पैदल घर जाने को मजबूर प्रवासी कामगार, राजस्थान सरकार ने कहा- SDM होंगे जिम्मेदार

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औरंगाबाद रेल दुर्घटना में 16 मजदूरों के एक मालगाड़ी से कुचले जाने की घटना के तुरंत बाद एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई। जिस पर कोर्ट ने विचार करने से इंकार कर दिया।

नयी दिल्ली। देशव्यापी लॉकडाउन के चलते प्रवासी कामगारों का एक बहुत बड़ा तबका बेरोजगार हो गया। उसके पास खाने के लिए राशन नहीं है। जब खाने के लिए पैसे नहीं जुटा पा रहा प्रवासी कामगार तो मकान मालिक को किराया कैसे दे पाए। ऐसे में वह पैदल ही अपने-अपने गृह राज्यों की तरह निकल लिए। किसी ने 500 किमी का सफर तय किया तो किसी ने 1000 किसी का और किसी का सफर अभी भी जारी है।

हाल ही में औरंगाबाद रेल दुर्घटना में 16 मजदूरों के एक मालगाड़ी से कुचले जाने की घटना के तुरंत बाद एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई। जिस पर कोर्ट ने विचार करने से इंकार कर दिया। 

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निगरानी करना असंभव

सुप्रीम कोर्ट ने इसी मसले पर कहा कि देश में प्रवासी कामगारों की आवाजाही की निगरानी करना या इसे रोकना अदालतों के लिए असंभव है और इस संबंध में सरकार को ही आवश्यक कार्रवाई करनी होगी। हालांकि, पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से जानना चाहा कि क्या इन कामगारों को सड़कों पर पैदल ही चलने से रोकने का कोई रास्ता है ?

केंद्र ने कोर्ट से कहा कि देशभर में इन प्रवासी कामगारों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए सरकार परिवहन सुविधा मुहैया करा रही है लेकिन उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान पैदल ही चल देने की बजाए अपनी बारी का इंतजार करना होगा। 

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इस मामले में याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने हाल ही में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में राजमार्ग पर हुई सड़क दुर्घटनाओं में कामगारों के मारे जाने की घटनाओं की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित किया। पीठ ने सवाल किया, ‘हम इसे कैसे रोक सकते है ?’ पीठ ने कहा कि राज्यों को इस मामले में उचित कार्रवाई करनी चाहिए।

केंद्र सरकार की तरह पेश हुए वकील ने कहा कि कामगारों को अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए। हाल ही कई सारे ऐसे वीडियो सामने आए जो कामगारों की मजबूरियों को दर्शा रहे हैं। वहीं, दूसरी तरह राजस्थान सरकार ने प्रवासी कामगारों के पैदल अपने घरों तक जाने को पीड़ादायक बताया। 

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मजदूर पैदल चला तो SDM होंगे जिम्मेदार

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साफ शब्दों में कहा कि यदि प्रवासी मजदूर पैदल चला तो इसके लिए एसडीएम जिम्मेदार होंगे। इसके लिए राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा है कि ऐसे प्रवासी कामगारों के लिए एक विशेष शिविर आयोजित किया जाएं। जहां पर भोजन, पेयजल, शौचालय सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं हो।

राजस्थान सरकार के इस आदेश के बाद भी बीते दिनों सड़कों पर प्रवासी कामगार पैदल चलते रहे। इन कामगारों के कई वीडियो भी सामने आए। लेकिन कोई भी अधिकारी सड़क पर दिखाई नहीं दिया। 

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सोचिएगा, इन कामगारों की जगह खुद को रखकर फिर बताइएगा क्या इनकी क्या मजबूरी रही होगी जो यह एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश तक पैदल यात्रा करने के लिए मजबूर हुए। हालांकि, सरकार प्रवासी कामगारों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला रही है। लेकिन श्रमिकों का कहना है कि उन्हें मजबूरन पैदल अपने घरों की तरफ जाना पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री गहलोत ने सभी जिलों के एसपी को निर्देश दि या कि चेकपोस्ट से गुजरने वाले प्रवासी कामगारों को धैर्यपूर्वक समझाएं और उन्हें पास के शिविर में भेजने की व्यवस्था करें। इतना ही नहीं जिन राज्यों से अनुमति प्राप्त है उन वहां के प्रवासियों के लिए मांग के आधार पर बसें उपलब्ध कराई जाएं।

बता दें कि प्रवासी कामगारों को उनके घरों तक भेजने के लिए ऐसे कई आदेश आते रहे लेकिन इन मजदूरों के पलायन का सिलसिला नहीं थमा। 

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