नया संसद भवन: अपने निर्माण से लेकर उद्घाटन तक, कई कानूनी विवादों से गुजरता रहा
कभी कोरोना महामारी के दौरान निर्माण को लेकर सवाल उठाए गए तो कभी परियोजना की उच्च लागत और पर्यावरण को लेकर भी मुद्दा चर्चा में रहा। इसके साथ ही पूरी परियोजना को अदालत में कई दफा कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई को नए संसद भवन का आधिकारिक तौर पर उद्घाटन किया, जो देश के पावर कॉरिडोर, सेंट्रल विस्टा की महत्वाकांक्षी पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है। अपने निर्माण की शुरुआत से लेकर उद्घाटन तक संसद भवन और सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट लगातार विवादों में घिरा रहा। कभी कोरोना महामारी के दौरान निर्माण को लेकर सवाल उठाए गए तो कभी परियोजना की उच्च लागत और पर्यावरण को लेकर भी मुद्दा चर्चा में रहा। इसके साथ ही पूरी परियोजना को अदालत में कई दफा कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
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सेंट्रल विस्टा से जुड़े कानूनी मामले
देश के पावर कॉरिडोर, सेंट्रल विस्टा की महत्वाकांक्षी पुनर्विकास परियोजना को पिछले कुछ वर्षों में कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। परियोजना के खिलाफ पहला अदालती मामला 2020 में राजीव सूरी और अनुज श्रीवास्तव और अन्य द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर किया गया था, जिसमें पर्यावरणीय मंजूरी देने और दिल्ली शहरी कला आयोग (DUAC) और भूमि उपयोग के लिए विरासत संरक्षण समिति द्वारा अनुमोदन को चुनौती दी गई थी।
11 फरवरी 2020 को उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव शकधर की एकल न्यायाधीश की पीठ ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को निर्देश दिया कि परियोजना के साथ आगे बढ़ने के लिए मास्टर प्लान में किसी भी बदलाव को अधिसूचित करने से पहले वह अदालत का दरवाजा खटखटाए।
केंद्र ने उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के समक्ष आदेश को चुनौती दी जिसने 28 फरवरी, 2020 को डीडीए को अपने एकल न्यायाधीश के निर्देश पर रोक लगा दी।
बाद में शीर्ष अदालत ने मार्च 2020 में, "व्यापक जनहित" में मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय से अपने पास स्थानांतरित कर लिया और इसने परियोजना को चुनौती देने वाली अन्य नई याचिकाओं पर भी सुनवाई की।
दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 10 दिसंबर को ‘सेंट्रल विस्टा परियोजना’ के आधारशिला कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति दे दी। इससे पहले, सरकार ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि इस परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओ का निबटारा होने तक निर्माण कार्य या इमारतों को गिराने जैसा कोई काम नहीं किया जाये। लेकिन इसके एक महीने बाद 5 जनवरी 2021 को संसद भवन के निर्माण को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि नए भवन के निर्माण के लिए सरकार ने सभी तरह के क्लियरेंस लिए हैं। तीन जजों की पीठ ने प्रोजेक्ट के पक्ष में फैसला दिया। हालांकि जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, “प्रस्ताव में सरकार ने लोगों की भागीदारी के बारे में नहीं बताया है और हैरिटेज कंजरवेशन कमेटी की भी कोई पूर्व स्वीकृति नहीं ली गई है।”
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दिल्ली हाईकोर्ट ने बताया आवश्यक परियोजन
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण कार्य को जारी रखने की अनुमति देते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व की एक ‘‘अहम एवं आवश्यक’’ परियोजना है। इसके साथ ही अदालत ने इस परियोजना के खिलाफ याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह किसी मकसद से ‘‘प्रेरित’’ और ‘‘दुर्भावनापूर्ण’’थी। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के दौरान परियोजना रोके जाने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
अशोक स्तंभ विवाद
पीएम मोदी ने विशाल अशोक स्तंभ का अनावरण किया उसी पल विपक्ष को ये तस्वीरें कांटे की तरह चुभ गईं। विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घाटन की आलोचना करते हुए कहा कि यह संविधान का "उल्लंघन" है जिसमें कार्यपालिका और विधायिका के बीच सत्ता के विभाजन की परिकल्पना की गई है। विपक्ष का आरोप है कि राष्ट्रीय चिह्न को जस का तस ही उतारा जाना चाहिए, बिलकुल उसी तरह जैसा कि संविधान ने उसे मान्यता दी है। राष्ट्रीय चिह्न के स्वरूप, हावभाव और उसके अनुपात में कोई भी परिवर्तन, उसका विकृतिकरण करना हुआ, और, राष्ट्रीय चिह्न का विकृतिकरण, एक दंडनीय अपराध भी है। शीर्ष अदालत ने नए संसद भवन के ऊपर शेर की मूर्ति के डिजाइन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी विचार किया। अदालत ने कहा कि शेर की मूर्ति ने भारत के राज्य प्रतीक (अनुचित उपयोग का निषेध) अधिनियम, 2005 का उल्लंघन नहीं किया। याचिकाकर्ताओं, वकील अल्दानीश रीन और अन्य ने दावा किया था कि प्रतीक चिन्ह में शेर क्रूर और आक्रामक दिखाई दे रहा हैं। जबकि जनहित याचिका में कहा गया था कि राष्ट्रीय प्रतीक के मूल स्रोत सारनाथ में शेर की मूर्तियां "शांत और रचित" दिखती हैं।
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संसद भवन परिसर के उद्घाटन को लेकर विवाद
परियोजना से संबंधित सभी विवाद निरपवाद रूप से दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में पहुंच रहे हैं। लेकिन नया संसद भवन उद्घाटन विवाद सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से संसद भवन के उद्घाटन को लेकर दायर की गई याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारत की प्रथम नागरिक और संस्था के प्रमुख राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए लोकसभा सचिवालय को निर्देश देने की याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि हम जानते हैं कि आप ऐसी याचिकाएं क्यों दायर करते हैं, हम इस पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं।
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