Mathura Shahi Masjid Case: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर

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रितिका कमठान । Jan 5 2024 10:03AM

इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने उच्चतम न्यायालय से जल्द सुनवाई की अपील की थी। जानाकारी के लिए बता दें कि ये याचिका दिसंबर में लगाई गई थी, जिसके बाद इस मामले में शुक्रवार पांच जनवरी को सुनवाई होगी।

भारत का उच्चतम न्यायालय शुक्रवार 5 जनवरी को मथुरा के श्री कृष्ण जन्म भूमि शाही ईदगाह मस्जिद मामले में अहम सुनवाई करने जा रहा है। ये सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दी गई है, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के कोर्ट कमिश्नर को नियुक्त किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी गई है। 

इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने उच्चतम न्यायालय से जल्द सुनवाई की अपील की थी। जानाकारी के लिए बता दें कि ये याचिका दिसंबर में लगाई गई थी, जिसके बाद इस मामले में शुक्रवार पांच जनवरी को सुनवाई होगी। 

हाई कोर्ट दे चुका है मंजूरी

इस मामले पर सर्वेक्षण करने के लिए हाईकोर्ट की तरफ से मंजूरी मिल चुकी है। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर का सर्वेक्षण करने की मंजूरी दी जा चुकी है। इस मामले में सर्वेक्षण के लिए एडवोकेट कमिशनर नियुक्त करने की मांग को स्वीकार किया गया था। उच्च न्यायालय बीते वर्ष 14 दिसंबर को मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की निगरानी के लिए एक अधिवक्ता आयुक्त की नियुक्ति पर सहमत हुआ था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है।

बता दें कि मामले में हिंदू पक्ष का दावा है कि ऐसे संकेत हैं जिससे पता चलता है कि एक समय यह एक हिंदू मंदिर था। ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति ने उच्च न्यायालय के आदेश को औपचारिक रूप से चुनौती देने के लिए अपील दायर की है। यह याचिका उच्चतम न्यायालय द्वारा 15 दिसंबर को मुस्लिम पक्ष की मौखिक याचिका खारिज करने के बाद दायर की गई है। उस वक्त उच्चतम न्यायालय ने शाही ईदगाह के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था और मुस्लिम पक्ष को अपील के माध्यम से आदेश को चुनौती देने के लिए कहा था। मस्जिद समिति ने अपनी याचिका में कहा है कि उच्च न्यायालय को मामले में किसी भी अन्य आवेदन पर निर्णय लेने से पहले उसकी याचिका पर विचार करना चाहिए था।

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