आपातकाल के खिलाफ संसद के बाहर NDA नेताओं का विरोध प्रदर्शन, कांग्रेस पर जमकर साधा निशाना
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि आपातकाल भारत के इतिहास में एक काला धब्बा है। पूरे देश को जेलखाने में बदल दिया गया और तानाशाही लागू कर दी गई... वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को इसके बारे में जानना चाहिए। बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने कहा कि पूरा देश आज विरोध प्रदर्शन कर रहा है. यह दिन भारत के लोगों के मन में एक महत्वपूर्ण दिन है।
आपातकाल की 50वीं बरसी पर संसद के मकर द्वार पर विरोध प्रदर्शन करते हुए एनडीए नेताओं ने तख्तियां दिखाईं और नारे लगाए। बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने कहा कि संविधान के लिए सबसे ज्यादा बोलने वालों को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। राहुल गांधी का बिना नाम लिए तंज करते हुए उन्होंने कहा कि वे अपने पिता और दादी के नाम पर वोट बटोर रहे हैं, तो क्या वे अपने कर्मों की जिम्मेदारी लेंगे?...उन्हें अपना ट्रैक रिकॉर्ड देखना चाहिए कि कैसे लोकतंत्र का गला घोंटा गया।
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केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि आपातकाल भारत के इतिहास में एक काला धब्बा है। पूरे देश को जेलखाने में बदल दिया गया और तानाशाही लागू कर दी गई... वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को इसके बारे में जानना चाहिए। बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने कहा कि पूरा देश आज विरोध प्रदर्शन कर रहा है. यह दिन भारत के लोगों के मन में एक महत्वपूर्ण दिन है। आज से 49 साल पहले इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था। करीब डेढ़ लाख लोगों को जेल में डाल दिया गया। भारत के संविधान में 42वां संशोधन लाया गया...संविधान बचाने की बात करने वाले राहुल गांधी को आईना दिखाना जरूरी है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि 26 जून एक ऐसा दिन है जब इंदिरा गांधी जी के द्वारा लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाकर लोकतंत्र की हत्या कर दी गई थी और देश में इमरजेंसी लागू की गई थी। लोगों के अधिकारों को छीन लिया गया था। लेकिन देश के युवाओं, किसान, महिलाओं ने एक ऐसा सशक्त आंदोलन खड़ा किया और आजादी की दूसरी लड़ाई लड़कर फिर अपने संविधान के विचार के अनुरूप भारत में लोकतंत्र की स्थापना कर लोगों को आजादी दी और उनको अवसर दिया।
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केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन (ललन) सिंह ने कहा कि इमरजेंसी तो 26 जून 1975 में ही लगी थी और हम सब इमरजेंसी में जेल में थे और आज जो कांग्रेस के लोग संविधान के खतरे की बात कर रहे हैं, संविधान तो 1975 में खतरे में हुआ था...जब देश में आपातकाल लागू किया गया था तो सारे मौलिक अधिकार जब्त हो गए...संविधान बदलने वाले और संविधान को खतरे में डालने वाले लोग आज संविधान की बात कर रहे हैं।
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