Prajatantra: 'कहां छिपा था शाही जादूगर', राहुल के एक झटके में गरीबी हटाने के दावे पर मोदी का तंज
राहुल ने लोगों से कहा कि हम आपका जीवन बदलना चाहते हैं, हम आपकी मदद करना चाहते हैं। अगर नरेंद्र मोदी करोड़पतियों को पैसा दे सकते हैं, तो कांग्रेस वह पैसा गरीबों को दे सकती है। और इसलिए हम एक नई नीति, 'महालक्ष्मी' ला रहे हैं, जिसे चुनाव जीतने के तुरंत बाद लागू किया जाएगा।
देश में लोकसभा चुनाव के लिए अलग-अलग मुद्दे सामने आ रहे हैं। इन सब के बीच विपक्ष की ओर से महंगाई और बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है। गरीबी भी एक बड़ा मुद्दा है जिसे इस बार के चुनाव में विपक्ष बार-बार उठा रहा है। भाजपा के मेनिफेस्टो पर भी राजनीति जबरदस्त तरीके से जारी है। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों का दावा है कि महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी जैसे शब्द भाजपा के घोषणा पत्र से गायब है। खुद राहुल गांधी बार-बार कह रहे हैं कि देश में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी है और उसके बाद महंगाई का नंबर आता है। हालांकि भाजपा यह लगातार दावा कर रही है कि मोदी राज में महंगाई कम हुआ है। युवाओं को भी रोजगार अच्छी खासी संख्या में मिली है। लोगों का जीवन स्तर सुधरा है। इन सब के बीच राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ में सभा करते हुए ऐलान कर दिया कि हम अगर सत्ता में आते हैं तो एक झटके में ही हिंदुस्तान से गरीबी मिटा देंगे। इसके बाद से अब राजनीति शुरू हो गई है।
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राहुल ने क्या कहा था
राहुल ने लोगों से कहा कि हम आपका जीवन बदलना चाहते हैं, हम आपकी मदद करना चाहते हैं। अगर नरेंद्र मोदी करोड़पतियों को पैसा दे सकते हैं, तो कांग्रेस वह पैसा गरीबों को दे सकती है। और इसलिए हम एक नई नीति, 'महालक्ष्मी' ला रहे हैं, जिसे चुनाव जीतने के तुरंत बाद लागू किया जाएगा। राहुल गांधी ने कहा कि गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) से, हम हर परिवार में एक महिला का चयन करेंगे, और हमारी सरकार महिला के खाते में प्रति माह 8,500 रुपये देगी, और एक वर्ष में हम इन महिलाओं को कुल 1 लाख रुपये देंगे। 'एक झटके से, हिंदुस्तान से हम गरीबी को मिटा देंगे।' अब राहुल गांधी ने अपने इस बयान पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि यह कोई नहीं कह रहा है कि गरीबी को एक ही झटके में मिटाया जाएगा। हम यह कह रहे हैं कि गरीबी को गहरी चोट पहुंचाई जा सकती है और तरीके मैंने आपको बताये हैं।
मोदी का पलटवार
राहुल के बयान पर मोदी ने पलटवार किया। मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से आजकल हम देखते हैं कि एक शब्द के प्रति कोई प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी नहीं है। आपने किसी नेता के पुराने वीडियो घूमते हुए देखे होंगे, जहां उनके हर विचार विरोधाभासी होते हैं। जब लोग यह देखते हैं तो उन्हें लगता है कि यह नेता जनता की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में, मैंने एक राजनेता को यह कहते हुए सुना, "एक झटके में गरीबी हटा दूंगा"। जिनको 5-6 दशक तक सत्ता में रहने का मौका मिला, वो जब ऐसा कहते हैं तो देश को लगता है कि ये क्या कह रहा है? उन्होंने कहा कि हताश कांग्रेस ऐसी घोषणाएं कर रही है जो खुद कांग्रेस नेताओं को समझ नहीं आ रही है। कांग्रेस के युवराज ने अभी कुछ ऐसा ऐलान किया है जिसे सुनकर आपकी हंसी छूट जाएगी। उन्होंने ऐलान किया कि वह देश से गरीबी को एक झटके में खत्म कर देंगे। आखिर ये शाही जादूगर इतने सालों तक कहां छुपा हुआ था? 50 साल हो गए जब उनकी दादी ने देश से गरीबी हटाने की घोषणा की थी। 2014 से पहले 10 साल तक उन्होंने रिमोट से सरकार चलाई और कह रहे हैं कि उन्हें 'झटके वाला' मंत्र मिल गया है, उन्हें यह 'झटके वाला' मंत्र कहां से मिला? मुझे बताओ, क्या यह गरीबों का मजाक नहीं है? क्या यह गरीबों का अपमान नहीं है? वे ऐसे दावे करते हैं और इस वजह से हंसी का पात्र बन जाते हैं और देश उन्हें गंभीरता से नहीं लेता।
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राजनीति की कोशिश
इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत में गरीबी बड़ा मुद्दा रहा है। देश में आजादी के बाद जितनी भी सरकारी आई हैं, सबने गरीबी मिटाने का दावा किया है। हालांकि कई सरकारी आई और गई, लेकिन गरीबों के स्तर में कुछ खास सुधार नहीं देखा गया। चुनाव में वोटरों को हसीन सपने दिखाने के लिए गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन चुनाव परिणाम आने के साथी यह मुद्दे गायब भी हो जाते हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में हमने कभी नहीं देखा कि संसद में इन मुद्दों को लेकर कुछ खास चर्चा हुई हो। हां, अन्य मुद्दों को लेकर हमने हंगामा खूब देखा है। इन सबके बीच मोदी सरकार का दावा है कि उनके पिछले 9 से 10 साल के कार्यकाल में लगभग 25 करोड लोग बहुआयामी गरीबी रेखा से बाहर आए हैं। गरीबी हटाने के लिए ही मोदी सरकार की ओर से मुफ्त अनाज योजना चलाई जा रही है। ऐसे में एक ओर जहां गरीबी को चुनावी मुद्दा बनाकर विपक्ष राजनीति की कोशिश कर रहा है। तो वहीं सत्ता पक्ष के अपने अलग दावे हैं।
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