ने कहा, ‘‘मैं सुबह करीब साढ़े आठ बजे कार्यालय पहुंचा और ध्वजारोहण समारोह में हिस्सा लिया। मेरे ज्यादातर सहकर्मी वहां थे। कार्यक्रम के बाद हम सबने मौजूदा स्थिति पर चर्चा की।’’ इस साल के अंत में सेवानिवृत्त होने वाली सुनिता देवी नाम की एक सरकारी कर्मचारी 77वें स्वतंत्रता दिवस समारोहों के लिए अपने कार्यालय सबसे पहले पहुंची। उन्होंने कहा, ‘‘कार्यालय में यह मेरा अंतिम वर्ष है। उसके बाद, मैं दिल्ली जाऊंगी और अपने बेटे के साथ रहूंगी। जातीय हिंसा भड़कने से पहले मैंने स्वतंत्रता दिवस पर अपने कार्यालय के सहकर्मियों के साथ जश्न मनाने की सोची थी। लेकिन मुझे अपनी सभी योजनाएं छोड़नी पड़ी क्योंकि जश्न मनाने जैसा कुछ नहीं रहा।’’ राज्य व जिला स्तर पर समारोह, पुरस्कारों और प्रमाणपत्रों के वितरण, राष्ट्रगान बजाने और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ भव्य तरीके से आयोजित किये गए। स्थानीय स्तर पर समारोह का उत्साह फीका रहा क्योंकि ज्यादातर लोग घरों से बाहर नहीं निकले। सरत टी. नाम के स्थानीय कारोबारी ने कहा, ‘‘पिछले तीन महीनों में जानमाल का काफी नुकसान हुआ है और इसलिए समारोहों का माहौल नहीं था। मेरे एक करीबी रिश्तेदार, जिनका घर मोरेह में जला दिया गया था, इंफाल ईस्ट जिले में एक राहत शिविर में हैं। हमने उनके परिवार के लिए कुछ खास व्यंजन बनाये हैं और उन्हें देने के लिए वहां जा रहे हैं। आज के दिन हमारा यही जश्न है।’’ पिछले दो दिनों से राज्य समूचे इंफाल में स्वतंत्रता दिवस समारोहों के लिए तैयारियों में जुटा हुआ था। शहर में मुख्य सड़कों और महत्वपूर्ण भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज लगाये गये। कुछ लोगों ने केंद्र के ‘हर घर तिरंगा अभियान’ में भी हिस्सा लिया और अपने आवास पर तिरंगा लगाया। अधिकारियों ने बताया कि चुराचांदपुर जिले में कुकी-जो गांव के स्वयंसेवियों ने भी 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाया। उन्होंने बताया कि कांगपोकपी शहर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी तिरंगा लगाया गया। इस बीच, दो दशक में पहली बार, राज्य में स्वतंत्रता दिवस पर एक हिंदी फिल्म प्रदर्शित की जाएगी। आदिवासी संगठन हमार स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एचएसए) द्वारा मंगलवार शाम चुराचांदपुर जिले के रेंगकई (लकमा) में यह फिल्म प्रदर्शित करने की योजना है। एचएसए ने कहा कि मणिपुर में पिछली बार 1998 में ‘कुछ-कुछ होता है’ सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की गई थी। हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध सितंबर 2000 में प्रतिबंधित संगठन रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट ने लगाने की घोषणा की थी।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति लौट रही है। उन्होंने राज्य के लोगों से वहां की समस्याओं का समाधान खोजने के लिए शांति की राह पर आगे बढ़ने का आग्रह किया। लाल किले की प्राचीर से 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से मणिपुर से नियमित रूप से शांति की खबरें आ रही हैं और केंद्र तथा राज्य सरकार वहां की समस्याओं का समाधान खोजने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ सप्ताह पूर्वोत्तर में, विशेषकर मणिपुर में और हिन्दुस्तान के भी अन्य कुछ भागों में... लेकिन विशेषकर मणिपुर में जो हिंसा का दौर चला, कई लोगों को अपना जीवन खोना पड़ा, मां-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ...कुछ दिनों से लगातार शांति की खबरें आ रही हैं।’’ उन्होंने कहा कि देश मणिपुर के लोगों के साथ है। मणिपुर में तीन मई से जारी जातीय हिंसा में 150 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मणिपुर के लोगों ने पिछले कुछ दिनों से जो शांति बनाई रखी है, उस शांति के पर्व को देश आगे बढ़ाएं। शांति से ही समाधान का रास्ता निकलेगा। राज्य और केंद्र सरकार मिलकर उन समस्याओं के समाधान के लिए भरपूर प्रयास कर रही है, करती रहेगी।’’ उन्होंने कहा कि वह जब देश की एकता की बात करते हैं उसका अर्थ यह होता है कि अगर घटना मणिपुर में होती है तो पीड़ा महाराष्ट्र में होती है और अगर बाढ़ असम में आती है तो बेचैन केरल हो जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘हिन्दुस्तान के किसी भी हिस्से में कुछ भी हो, हम एक ही भाव की अनुभूति करते हैं। मेरे देश की बेटियों पर जुल्म न हो, ये हमारा सामाजिक दायित्व भी है, ये हमारा पारिवारिक दायित्व भी है और ये देश के नाते हम सबका दायित्व है।’’ केंद्र ने मणिपुर में हिंसा पर काबू पाने के प्रयासों के तहत अर्धसैनिक बलों को तैनात किया है।

इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मंगलवार को कहा कि कुछ गलतफहमियों, निहित स्वार्थी लोगों के कार्यों एवं देश को अस्थिर करने के विदेशी षड्यंत्र के कारण राज्य में लोग मारे गए और संपत्तियों को नुकसान हुआ। सिंह ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रथम मणिपुर राइफल्स परेड ग्राउंड में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद सभी से हिंसा रोकने और राज्य को तीव्र प्रगति की राह पर वापस लाने का प्रयास करने की अपील की। राज्य के सभी पहाड़ी और घाटी जिलों में स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित किए गए। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कुछ गलतफहमियों, निहित स्वार्थों वाले लोगों के कार्यों एवं देश को अस्थिर करने के विदेशी षड्यंत्र के कारण राज्य में बहुमूल्य जान और माल का नुकसान हुआ तथा कई लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं।’’ सिंह ने कहा कि सरकार सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए लगातार काम कर रही है और प्रभावित लोगों को जल्द ही फिर से बसाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को उनके मूल स्थानों पर तुरंत स्थानांतरित नहीं किया जा सकता, उन्हें पूर्व-निर्मित घरों में अस्थायी रूप से रखा जाएगा। पूर्वनिर्मित (प्रीफैबरिकेटेड) मकानों से तात्पर्य ऐसे भवनों से हैं, जिनके ढांचे किसी और स्थान पर तैयार किए जाते हैं और फिर उन्हें उन स्थलों पर स्थापित किया जाता है, जहां मकानों को बनाए जाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘गलती करना मानवीय प्रवृत्ति है इसलिए हमें माफ करना और भूलना सीखना होगा।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘एक परिवार एक आजीविका’’ परियोजना लागू करने और लोगों के पुनर्वास के लिए एक समिति का गठन किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने संविधान के प्रावधानों के खिलाफ कभी कोई काम नहीं किया है और वह न ही कभी ऐसा करेगी।’’ सिंह ने कहा कि मादक द्रव्यों के खिलाफ युद्ध किसी विशेष समुदाय या व्यक्ति पर लक्षित नहीं है, बल्कि यह देश और भावी पीढ़ी को नशीली पदार्थों के दुरुपयोग के खतरे से बचाने का सरकार का एक प्रयास है। उन्होंने कहा, ‘‘नशीले पदार्थों के खिलाफ युद्ध 2018 के अंत में शुरू किया गया था क्योंकि राज्य में मादक द्रव्यों का भारी प्रभाव पड़ रहा था और एक लाख से अधिक लोग इनका इस्तेमाल कर रहे थे।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘भाजपा सरकार 2017 से लोगों की नब्ज को समझकर राज्य के कल्याण के लिए लगातार काम कर रही है और पिछले छह साल से किसी प्रकार का संघर्ष, बंद और नाकाबंदी नहीं हुई थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राज्य के दूर-दराज के गांवों में विकास लाने के लिए बजट में और धन का प्रावधान किया गया है।’’ सिंह ने कहा कि सरकार पोस्त की खेती के लिए बड़े पैमाने पर वनों की कटाई को मूकदर्शक बनकर नहीं देख सकती, इसलिए उसने नशीले पदार्थों का राज्य से सफाया करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, ‘‘गोल्डन ट्रायएंगल से नशीले पदार्थों की अवैध तस्करी के खिलाफ मणिपुर देश का द्वारपाल है और राज्य देश की युवा आबादी को मादक द्रव्यों से बचा रहा है।’’ एशिया में अफीम का अवैध उत्पादन करने वाले दो प्रमुख क्षेत्र में से एक को ‘गोल्डन ट्रायएंगल’ कहा जाता है, जबकि दूसरे क्षेत्र को ‘गोल्डन क्रिसेंट’ नाम दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों की कटाई ने राज्य में जलवायु परिस्थितियों को प्रभावित किया है और पोस्त की खेती के लिए नमक एवं उर्वरकों के वितरण ने राज्य के जल संसाधनों को प्रभावित किया है।

इसके अलावा, मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण विस्थापित हुए 3,000 परिवारों को आश्रय देने के लिए राज्य सरकार पूर्वनिर्मित मकानों की पहली खेप के निर्माण के लिए तेजी से काम कर रही है ताकि लोगों को राहत शिविरों से स्थानांतरित किया जा सके। हिंसा से प्रभावित कई लोग पिछले तीन महीने से अधिक समय से अस्थायी राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। पूर्वनिर्मित (प्रीफैबरिकेटेड) मकानों से तात्पर्य ऐसे भवनों से हैं, जिनके ढांचे किसी और स्थान पर तैयार किए जाते हैं और फिर उन्हें उन स्थलों पर स्थापित किया जाता है, जहां मकानों को बनाए जाने की आवश्यकता है। मणिपुर पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पुलिस अधीक्षक पी. ब्रोजेंद्रो ने कहा, 'पांच अलग-अलग स्थानों पर 26 जून से निर्माण कार्य शुरू हुआ था और राज्य सरकार की इस पहल को हम समय से पहले जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।' मणिपुर पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड मकानों की निर्माण परियोजना कार्य का जिम्मा संभाल रही है। इंफाल पूर्व जिले में सजीवा जेल के पास बनाए जा रहे दो सौ मकानों का निर्माण कार्य जल्द पूरा होने का जिक्र करते हुए अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक घर में दो कमरे, एक शौचालय और सामान्य रसोई होगी तथा एक पंक्ति में दस मकान होंगे। उन्होंने बताया कि 200 पूर्वनिर्मित मकानों को पूरा करने की समय-सीमा 20 अगस्त है और इन्हें पूरा करने के लिए लगभग 160 मजदूर काम कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया, 'इन मकानों के निर्माण में आने वाली सबसे बड़ी चुनौती है उसमें प्रयोग होने वाली सामग्री को मणिपुर लाना क्योंकि राज्य में जगह-जगह सड़कें बंद हैं और राजमार्ग पर नाकेबंदी हो रखी है।' उन्होंने बताया कि मकानों को तैयार करने के लिए मजदूरों को विमानों से लाया गया जबकि नींव रखने का काम यहां के स्थानीय श्रमिकों द्वारा किया गया। अधिकारी ने बताया कि थौबल जिले के यैथिबी लौकोल क्षेत्र में कम से कम 400 परिवारों के लिए पूर्वनिर्मित मकान बनाए जा रहे हैं और बिष्णुपुर जिले के क्वाक्ता में अन्य 120 पूर्वनिर्मित मकानों को तैयार किया जा रहा है। इंफाल पश्चिम जिले के सेकमई और इंफाल पूर्व के सवोम्बुंग में भी इसी तरह के मकान बनाए जा रहे हैं। एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'अज्ञात लोगों और राज्य पुलिस के बीच लगातार गोलीबारी के कारण विशेष रूप से क्वाक्ता में मकानों के निर्माण कार्य को पूरा करने में रुकावटों का सामना करना पड़ रहा है।' उन्होंने बताया, 'पहाड़ी इलाकों में कानून-व्यवस्था की मौजूदा स्थिति के कारण वहां परियोजना को लागू करना बेहद मुश्किल हो गया है।'

असम

असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य पुलिस ने बुधवार को सभी पुलिसकर्मियों के लिए शरीर द्रव्यमान सूचकांक (बीएमआई) परीक्षण शुरू कर दिया है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जीपी सिंह ने सबसे पहले खुद परीक्षण कराया। डीजीपी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के निर्देश पर हमने असम पुलिस को अधिक स्वस्थ और फिट बनाने का संकल्प लिया है और इसकी शुरुआत बीएमआई परीक्षण से की गई है।’’ डीजीपी 25 बीएमआई के साथ परीक्षण में सफल रहे। उन्होंने कहा, ‘‘हमने 16 मई को तय किया था कि तीन महीने के बाद सभी पुलिसकर्मियों का बीएमआई परीक्षण शुरू किया जाएगा।’’ उन्होंने बताया, ‘‘इसके तहत हमने 67 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों का डेटा एकत्र किया और राज्य में 36 स्थानों पर बीएमआई परीक्षण शुरू किया।’’ दूसरे चरण में, मोटापे की श्रेणी (30 बीएमआई से ऊपर) में आने वाले सभी पुलिसकर्मियों को डेरगांव स्थित पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज जाने की सलाह दी जाएगी। वहां उन्हें सरकारी चिकित्सकों एवं पोषण विशेषज्ञों के निर्देशन में तीन महीने तक रखा जाएगा उनका बीएमआई 30 से नीचे लाया जा सके। सिंह ने कहा, ‘‘हमने अगले साल तक बीएमआई 28 का लक्ष्य रखा है और इसके साथ पुलिसकर्मियों के ब्लड शुगर और रक्तचाप का डेटाबेस भी तैयार किया जाएगा।’’ उन्होंने यह भी कहा कि जब पूरा डेटाबेस तैयार हो जाएगा तो आवश्यक चिकित्सा परामर्श उपलब्ध कराया जाएगा और राज्य सरकार इस दिशा में हर संभव सहायता के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री शर्मा ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ एक बैठक के दौरान पुलिस प्रशासन पर ‘बोझ’ बन चुके कर्मचारियों को हटाने की वकालत की थी। उनका इशारा शराब पीने वाले, अत्यधिक मोटापे वाले और भ्रष्टाचार के आरोप वाले पुलिसकर्मियों की तरफ था।

इसके अलावा, असम के परिसीमन पर निर्वाचन आयोग का अंतिम आदेश बुधवार से प्रभावी हो गया। एक आधिकारिक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई। आयोग ने 11 अगस्त को राज्य में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें उनकी कुल संख्या में बिना किसी बदलाव यह क्रमशः 126 और 14 रखी गई है। इसने 19 विधानसभा क्षेत्रों और एक संसदीय क्षेत्र के नाम को भी संशोधित किया था। असम में 19 विधानसभा और दो लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति (एसटी) जबकि एक लोकसभा क्षेत्र और नौ विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित किए गए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से कानून मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, 16 अगस्त, 2023 को उस तारीख के रूप में निर्दिष्ट किया गया है, जिस दिन असम के संबंध में निर्वाचन आयोग का आदेश प्रभावी होगा।

इसके अलावा, लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने बुधवार को कहा कि मणिपुर में जब तक लूटे गए 6,000 आधुनिक हथियार और छह लाख कारतूस बरामद नहीं कर लिए जाते, तब तक कोई शांति नहीं होगी। गोगोई ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि ये हथियार और गोलियां सुरक्षा बलों से लूटी गईं थीं और इनका इस्तेमाल राज्य के आम नागरिकों पर होगा। मणिपुर में तीन मई से हिंसा का दौर जारी है। कांग्रेस नेता ने कहा, ''तो जब तक दोनों पक्षों के बीच सुलह के लिए बात नहीं हो तब तक वहां शांति कैसे हो सकती है और हालात कैसे सामान्य हो सकते हैं।'' उन्होंने दावा किया कि मेइती और कुकी दोनों ही समुदाय के लोग मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के रवैये से नाखुश हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, ''गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में पूरी तरह से मुख्यमंत्री को समर्थन दिया जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा कि शांति समितियों में मुख्यमंत्री की मौजूदगी के कारण ही शांति वार्ताएं विफल हुई हैं। गोगोई ने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लालकिले से लोगों को गुमराह किया क्योंकि राहत शिविरों में रह रहे 60,000 लोगों के पुनर्वास के बिना और 6,000 हथियारों की बरामदगी तक वहां शांति नहीं हो सकती।’’

इसके अलावा, असम में बाढ़ की स्थिति में मंगलवार को काफी सुधार देखने को मिला। हालांकि अब भी पांच जिलों में लगभग 46,000 लोग प्रभावित हैं। एक आधिकारिक बुलेटिन में यह जानकारी दी गई। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) की दैनिक रिपोर्ट के अनुसार, चिरांग, दरांग, धेमाजी, डिब्रूगढ़ और शिवसागर जिलों में बाढ़ के कारण 45,700 से अधिक लोग प्रभावित हैं। बुलेटिन में कहा गया कि शिवसागर में सबसे ज्यादा लगभग 23,000 लोग प्रभावित हैं, इसके बाद धेमाजी में 20,500 और चिरांग में 1,500 लोग परेशानी झेल रहे हैं। इससे पहले सोमवार तक सात जिलों में बाढ़ से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या 65,500 से अधिक थी। राहत की बात है कि राज्य में कहीं से भी नई मौत की सूचना नहीं है। इस साल बाढ़ में अब तक कुल 14 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। प्रशासन की ओर से शिवसागर में सात राहत शिविर खोले गए हैं, जहां 1,219 लोगों को आश्रय दिया हुआ है और दो जिलों में चार राहत वितरण केंद्र चल रहे हैं। एएसडीएमए ने बताया कि वर्तमान में 214 गांव जलमग्न हैं और पूरे राज्य में 5,743.09 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों को नुकसान हुआ है। ब्रह्मपुत्र नदी धुबरी, तेजपुर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

इसके अलावा, मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को कहा कि असम सरकार लोगों की सहूलियत के लिए हर विधानसभा क्षेत्र में ‘उप जिला’ बनायेगी। 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण करते हुए शर्मा ने यह भी कहा कि उनकी सरकार परिसीमन शुरू होने से पहले खत्म कर दिये जिलों के बारे में भी फैसला करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमने परिसीमन को हकीकत के रूप में स्वीकार किया है। निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन को तार्किक परिणति तक ले जाने के लिए निकट भविष्य में कई चीजें की जानी हैं।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अगले एक महीने में प्रशासनिक सुधारों की श्रृंखला शुरू करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम हर निर्वाचन क्षेत्र में सभी अवसंरचना के साथ एक उप जिला बनायेंगे। एक अतिरिक्त उपायुक्त उसकी अगुवाई करेगा। यह लोगों की सहूलियत के लिए किया जाएगा और बमुश्किल ही किसी को जिला मुख्यालय जाने की जरूरत होगी।’’ उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस प्रशासनिक सुधार से नये उपसंभागों तथा जिलों की मांग को लेकर प्रदर्शनों समेत कई समस्याओं का अंत हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘जिन जिलों को परिसीमन से पहले खत्म कर दिया गया, उनके बारे में अगले दो महीने में फैसला किया जाएगा।’’ असम मंत्रिमंडल ने 31 दिसंबर, 2022 को चार जिलों को उनके मूल जिलों में मिलाने का फैसला किया था। विश्वनाथ को सोनितपुर के साथ, होजाई को नगांव के साथ, तामुलपुर को बक्सा के साथ और बजली को बारपेटा के साथ मिला दिया गया। जिलों के विलय का निर्णय निर्वाचन आयोग द्वारा 1 जनवरी, 2023 से असम में नई प्रशासनिक इकाइयां बनाने पर प्रतिबंध लगाने से ठीक एक दिन पहले लिया गया था, क्योंकि आयोग राज्य में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की कवायद शुरू करने वाला था।

इसके अलावा, असम के कछार जिले में 12 साल के लड़के की हत्या मामले में मदरसे के एकमात्र शिक्षक और छात्रावास के वार्डन को सोमवार को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि छात्र की सिरकटी लाश मदरसे में मिली थी। उन्होंने बताया कि शव मिलने के बाद जिले के धोलाई इलाके में स्थित दारुस सलाम हफीजिया मदरसा के शिक्षक को रविवार को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘पूरी रात पूछताछ करने के बाद हमने पाया कि घटना में शिक्षक की भूमिका संदिग्ध है। इसलिए हमने उसे गिरफ्तार किया। बाद में छात्रावास के वार्डन को भी गिरफ्तार कर लिया गया।’’ उन्होंने बताया कि लड़के की हत्या के कारण और हत्यारों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है। पुलिस ने बताया कि रविवार की सुबह लड़के की सिरकटी लाश उसके साथ रहने वाले छह अन्य छात्रों में से एक ने जगने के बाद देखी। उसने बताया कि पीड़ित की पहचान रजीबुल हुसैन (12) के तौर पर की गई है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि मदरसा में करीब 20 छात्र पढ़ते हैं जिसे अब सील कर दिया गया है।

इसके अलावा, असम के कोकराझार जिले में एक लड़की से सामूहिक बलात्कार करने के आरोप में चार नाबालिगों को पकड़ा गया है। पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि सामूहिक बलात्कार की घटना करीब दो महीने पहले हुई थी। उन्होंने कहा कि पीड़िता की मां ने शुक्रवार को सलाकाती चौकी में तब इसकी सूचना दी, जब नाबालिग लड़की ने इससे एक दिन पहले मामले का खुलासा किया था। सिंह ने दर्ज मामले के आधार पर कहा कि नाबालिग लड़की से करीब दो महीने पहले चंपा नदी के किनारे चार लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था और यह घटना उस वक्त हुई थी जब लड़की स्नान करने गई थी। मामले के अनुसार, आरोपियों ने लड़की को यह बात किसी को न बताने की धमकी दी थी, लेकिन आखिरकार उसने यह बात अपनी मां को बता दी। पुलिस महानिदेशक ने कहा कि सभी चार आरोपियों की पहचान कर ली गई और उन्हें पकड़ लिया गया है। सिंह ने कहा, ‘‘सभी आरोपी नाबालिग हैं। उम्र समेत अन्य पहलुओं का सत्यापन किया जा रहा है और कानूनी कार्रवाई की जा रही है। चूंकि सभी आरोपी नाबालिग बताए जाते हैं, इसलिए पहचान का खुलासा नहीं किया जा रहा है।''

मेघालय

मेघालय से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के वेस्ट जयंतिया हिल्स जिले से नवगठित उग्रवादी संगठन ‘नेशनल लिबरेशन काउंसिल ऑफ नोंगकिनडोंग’ (एनएलसीएन) के तीन और सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। उप महानिरीक्षक (डीआईजी) डेविस आर. मराक ने कहा कि संगठन का पहला समूह हथियारों का प्रशिक्षण लेने के लिए बृहस्पतिवार को नगालैंड रवाना होने वाला था। मेघालय पुलिस ने इससे एक दिन पहले बुधवार को छह सदस्यों को गिरफ्तार करके उग्रवादी संगठन का भंडाफोड़ किया था। मराक ने बताया, ''विभिन्न अभियानों के दौरान बृहस्पतिवार को तीन और लोगों को गिरफ्तार किया गया। ईस्ट खासी हिल्स जिले से क्षेत्र के एक स्वयंभू कमांडर और वेस्ट जयंतिया हिल्स जिले से दो अन्य को गिरफ्तार किया गया।’’ बुधवार को गिरफ्तार किए गए छह लोगों को बृहस्पतिवार को यहां एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें आठ दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। मराक ने कहा कि एनएलसीएन के नगालैंड में अन्य उग्रवादी संगठनों से संबंध होने का संदेह है। डीआईजी ने कहा कि पुलिस को खुफिया जानकारियां मिलीं कि गैर-कानूनी गतिविधियों के लिए एक नया उग्रवादी संगठन बनाया जा रहा है। गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए बुधवार को शुरू किए गए अभियानों में संगठन के चार शीर्ष सदस्य और एक महिला समेत दो काडर पकड़े गए। मराक ने कहा कि ये लोग बृहस्पतिवार को हथियारों के प्रशिक्षण के लिए संगठन के पहले समूह को नगालैंड भेजने वाले थे। भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत शिलांग की पूर्वी रेंज में अपराध शाखा थाने में एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में एनएलसीएन के स्वयंभू अध्यक्ष, एनएलसीएन के 'कमांडर इन चीफ', महासचिव और अन्य शीर्ष सदस्य शामिल हैं।

इसके अलावा, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा ने बृहस्पतिवार को राज्य के आर्थिक मॉडल को आगे बढ़ाने में सामुदायिक भागीदारी के महत्व पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने खासी के प्रसिद्ध जंगलों के करीब ईस्ट खासी हिल्स में मावफलांग के क्यीम गांव में "द ट्रैवलर्स नेस्ट" का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, "हमारी ताकत सामुदायिक भागीदारी में निहित है, जिसका लाभ हम अपने आर्थिक मॉडल के लिए उठा रहे हैं।" संगमा ने सरकार, समुदाय और जनता सहित विभिन्न हितधारकों की सामूहिक जिम्मेदारी पर प्रकाश डालते हुए कहा, "मेघालय की प्रगति अकेले नहीं हासिल की जा सकती है। इसमें प्रत्येक हितधारक को भूमिका निभानी है और अंतिम लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इन भूमिकाओं की पहचान अत्यंत महत्वपूर्ण है"। उन्होंने कहा कि सरकार सामुदायिक क्षमता द्वारा संचालित सतत आर्थिक विकास के एक उदाहरण के रूप में मेघालय की शक्तियों को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा, "हम अपने राज्य की ताकत के आधार पर एक अर्थव्यवस्था और आजीविका का निर्माण कर रहे हैं। यह एक ऐसा मॉडल है जिसे हम दुनिया के सामने प्रदर्शित करना चाहते हैं।" मुख्यमंत्री ने "द ट्रैवलर्स नेस्ट" जैसी पहल की भूमिका को लेकर आशा व्यक्त की। ट्रैवेलर्स नेस्ट, पहले से निर्मित एक संरचना है, जिसमें आगंतुकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पांच कॉटेज और एक रेस्तरां है और यह राज्य की राजधानी से 28 किमी दूर, दक्षिण में स्थित है। उन्होंने कहा, "पर्यटन हमारे लिए एक प्रमुख क्षेत्र है। हमारा लक्ष्य हितधारकों की मदद से इस क्षेत्र में करीब एक लाख रोजगार के अवसर पैदा करना है।" संगमा ने कहा कि मुख्यमंत्री एलिवेट कार्यक्रम के तहत, सरकार विभिन्न उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और अन्य संस्थाओं द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं के लिए 30 फीसदी से 75 फीसदी तक सब्सिडी देने की पेशकश कर रही है। उन्होंने कहा, "कार्यक्रम का लक्ष्य सिनेमा हॉल से लेकर स्वास्थ्य क्लब और पर्यटन परियोजनाओं तक विविध पहलों के माध्यम से अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।" कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री पर्यटन वाहन योजना के तहत आठ टोयोटा पर्यटक वाहनों को भी हरी झंडी दिखाई।

इसके अलावा, मेघालय ने हरित ऊर्जा को तरजीह देते हुए 500 मेगावट की ताप बिजली परियोजना को रद्द करने का फैसला किया है। राज्य के बिजली मंत्री एटी मंडल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (नीपको) ने सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित करने में दिलचस्पी दिखाई है, जिसके बाद राज्य मंत्रीमंडल ने ताप बिजली परियोजना को रद्द करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। बिजली मंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद, कंपनी के साथ किया गया एमओयू रद्द हो जाएगा। मंडल ने बताया, 'नीपको ने हमें पत्र लिखकर कहा है कि वे इस बिजली परियोजना को जारी नहीं रखना चाहते हैं और वे इसे खत्म करना चाहते हैं।'

त्रिपुरा

त्रिपुरा से आये समाचारों की बात करें तो राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो उम्मीदवारों ने धनपुर और बोक्सानगर विधानसभा क्षेत्रों में पांच सितंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए बृहस्पतिवार को नामांकन पत्र दाखिल किया। एक निर्वाचन अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी के मुताबिक भाजपा उम्मीदवार तफज्जल हुसैन ने बोक्सानगर सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया, जबकि बिंदु देबनाथ ने धनपुर से अपना नामांकन दाखिल किया। अब तक दोनों विधानसभा सीट के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के दो उम्मीदवारों समेत कुल चार उम्मीदवार अपना नामांकन पत्र दाखिल कर चुके हैं। टिपरा मोथा और कांग्रेस ने उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। नामांकन पत्रों की जांच 18 अगस्त को होगी और नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 21 अगस्त है। वोटों की गिनती आठ सितंबर को की जाएगी। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीब भट्टाचार्जी, परिवहन मंत्री सुशांत चौधरी, समाज कल्याण मंत्री टिंकू रॉय और हजारों पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक सोनामुरा में हुसैन के नामांकन पत्र जमा करने के अवसर पर एक विशाल रैली में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने मतदाताओं से विकास और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवारों को विजयी बनाने की अपील की। गौरतलब है कि केंद्रीय राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक के इस्तीफा देने के बाद धनपुर विधानसभा सीट खाली हो गई थी, जबकि बोक्सानगर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतने वाले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के समसुल हक का जुलाई में निधन हो गया था। इस कारण इन दोनों सीटों पर उपचुनाव कराया जा रहा है।

इसके अलावा, टिपरा मोथा और कांग्रेस त्रिपुरा में दो विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेंगी। टिपरा मोथा के विधायक व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अनिमेश देबबर्मा ने कहा कि धनपुर और बोक्सानगर विधानसभा क्षेत्र उपचुनाव में उनकी पार्टी उम्मीदवार नहीं उतारेगी। उन्होंने कहा, “चुनाव लड़ने के लिए बहुत सारे संसाधनों, धन, लोगों, समय आदि की जरूरत होती है। इसके अलावा ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी दलों के बीच मतों का विभाजन होने पर सत्तारूढ़ दल को बढ़त मिल सकती है।” देबबर्मा ने दावा किया कि टिपरा मोथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी की अपनी विचारधारा और लोगों के प्रति प्रतिबद्धता है। देबबर्मा ने कहा, "पार्टी में इस बात पर चर्चा की जा रही है कि टिपरा मोथा को उपचुनाव में किसे समर्थन देना चाहिए... हम 19 अगस्त तक अपना रुख जाहिर करेंगे।” देबबर्मा ने कहा कि पार्टी ने कभी भाजपा से वार्ता नहीं की। उन्होंने कहा, "हम अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार से बातचीत कर रहे हैं। भाजपा के किसी भी नेता ने दावा नहीं किया कि पार्टी ने टिपरा मोथा के साथ बातचीत शुरू की है।” त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के अध्यक्ष आशीष कुमार साहा ने बृहस्पतिवार को कहा कि पार्टी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की भावना का सम्मान करते हुए धनपुर और बोक्सानगर में उपचुनाव नहीं लड़ेगी। उन्होंने कहा, “हम टीपीसीसी और दिल्ली नेतृत्व के फैसले के अनुसार उपचुनाव नहीं लड़ रहे। भाजपा विरोधी ताकतों को एकजुट करने के लिए एक विरोधी मंच ‘इंडिया’बनाने वाली कांग्रेस उपचुनाव में विपक्षी वोट बैंक को कमजोर नहीं होने देना चाहती। इसीलिए पार्टी ने उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया।” ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने धनपुर और बोक्सानगर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के लिए पहले ही अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। उपचुनाव पांच सितंबर को होगा। माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे और कांग्रेस ने पिछला विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा था। जबकि अकेले चुनाव लड़ने वाली पार्टी टिपरा मोथा 13 सीट जीतकर मुख्य विपक्षी दल बनकर उभरी थी।

इसके अलावा, कांग्रेस विधायक बिराजित सिन्हा ने अपनी जान को खतरा होने का आरोप लगाते हुए त्रिपुरा विधानसभा अध्यक्ष विश्व बंधु सेन को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की। सिन्हा ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा कि उनाकोटी जिले के कुमारघाट तथा कैलाशहर में पेयजल और स्वच्छता विभाग में ‘माफिया राज’ के खिलाफ उनके रुख को लेकर उन्हें धमकियां मिली हैं। विधायक ने बुधवार को भेजे अपने पत्र में लिखा, ‘‘उनकी मंशा मुझपर हमला करना और मेरी हत्या करना है। खतरों और संभावित हमले की गंभीरता को देखते हुए मैं त्रिपुरा विधानसभा से आश्वासन और सुरक्षा की मांग करता हूं।'' उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हाल में पेयजल और स्वच्छता विभाग की 60-70 परियोजनाओं के लिए निविदाएं जारी की गईं, जिनमें से सात परियोजनाएं मेरे विधानसभा क्षेत्र कैलाशहर में हैं, जहां विभाग के कार्यकारी अभियंता काम शुरू करने की मंजूरी देने से झिझक रहे थे तो मैंने मुख्यमंत्री माणिक साहा के पास शिकायत दर्ज कराई। कुमारघाट के कार्यकारी अभियंता ने इस दौरान सभी सात परियोजनाओं के कार्यों को रद्द कर दिया।’’ सिन्हा ने दावा किया कि मुख्यमंत्री के पास शिकायत करने से क्षेत्र का एक माफिया नाराज हो गया। सिन्हा ने कहा कि उन्होंने सुरक्षा के लिए राज्य के गृह सचिव तथा पुलिस महानिदेशक को भी पत्र लिखा है। कांग्रेस नेता ने वर्ष 2003 में तिल्लाबाजार में हुए उनपर हमले का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि सक्षम प्राधिकारी मेरी सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाएंगे।’’ इस हमले में उनके एक सुरक्षाकर्मी की जान चली गयी थी।

इसके अलावा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार राज्य के समग्र विकास के लिए काम कर रही है और चालू वित्त वर्ष में आठ प्रतिशत की वृद्धि हासिल करने का लक्ष्य है। उन्होंने असम राइफल्स मैदान में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान कहा कि भाजपा-आईपीएफटी सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के अपने बजट में स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे के निर्माण और शिक्षा से लेकर किसानों के कल्याण तक सभी मोर्चों पर जोर दिया है। उन्होंने कहा, “जैसा कि लोगों ने हम पर विश्वास जताया है, भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने दूसरी बार सरकार बनाई है। हम निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में लोगों की आकांक्षाओं का सम्मान करेंगे।” राज्य में विकास के “सही रास्ते” पर होने का दावा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि त्रिपुरा ने 2022-23 वित्तीय वर्ष में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। उन्होंने कहा, “सरकार का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान आठ प्रतिशत वार्षिक वृद्धि हासिल करना है, जो अनुमानित राष्ट्रीय आंकड़े से अधिक है।''

मिजोरम

मिजोरम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि आइजोल में बृहस्पतिवार को त्रिपुरा के दो लोगों को गिरफ्तार किया गया और उनके पास से 2.3 किलोग्राम मेथामेफ्टामाइन टैबलेट (नशीली दवा) बरामद की गई। पुलिस ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर जिला विशेष शाखा (डीएसबी) की एक टीम ने आइजोल के मध्य में दवरपुई नया बाजार से दो लोगों को गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि दोनों आरोपियों की पहचान सौरभ नाथ (34) और मोहम्मद नूर अहमद (39) के रूप में हुई है। दोनों उत्तरी त्रिपुरा के निवासी हैं। पुलिस ने बताया कि नशीला पदार्थ निषेध से संबंधित एनडीपीएस अधिनियम, 1985 के तहत एक मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने मंगलवार को सेरछिप जिले में असम के दो लोगों को गिरफ्तार किया था और उनके पास से 500 ग्राम हेरोइन और 5.32 किलोग्राम मेथा टैबलेट जब्त की थी।

इसके अलावा, निर्वाचन आयोग का एक दल इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 29 अगस्त को मिजोरम की यात्रा करेगा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार 20 सदस्यीय दल का नेतृत्व करेंगे। अधिकारियों ने कहा कि मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए अक्टूबर में चुनाव होने की उम्मीद है। इस बीच, राज्य की मुख्य सचिव रेणु शर्मा ने आयोग के दल की यात्रा से पहले प्रबंधों पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई है।

इसके अलावा, मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने कहा है कि मई की शुरुआत से हिंसा प्रभावित मणिपुर में सामने आई दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय घटनाओं ने पूरे मिजो समाज को “गहराई से व्यथित” किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने मणिपुर की स्थिति पर कड़ी नजर रखी है और पड़ोसी राज्य में जातीय हिंसा की शुरुआत के बाद से इंफाल में फंसे मिजो लोगों, विशेषकर छात्रों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं। आइजोल में 77वें स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा, “मई में हमारे पड़ोसी राज्य मणिपुर में हुए हिंसक जातीय संघर्ष से पूरा देश बहुत दुखी है। उसके बाद से सामने आई दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय घटनाओं की श्रृंखला ने पूरे मिजो समाज को बहुत दुखी किया है।” जोरमथंगा ने कहा कि राज्य सरकार ने मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए राहत और पुनर्वास उपाय किए हैं, जिन्होंने मिजोरम में आश्रय मांगा है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य में जातीय संघर्ष से प्रभावित लोगों को 2,388.50 क्विंटल से अधिक खाद्यान्न वितरित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मिजोरम सरकार ने राहत और पुनर्वास के लिए पांच करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, और नागरिक संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों, चर्चों और व्यक्तियों ने नकद और वस्तु दोनों का भारी योगदान दिया है।

नगालैंड

नगालैंड से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि नगा राजनीतिक मुद्दे का त्वरित समाधान हमेशा उनकी सरकार के एजेंडे में शीर्ष पर है। नगालैंड ने मंगलवार को 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाया और सभी नगा राजनीतिक समूहों, अन्य हितधारकों और केंद्र से अनसुलझे नगा मुद्दे पर सर्वसम्मति लाने के लिए अधिक तत्परता दिखाने का आह्वान किया। स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य समारोह यहां सचिवालय प्लाजा में आयोजित किया गया, जहां मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। रियो ने कहा, “हम नगा राजनीतिक मुद्दे के शीघ्र समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो हमेशा मेरी सरकार के एजेंडे में शीर्ष पर रहा है।” उन्होंने आश्वस्त किया कि उनकी सरकार इस मामले के लिये हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि पूरे मंत्रिमंडल और मंत्रिमंडल में शामिल नहीं रहने वाली जनजातियों के निर्वाचित सदस्यों के साथ गठित राजनीतिक मामलों की समिति शीघ्र समाधान के लिए सभी हितधारकों के साथ गंभीर परामर्श करना जारी रखेगी।

इसके अलावा, एनएससीएन-आईएम के महासचिव थुइंगलेंग मुइवा ने कहा है कि नगाओं के लिए अलग झंडा और संविधान विवादास्पद मुद्दे हैं जो शांति प्रक्रिया को बाधित करने वाले हैं और लोगों की संप्रभुता से इन्हें अलग नहीं किया जा सकता। मुइवा ने कहा कि नगालैंड में स्थायी शांति लाने के लिए केंद्र और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम (इसाक-मुइवा) के बीच 2015 में नगाओं के अद्वितीय इतिहास और संप्रभुता को मान्यता देते हुए कार्यढांचा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। उन्होंने कहा, “हमने अपने खून-पसीने से जो हासिल किया है, उसकी रक्षा हमें करनी चाहिए। सभी नगा क्षेत्रों के एकीकरण के मुद्दे पर, भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि यह नगाओं का वैध अधिकार है और इसलिए, इसे तदनुसार अंतिम रूप दिया जाएगा।” मुइवा नगालैंड के वाणिज्यिक केंद्र दीमापुर से 30 किमी दूर हेब्रोन में अपने मुख्यालय में एनएससीएन-आईएम के ‘स्वतंत्रता दिवस’ समारोह के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, “नगा राष्ट्रीय प्रतिरोध आंदोलन नगाओं और उनकी भूमि के अंतर्निहित संप्रभु अधिकार की रक्षा के बारे में है। ... (एनएससीएन-आईएम ने) तीन अगस्त, 2015 को नगाओं के अद्वितीय इतिहास और संप्रभुता की मान्यता और दोनों संस्थाओं की साझा संप्रभुता और सह-अस्तित्व की नींव पर ऐतिहासिक कार्यढांचा समझौते पर हस्ताक्षर किए।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में तीन अगस्त 2015 को मुइवा और नगा शांति वार्ता के लिए सरकारी वार्ताकार आर.एन. रवि द्वारा रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह समझौता 18 वर्षों तक चली 80 से अधिक दौर की बातचीत के बाद हुआ जिसमें पहली सफलता 1997 में तब मिली जब नगालैंड में दशकों के विद्रोह के बाद युद्धविराम समझौते पर मुहर लगाई गई। अंतिम समाधान हालांकि अभी तक सामने नहीं आया है, इसका मुख्य कारण एनएससीएन (आईएम) की अलग झंडे और संविधान की मांग को स्वीकार करने में सरकार की अनिच्छा है।

अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य सरकार ने अरुणाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (एपीपीएससी) द्वारा आयोजित विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में कथित प्रश्न पत्र लीक मामलों की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है। एक आधिकारिक आदेश में यह जानकारी दी गयी। आधिकारिक आदेश के मुताबिक सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति पीके डेका के नेतृत्व वाला आयोग अप्रैल 2014 से अगस्त 2022 तक एपीपीएससी द्वारा आयोजित विभिन्न परीक्षाओं में कथित प्रश्न पत्र लीक मामलों की जांच करेगा। आयोग का गठन इन आठ वर्षों में आयोजित विभिन्न परीक्षाओं में कथित प्रश्नपत्र लीक मामलों के कारण भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर मचे हंगामे के मद्देनजर किया गया है। राज्य के मुख्य सचिव धर्मेंद्र ने बुधवार को जारी आदेश में कहा कि एपीपीएससी परीक्षाओं में निर्दिष्ट अवधि के दौरान प्रश्न पत्र लीक और संबंधित अनियमितताओं के कथित मामलों के पीछे की सच्चाई का पता लगाने के उद्देश्य से आयोग का गठन किया गया है। आधिकारिक आदेश के मुताबिक यह आयोग भर्ती प्रक्रिया में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल अधिकारियों और अन्य हितधारकों की ओर से संभावित खामियों की भी जांच करेगा। आयोग को भविष्य की भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, निष्पक्षता और दक्षता बनाए रखने के लिए सुधारात्मक उपाय सुझाने का भी काम सौंपा गया है। इस बीच, मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि एपीपीएससी मुद्दे पर एक समूह द्वारा उठाई गई सभी 13 मांगें पूरी कर दी गई हैं। पेमा खांडू ने कहा कि इन उपलब्धियों के बारे में विस्तृत जानकारी आगामी दिनों में आम जनता के लिए जारी की जाएगी।

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश सरकार ने पश्चिम सियांग जिले के तीन गांवों के निवासियों को भरोसा दिया है कि उनकी मांग के अनुरूप अगले साल मार्च तक हिजुम नदी पर पुल का निर्माण कर दिया जाएगा। सरकार ने यह भरोसा तीनों गांवों द्वारा 2024 के आम चुनाव का बहिष्कार करने की धमकी के बाद दिया। रिमी मोको, पिडी रिमी और तोडी रिमी गांव के करीब 400 ग्रामीणों ने धमकी दी थी कि अगर सरकार नदी पर स्थायी पुल का निर्माण नहीं कराएगी तो वे आगामी चुनाव का बहिष्कार करेंगे। हिजुम नदी के दोनों किनारों को जोड़ने के लिए ग्रामीणों ने करीब 20 मीटर का अस्थायी पुल बनाया है लेकिन आमतौर पर मानसून के दौरान जल स्तर बढ़ने से यह डूब जाता है। हिजुम नदी पिसाम नदी की सहायक है। सरकारी प्रवक्ता न्यामार करबाक ने पुल निर्माण की मांग कर रही रिमी वेलफेयर सोसाइटी (आरडब्ल्यूएस) की टीम से मुलाकात की और भरोसा दिया कि सरकार नदी पर साल भर चालू रहने वाले पुल का निर्माण करने के लिए राशि जारी करेगी। करबाक जिले के लिरोमोबा विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही संबंधित विभागों को सर्वेक्षण, व्यय आकलन और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने सहित विभिन्न कार्य में तेजी लाने का निर्देश दे दिया है।

इसके अलावा, निजी कंपनियों के काम पूरा करने में विफल रहने के बाद अरुणाचल प्रदेश सरकार ने 5,097 मेगावाट क्षमता की पांच पनबिजली परियोजनाएं एसजेवीएन को फिर से आवंटित कर दी हैं। एक बयान में यह जानकारी दी गई। कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) नंद लाल शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन और अरुणाचल प्रदेश सरकार ने शनिवार को कुल 5,097 मेगावाट की इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। शर्मा ने एक बयान में कहा कि इन परियोजनाओं को पूरा करने में लगभग 50,000 करोड़ रुपये का कुल निवेश होगा और इससे देश की बिजली उत्पादन क्षमता में सालाना 2,065.2 करोड़ यूनिट से अधिक की वृद्धि होगी। इस समझौते के तहत एसजेवीएन को 3,097 मेगावाट की एटालिन, 680 मेगावाट की अटुनली, 500 मेगावाट की एमिनी, 420 मेगावाट की अमुलिन और 400 मेगावाट की मिहुमडन जलविद्युत परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। शर्मा ने कहा कि पहले ये सभी परियोजनाएं निजी कंपनियों को आवंटित की गई थीं, लेकिन राज्य सरकार ने एसजेवीएन को परियोजनाएं फिर से आवंटित कर दीं, क्योंकि निजी डेवलपर्स परियोजनाओं को पूरा करने में असमर्थ थे।

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