PSA के तहत महबूबा मुफ्ती की हिरासत 3 महीने बढ़ी, एक साल बाद रिहा हुए सज्जाद लोन
गृह विभाग के आदेशानुसार महबूबा मुफ्ती गुपकर रोड पर अपने आधिकारिक आवास फेयरव्यू बंगले में अगले तीन महीने और हिरासत में ही रहेंगी। प्रशासन ने जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जेकेपीसी) के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन को करीब एक साल बाद रिहा करने का फैसला किया।
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर प्रशासन ने जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत निरुद्ध पीडीपी अध्यक्ष और भाजपा की सहयोगी रहीं महबूबा मुफ्ती की हिरासत शुक्रवार को तीन महीने के लिए बढ़ा दी जबकि पिछली गठबंधन सरकार के एक अन्य सहयोगी सज्जाद गनी लोन को रिहा कर दिया। पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने से पहले मुफ्ती और लोन समेत सैकड़ों लोगों को एहतियातन हिरासत में ले लिया गया था। गृह विभाग के आदेशानुसार मुफ्ती गुपकर रोड पर अपने आधिकारिक आवास फेयरव्यू बंगले में अगले तीन महीने और हिरासत में ही रहेंगी। इस बंगले को उप जेल घोषित किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री की मौजूदा हिरासत की अवधि इस साल पांच अगस्त को खत्म हो रही थी। आदेश में कहा गया है, ‘‘कानून लागू करने वाली एजेंसियों ने हिरासत की अवधि आगे बढ़ाने की सिफारिश की है और इस पर गौर करने के बाद इसे जरूरी समझा गया।’’
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फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला समेत मुख्यधारा के अधिकतर नेताओं को हिरासत से रिहा किया जा चुका है। दिन में प्रशासन ने जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जेकेपीसी) के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन को करीब एक साल बाद रिहा करने का फैसला किया। महबूबा की पार्टी पीडीपी और लोन की जेकेपीसी पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य की अंतिम निर्वाचित सरकार में भाजपा की सहयेागी थीं। लोन ने ट्वीट किया, ‘‘अंतत: एक साल पूरा होनेसे पांच दिन पहले मुझे आधिकारिक रूप से सूचित किया गया कि मैं आजाद हूं। कितना कुछ बदल गया है। जेल कोई नया अनुभव नहीं था। इससे पहले अधिक शारीरिक यातनाओं के साथ जेल में वक्त काटा है। लेकिन इस बार मानसिक रूप से शोषण वाला था। बहुत कुछ कहना है, उम्मीद है जल्द साझा करुंगा।’’ महबूबा की हिरासत बढ़ने पर उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने ट्वीट किया, ‘‘ मैं मीडिया की खबर की पुष्टि करना चाहूंगी कि मुफ्ती की पीएसए हिरासत को नवंबर, 2020 तक के लिए बढ़ाया गया है। उन्हें अवैध रूप से बंदी बनाकर रखने को चुनौती देने वाली याचिका 26 फरवरी से उच्चतम न्यायालय में लंबित है। व्यक्ति कहां इंसाफ मांगे?’’ उन्होंने हिरासत बढ़ाये जाने को सरकार की अत्यंत ‘अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और अमानवीय पहल’ करार दिया।
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