Prabhasakshi Newsroom। माणिक साहा बने त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री, चुनाव से पहले भाजपा ने दोहरायी पुरानी रणनीति
त्रिपुरा की बात की जाए तो बिप्लब देव ने शनिवार को अचानक मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। भाजपा ने त्रिपुरा में परोक्ष तौर पर सत्ता विरोधी लहर से पार पाने और पार्टी पदाधिकारियों के भीतर किसी भी तरह के असंतोष को दूर करने के एक प्रयास के तहत नए चेहरे को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपने की रणनीति बनाई।
त्रिपुरा में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी पुरानी रणनीति को दोहराते हुए मुख्यमंत्री बदल दिया है। इसी के साथ ही माणिक साहा ने राजभवन में नए मुख्यमंत्री के तौर पर पद एवं गोपनियता की शपथ ली। उत्तराखंड में भी पार्टी ने चुनाव से ठीक पहले अपना मुख्यमंत्री बदल दिया था। जिसका भाजपा का फायदा मिला। खैर यह बात अलग है कि पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट गंवा बैठे। इसके बावजूद पार्टी ने उन पर भरोसा दिखाते हुए मुख्यमंत्री बनाया और अब पुष्कर सिंह धामी चंपावत से उपचुनाव लड़ने वाले हैं।
Extremely grateful to Hon'ble PM Sh. @narendramodi ji,Hon'ble Home Minister Sh @AmitShah ji,Hon'ble National President Sh @JPNadda ji & Hon'ble Ex CM Shri @BjpBiplab ji & MLAs for nominating me to take the oath as the Chief Minister of Tripura. pic.twitter.com/G1aYGYf1HG
— Dr Manik Saha (@DrManikSaha2) May 15, 2022
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त्रिपुरा की बात की जाए तो बिप्लब देव ने शनिवार को अचानक मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। भाजपा ने त्रिपुरा में परोक्ष तौर पर सत्ता विरोधी लहर से पार पाने और पार्टी पदाधिकारियों के भीतर किसी भी तरह के असंतोष को दूर करने के एक प्रयास के तहत नए चेहरे को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपने की रणनीति बनाई। जिसके तहत बिप्लब देव के इस्तीफा देने के कुछ घंटों के भीतर ही माणिक साहा को विधायक दल का नेता चुन लिया गया था।
कौन हैं माणिक साहा ?
माणिक साहा पूर्वोत्तर से कांग्रेस के ऐसे चौथे पूर्व नेता हैं जो भाजपा में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री बने हैं। इनके अलावा असम के हिमंत बिस्व सरमा, अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू और मणिपुर के एन बीरेन सिंह शामिल हैं जो पहले कांग्रेस में थे और उनकी भाजपा में आने के बाद ताजपोशी हुई। माणिक साहा ने साल 2016 में कांग्रेस को अलविदा कहते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था। इसके बाद पार्टी ने उन्हें साल 2020 में भाजपा प्रदेश प्रमुख बनाया और इस साल मार्च में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया।
बिप्लब देव ने शनिवार को राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद कहा कि उन्होंने पूरे दिल से राज्य के लोगों की सेवा की है। पार्टी सबसे ऊपर है। मैं भाजपा का निष्ठावान कार्यकर्ता हूं। मुझे उम्मीद है कि जो जिम्मेदारी दी गई, उसके साथ मैंने न्याय किया। 25 साल के भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के शासन को ध्वस्त करने के बाद साल 2018 में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए बिप्लब देव की ताजपोशी की थी।
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विधायक दल की बैठक में हुई धक्कामुक्की
आपको बता दें कि बिप्लब देव ने विधायक दल की बैठक में जैसे ही 69 वर्षीय माणिक साहा के नाम का प्रस्ताव रखा तो मंत्री राम प्रसाद पॉल ने इसका जमकर विरोध किया, जिसके चलते विधायकों के बीच धक्कामुक्की हुई। इस घटना से सबंधित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें एक विधायक कुर्सी को तोड़ते हुए दिखाई दे रहा है। सूत्रों ने बताया कि राम प्रसाद पॉल ने कुछ कुर्सियों को भी तोड़ दिया। राम प्रसाद पॉल चाहते थे कि उपमुख्यमंत्री एवं त्रिपुरा के पूर्ववर्ती राजपरिवार के सदस्य जिष्णु देव वर्मा को मुख्यमंत्री बनाया जाए। हालांकि माणिक साहा को विधायक दल का नेता चुना गया। जिसके बाद माणिक साहा ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि मैं पार्टी का एक आम कार्यकर्ता हूं और आगे भी रहूंगा।
Agartala | Manik Saha takes oath as the Chief Minister of Tripura pic.twitter.com/Tdpg8XxLiu
— ANI (@ANI) May 15, 2022
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