मुंबई को मोदी सरकार बनाएगी केंद्र शासित प्रदेश! संसद के विशेष सत्र से पहले महाराष्ट्र कांग्रेस चीफ का बड़ा दावा

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ANI
अंकित सिंह । Sep 12 2023 1:04PM

आपको बता दें कि केंद्र ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। हालांकि, इसका एजेंडा नहीं बताया है। यही कारण है कि संसद सत्र को लेकर कई तरह की अटकले लगाई जा रही है।

महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने सोमवार को आरोप लगाया कि संसद के आगामी विशेष सत्र का एजेंडा मुंबई को राज्य से अलग करना और इसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित करना है। पटोले ने संवाददाताओं से बात करते हुए आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी भी कोविड महामारी या (2016) नोटबंदी या मणिपुर जैसे मुद्दों पर संसद का विशेष सत्र नहीं बुलाया। अब सत्र सरकार की इच्छा और मनोदशा के अनुसार बुलाया जाता है। अब सत्र सरकार की इच्छा और मनोदशा के अनुसार बुलाया जाता है। यह सत्र मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करेगा और इसे शेष महाराष्ट्र से अलग करेगा। 

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आपको बता दें कि केंद्र ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। हालांकि, इसका एजेंडा नहीं बताया है। यही कारण है कि संसद सत्र को लेकर कई तरह की अटकले लगाई जा रही है। भाजपा पर वार करते हुए पटोले ने दावा किया कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को गुजरात में स्थानांतरित करने की योजना चल रही है। पटोले ने यह भी आरोप लगाया कि पिछली महा विकास अघाड़ी सरकार - जिसमें शिवसेना (यूबीटी), राकांपा और कांग्रेस शामिल थी - ऐसे राज्य विरोधी फैसलों में एक बड़ी बाधा थी, इसलिए इसे केंद्र द्वारा गिरा दिया गया। गौरतरब है कि 2022 में शिवसेना में बगावत के बाद महा विकास अघाड़ी की सरकार गिर गई थी और भाजपा और शिंदे गुट ने मिलकर सरकार बना ली। 

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संसदीय कार्य मंत्री ने गुमराह किया!

कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह कहकर गुमराह किया है कि केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाने में विभिन्न नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि अतीत में कई मौकों पर सरकारों ने विशेष सत्र बुलाने से पहले उसके एजेंडे के बारे में जानकारी दी थी। इस संदर्भ में उन्होंने कई मिसालें भी दीं। रमेश ने जोशी पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किया, कितना गुमराह करेंगे जोशी जी? प्रत्येक विशेष सत्र/बैठक का एजेंडा पहले से ही पता होता था। यह सिर्फ़ मोदी सरकार ही है जो लगातार संसद का अपमान कर रही है और संसदीय परंपराओं को विकृत कर रही है। 

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