अन्नदान के महत्व को एक भारतीय से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता : मुख्यमंत्री
धर्मार्थ संस्थाएं और सामाजिक संस्थाएं समाज और राष्ट्र के प्रति अगर अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी पूर्वक निर्वहन शुरू कर दें, तो समाज में कहीं भी अभाव, दुख और दरिद्रता के लिए कोई जगह नहीं होगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि हमारे देश में अन्न दान को एक पवित्र दान माना जाता है और अन्नदान की महत्ता को एक भारतीय से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता।
मुख्यमंत्री ने वाराणसी में पूज्य भाईजी अन्न क्षेत्र के औपचारिक उद्घाटन कार्यक्रम में कहा, भारत की वैदिक परम्परा में ‘अन्नम ब्रह्म’ को अत्यन्त महत्व दिया गया है। अन्न को ब्रह्म का स्वरूप माना गया है। सनातन धर्म की परम्परा में अन्नदान के अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं।
अन्नदान की महत्ता को एक भारतीय से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता। उन्होंने कहा कि श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मृति सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित दृष्टिबाधित विद्यालय में अन्न क्षेत्र की शुरूआत होना एक सुखद अनुभूति है।
धर्मार्थ संस्थाएं और सामाजिक संस्थाएं समाज और राष्ट्र के प्रति अगर अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी पूर्वक निर्वहन शुरू कर दें, तो समाज में कहीं भी अभाव, दुख और दरिद्रता के लिए कोई जगह नहीं होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी ने कुछ कार्य किया है, तो उसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने वाला महान धर्म सनातन धर्म है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म हमें हमेशा अपने पूर्वजों, अपनी परम्परा और समाज के लिए योगदान देने वाले महापुरुषों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की प्रेरणा देता है।
आदित्यनाथ ने कहा कि जयदयाल गोयनन्दका जी ने गोरखपुर में गीता प्रेस की स्थापना की थी। सनातन धर्म की जो सेवा गीता प्रेस के माध्यम से हुई, वह अत्यंत अभिनंदनीय एवं सराहनीय है। उन्होंने इस कार्य को धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए गीता प्रेस के शताब्दी महोत्सव के समापन समारोह में स्वयं प्रधानमंत्री जी गोरखपुर पहुंचे थे।
शताब्दी महोत्सव के कार्यक्रम का शुभारम्भ देश के तत्कालीन राष्ट्रपति जी ने किया था। यह कार्य अपने पूर्वजों के प्रति और अपनी विरासत के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता है।
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