जमात के उम्मीदवारों को रशीद के समर्थन पर बोलीं महबूबा, दिल्ली ने बहुत सारे आज़ाद उम्मीदवार बंटवारे के लिए डालें
मुफ्ती ने कहा कि उन्हें लगा कि अगर कुछ सीटें किसी और को देंगे तो कहीं कुर्सी हमारे हाथ से न निकल जाए। हम लोगों को इकट्ठा चलना चाहिए था। दिल्ली ने बहुत सारे आज़ाद उम्मीदवार यहां वोटों का बंटवारा करने के लिए डाले हैं, वो वोट नहीं बंटते।
जम्मू कश्मीर चुनाव को लेकर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम में लोकसभा सदस्य शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद के नेतृत्व वाली अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) और जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) के पूर्व सदस्यों के बीच विधानसभा चुनाव के लिए एक गठबंधन हुआ। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) और जमात-ए-इस्लामी के बीच चुनावी गठबंधन पर कहा कि मैंने भी कोशिश की थी कि हम लोग इकट्ठा चलें। लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस को अच्छा नहीं लगा। उन्हें लगा कि अगर कुछ सीटें किसी और को देंगे तो कहीं कुर्सी हमारे हाथ से न निकल जाए। हम लोगों को इकट्ठा चलना चाहिए था। दिल्ली ने बहुत सारे आज़ाद उम्मीदवार यहां वोटों का बंटवारा करने के लिए डाले हैं, वो वोट नहीं बंटते।
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महबूबा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह भाजपा के लिए शर्म की बात है जो कहती रही है कि स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन वे पिछले 10 वर्षों में जम्मू कश्मीर में चुनाव नहीं करा सके। लोग नाराज हैं, उनका दम घुट रहा है। वे चाहते हैं कि एक ऐसी सरकार बने जो उनकी चिंताओं को दूर कर सके और उनकी मुश्किलों को खत्म कर सके। पीडीपी प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी केवल नालियों और गलियों के निर्माण के लिए चुनाव नहीं लड़ रही है। उन्होंने कहा कि हम इसलिए चुनाव लड़ रहे हैं कि भाजपा कश्मीर मुद्दा और अनुच्छेद 370 को दफन करना चाहती है। वह (भाजपा) चाहती है कि हर कोई केवल चुनाव के बारे में बात करे।
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एआईपी ने एक बयान में कहा कि आज एक संयुक्त बैठक हुई, जिसमें एआईपी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व एआईपी के मुख्य प्रवक्ता इनाम उन नबी ने किया, जबकि जेईआई के पूर्व सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व गुलाम कादिर वानी ने किया। जमात-ए-इस्लामी जम्मू और कश्मीर को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2019 में प्रतिबंधित कर दिया था। जमात के कई प्रभावशाली नेता निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। एआईपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्ष क्षेत्र की जनता के व्यापक हित में मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्य एआईपी और जेईआई समर्थित उम्मीदवारों के लिए शानदार जीत हासिल करना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के पास मजबूत प्रतिनिधि हों, जो उनकी भावनाओं और आकांक्षाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सकें।
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