महबूबा मुफ्ती ने मेडिकल प्रवेश में आरक्षण से जुड़े वैधानिक आदेश को बहाल करने की मांग की
स्नातकोत्तर अभ्यर्थी आरोप लगा रहे हैं कि उपराज्यपाल प्रशासन द्वारा अपनाई गई नयी आरक्षण नीति ने सामान्य मेरिट कोटा को घटाकर लगभग 30 प्रतिशत कर दिया है, जबकि 70 प्रतिशत सीट आरक्षित कर दी गई हैं।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार को राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) के माध्यम से स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आरक्षण से जुड़े वैधानिक आदेश को बहाल करना चाहिए।
पीडीपी प्रमुख ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘यह जरूरी है कि केंद्र शासित प्रदेश सरकार जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम के एसआरओ 49 (2018) को बहाल करे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुपर-स्पेशलिटी मेडिकल पाठ्यक्रम तक सुलभ पहुंच हो और जम्मू-कश्मीर के युवाओं के हितों की रक्षा हो सके।’’
मुफ्ती जनवरी 2018 में पारित एक आदेश का जिक्र कर रही थीं, जब वह जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री थीं। एसआरओ 49 (2108) के अनुसार, स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में 75 प्रतिशत सीट सामान्य मेरिट के आधार पर भरी जानी थीं, जबकि 25 प्रतिशत सीट वंचित वर्गों की विभिन्न श्रेणियों के लिए आरक्षित थीं।
स्नातकोत्तर अभ्यर्थी आरोप लगा रहे हैं कि उपराज्यपाल प्रशासन द्वारा अपनाई गई नयी आरक्षण नीति ने सामान्य मेरिट कोटा को घटाकर लगभग 30 प्रतिशत कर दिया है, जबकि 70 प्रतिशत सीट आरक्षित कर दी गई हैं।
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