न्याय प्रणाली से जुड़े तीन विधेयकों पर विशेषज्ञों ने संसदीय समिति के समक्ष विचार प्रस्तुत किये

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प्रस्तावित नये कानूनों में ‘मॉब लिचिंग (भीड़ द्वारा पीटकर हत्या)’ के लिए सात साल या उससे अधिक या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रस्ताव किया गया है और साथ ही राजद्रोह कानून को समाप्त करने की बात कही गई है। इसमें भगोड़े आरोपियों की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाने का प्रस्ताव भी किया गया है।

सीबीआई के पूर्व निदेशक प्रवीण सिन्हा ने संसद की एक समिति के समक्ष भारतीय न्याय प्रणाली पर दूरगामी प्रभाव डालने वाले तीन विधेयकों--‘भारतीय न्याय संहिता, 2023’, ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023’ और ‘भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023’-- पर सोमवार को प्रस्तुति दी। सूत्रों ने बताया कि इन विधेयकों पर गृह संबंधी स्थायी समिति की बैठक में सीबीआई के पूर्व निदेशक प्रवीण सिन्हा ने पुराने कानूनों और इसमें बदलाव के बाद प्रस्तुत किये गए विधेयकों का तुलनात्मक अध्ययन पेश किया। उन्होंने बताया कि गृह संबंधी स्थायी समिति की बैठक में सीबीआई के पूर्व निदेशक प्रवीण सिन्हा, विधि कार्य विभाग की संयुक्त सचिव डा. पद्मिनी सिंह और बीपीआर एंड डी की अधिकारी अनुपमा निलेकर चंद्रा ने अपने विचार प्रस्तुत किये।

उन्होंने बताया कि इन विशेषज्ञों ने उक्त तीनों विधेयकों पर प्रस्तुति दी और समिति के सदस्यों ने कुछ विषयों को समझने के लिए उनसे सवाल भी पूछे। भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजलाल गृह संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं। सोमवार को हुई समिति की बैठक में इसके अध्यक्ष बृजलाल के अलावा कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम, रवनीत सिंह बिट्टू, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, भारतीय जनता पार्टी के राकेश सिन्हा, नीरज शेखर, सत्यपाल सिंह आदि मौजूद थे। समिति की अगली बैठक 12और 13 सितंबर को बुलाई गई है। बारह सितंबर को होने वाली बैठक में पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह, गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक केशव कुमार तथा गुजरात के गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नवीन चौधरी अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।

समिति की 13 सितंबर को होने वाली बैठक में भी कुछ विषय विशेषज्ञ विचार रखेंगे। इस विषय पर स्थायी समिति की पिछली बैठकें 24, 25 और 26 अगस्त को हुई थीं। पिछली बैठकों में प्रस्तावित कानून के विभिन्न आयामों को लेकर गृह सचिव अजय भल्ला ने विस्तृत प्रस्तुति दी थी। वहीं, सूत्रों ने बताया था कि समिति में विपक्षी दलों के सदस्यों ने विचार-विमर्श के दौरान कई मुद्दे उठाये। इसमें द्रमुक सांसद दयानिधि मारन ने बैठक के दौरान विधेयकों के हिन्दी नामों पर अपनी असहमति जतायी थी और इसे संविधान के अनुच्छेद 348 का उल्लंघन बताया था तथा सुझाव दिया था कि समिति को विभिन्न राज्यों के बार काउंसिल के सदस्यों, न्यायाधीशों आदि के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए। समिति में भारतीय जनता पार्टी के कई सदस्यों ने विधेयकों के प्रावधानों की सराहना की थी।

सूत्रों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने कहा था कि जब वर्तमान कानून में संशोधन किया जा सकता था, तब ये विधेयक क्यों लाए गए। वहीं, कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा था कि समिति को जल्दबाजी में रिपोर्ट तैयार नहीं करनी चाहिए। प्रस्तावित नये कानूनों में ‘मॉब लिचिंग (भीड़ द्वारा पीटकर हत्या)’ के लिए सात साल या उससे अधिक या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रस्ताव किया गया है और साथ ही राजद्रोह कानून को समाप्त करने की बात कही गई है। इसमें भगोड़े आरोपियों की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाने का प्रस्ताव भी किया गया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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