ideaForge के CFO के खिलाफ गैर जमानती वारंट का मामला, कंपनी ने कहा- परेशान करने के इरादे से शुरू की गई गलत कार्रवाई

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ANI
अभिनय आकाश । Apr 5 2025 5:18PM

अदालत ने पहले सीईओ अंकित मेहता, निदेशक राहुल सिंह, महाप्रबंधक सोमिल गौतम और सीएफओ विपुल जोशी समेत सभी आरोपियों को 1 अप्रैल, 2025 तक अदालत में पेश होने और 25,000 रुपये की जमानत राशि और दो वैध जमानतें पेश करने का निर्देश दिया था।

चेन्नई की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने ideaForge Technology Limited के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) विपुल जोशी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार बताया जा रहा है कि वह अदालत में पेश नहीं हुए और जमानत राशि जमा करने में विफल रहे। यह मामला चेन्नई साइबर क्राइम पुलिस द्वारा 31 अगस्त, 2023 को दर्ज की गई एफआईआर से उपजा है। शिकायत के अनुसार, ideaForge ने एक ग्राहक को 2.2 करोड़ रुपये के 15 ड्रोन (UAV) की आपूर्ति की थी, लेकिन बाद में ड्रोन को हैक कर निष्क्रिय कर दिया, जिससे ग्राहक की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा और उसकी 70 करोड़ रुपये की सरकारी परियोजनाओं में बाधा उत्पन्न हुई। अदालत ने पहले सीईओ अंकित मेहता, निदेशक राहुल सिंह, महाप्रबंधक सोमिल गौतम और सीएफओ विपुल जोशी समेत सभी आरोपियों को 1 अप्रैल, 2025 तक अदालत में पेश होने और 25,000 रुपये की जमानत राशि और दो वैध जमानतें पेश करने का निर्देश दिया था।

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हालांकि, जब मामला सुनवाई के लिए आया, तो पता चला कि आरोपियों ने फर्जी जमानतें पेश की थीं ऐसे व्यक्ति जिनका कंपनी से कोई संबंध नहीं था और वे मामले के विवरण से अनजान थे। अंग्रेजी की वेवसाइट एनडीटीवी के अनुसार आरोपियों को 4 मार्च 2025 को स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि वे 1 अप्रैल तक जमानत की शर्तें पूरी करें। सीएफओ विपुल जोशी पेश नहीं हुए, जबकि अन्य ने फर्जी जमानतदारों का इस्तेमाल किया, जिन्हें कंपनी का नाम भी नहीं पता था। अदालत ने इसे न्यायपालिका को गुमराह करने का प्रयास माना और इसे गंभीर अपराध बताया। साथ ही चेतावनी दी कि भविष्य में अगर कोई भी व्यक्ति धोखाधड़ी से जमानत देने का प्रयास करता है तो उसे भी जेल जाना पड़ सकता है। 

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हालांकि, इसे नजरअंदाज करते हुए अदालत ने आरोपी को 4 अप्रैल तक जमानत बांड जमा करने का अंतिम मौका दिया है। इससे पहले, कंपनी ने अपने खिलाफ आरोपों को खारिज करने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन 31 जनवरी को उनकी प्रार्थना को खारिज कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ कार्यवाही रोकने के लिए एक और अनुरोध भी अस्वीकार कर दिया गया। 

कंपनी को परेशान करने के इरादे से गलत कार्रवाई शुरू की 

 आइडियाफोर्ज टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने हमें मेल भेज कर अपना आधिकारिक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यह मामला उस घटना से जुड़ा है, जिसमें हमारे एक ग्राहक ने हमारी बौद्धिक संपत्ति (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी) को अपना बताने की कोशिश की और हमारे उपकरणों से छेड़छाड़ कर राज्य सरकारों को गुमराह करने वाले झूठे बयान दिए। जब उन्हें ऐसा करने से रोका गया, तो उन्होंने कंपनी को परेशान करने के इरादे से बेबुनियाद कार्यवाहियाँ की। व्यक्तिगत मजबूरियों समेत कुछ निजी कारणों से उत्पन्न हुई अंतरिम प्रक्रिया संबंधी समस्याएँ अब सुलझा ली गई है। वारंट वापस लेने के साथ ही उसे रद्द कर दिया गया है और सभी उचित कानूनी प्रक्रियाएँ नियमों के अनुसार पूरी की जा रही हैं। यह मामला हमारे अनुभवी वकीलों की सलाह पर कानून के तहत उपलब्ध उपायों के अनुसार आगे बढ़ाया जा रहा है, और हर कदम पर उनकी राय ली जा रही है। 

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